Onion Pusa Shridhhi Variety: किसान भाइयों, हमारे गाँवों में प्याज की खेती हर घर की रसोई तक पहुँचती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक नई किस्म, पूसा ऋद्धि, किसानों की मेहनत को दोगुना फायदा दे रही है? इसकी खेती से 33.5 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज मिल रही है, जो आम किस्मों से 25-35% ज़्यादा है। प्याज न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि सेहत के लिए भी वरदान है।
भारत में प्याज तीन सीज़न में उगता है—खरीफ (अक्टूबर-नवंबर) में 20%, लेट खरीफ (फरवरी-मार्च) में 20%, और रबी (अप्रैल-मई) में 60% उत्पादन होता है। रबी का प्याज बाज़ार में सबसे ज़्यादा छाता है, और अब पूसा ऋद्धि इसे और बेहतर बना रही है। आइए, इसके फायदे और खेती का तरीका समझते हैं।
पूसा ऋद्धि का कमाल
प्याज की पूसा ऋद्धि किस्म (Onion Pusa Shridhhi Variety) को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) ने तैयार किया है। रबी 2023-24 में जयपुर के आछोजई गाँव में इसका प्रदर्शन हुआ, और नतीजे शानदार रहे। ये प्याज गहरे लाल रंग का, सघन और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है। इसकी औसत उपज 33.5 टन प्रति हेक्टेयर रही, जो आम किस्मों से कहीं ज़्यादा है जहाँ औसतन उपज 18 टन प्रति हेक्टेयर है, वहाँ ये किस्म किसानों के लिए सोने की चमक लाई है। बल्ब का वज़न 70-100 ग्राम और व्यास 4.8-6.3 सेमी होता है। इसका तीखापन, भंडारण और निर्यात के लिए माकूलियत इसे खास बनाती है। गाँव के किसान अब इसकी माँग कर रहे हैं।
तीन सीज़न, अलग-अलग माँग
भारत में प्याज की कटाई का अपना ढंग है। खरीफ और लेट खरीफ का प्याज जल्दी खप जाता है, क्योंकि इसकी माँग ज़्यादा होती है। लेकिन रबी का प्याज साल भर बाज़ार में राहत देता है। अक्टूबर-नवंबर में जब कीमतें बढ़ती हैं, तो रबी प्याज का भंडारण काम आता है। पूसा ऋद्धि इस मौके को और मज़बूत करती है। इसकी बेहतर गुणवत्ता और भंडारण क्षमता से न सिर्फ किसानों को फायदा होता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सस्ता प्याज मिलता है। किसानों में ये किस्म अब चर्चा का विषय बन रही है।
ज़्यादा उपज, बढ़िया कमाई
पूसा ऋद्धि से किसानों को प्रति बीघा (1000 वर्ग मीटर) 25,000 से 30,000 रुपये की कमाई हुई है। लागत और लाभ का अनुपात 2.5 से 3.5 के बीच रहा, यानी हर रुपये की मेहनत पर ढाई से साढ़े तीन रुपये का फायदा। आम किस्मों से 25-35% ज़्यादा पैदावार ने किसानों का हौसला बढ़ाया है। आईसीएआर की रिपोर्ट में इसकी गुणवत्ता को भी सराहा गया है। प्रशिक्षण के बाद किसानों ने इसे अपनाया और नतीजे देखकर दंग रह गए। जहाँ बीज की खराबी, कीट और मौसम की मार से उपज कम होती थी, वहाँ पूसा ऋद्धि ने उम्मीद जगाई है। बाज़ार में भी इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं।
खेती और भंडारण का सही तरीका
पूसा ऋद्धि की खेती के लिए सही प्रबंधन ज़रूरी है। खेत की अच्छी जुताई, समय पर खाद और पानी का ध्यान रखें। कीट-रोग से बचाने के लिए जैविक या रासायनिक दवाओं का सही इस्तेमाल करें। रबी सीज़न में इसे लगाएँ, ताकि अप्रैल-मई में कटाई हो सके। भंडारण के लिए हवादार और सूखी जगह चुनें, ताकि प्याज लंबे समय तक ताज़ा रहे। इस किस्म ने साबित कर दिया कि मेहनत और तकनीक से उत्पादन बढ़ सकता है। तो भाइयों, पूसा ऋद्धि अपनाएँ, उपज बढ़ाएँ और कमाई का आनंद लें।
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