Onion Rate: प्याज भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन हाल के दिनों में इसके दाम में भारी गिरावट ने किसानों के बीच असंतोष की लहर पैदा कर दी है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 5 से 12 जनवरी 2025 के बीच प्याज का औसत मूल्य 2088 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया, जो केवल एक सप्ताह में 17% की गिरावट को दर्शाता है। इस स्थिति से न केवल किसानों की आय प्रभावित हो रही है, बल्कि यह भारतीय कृषि बाजार में गहराते संकट की ओर भी संकेत देता है।
प्याज की कीमतों में गिरावट के पीछे कारण
प्याज की कीमतों में गिरावट के कई प्रमुख कारण हैं:
- अत्यधिक उत्पादन: इस सीजन में प्याज का उत्पादन अधिक हुआ है, जिससे मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है।
- एक्सपोर्ट ड्यूटी: सरकार द्वारा प्याज पर 20% निर्यात शुल्क लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्याज की प्रतिस्पर्धा घट गई है।
- कोल्ड स्टोरेज की कमी: प्याज के भंडारण के लिए पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज की सुविधा न होने के कारण, किसानों को अपनी उपज जल्द से जल्द बेचने पर मजबूर होना पड़ता है।
- मध्यस्थों का प्रभाव: किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता क्योंकि मंडियों में बिचौलियों का दबदबा रहता है।
देश की प्रमुख मंडियों में प्याज का ताजा भाव
देश की विभिन्न मंडियों में प्याज के दाम निम्नलिखित हैं:
मंडी | न्यूनतम मूल्य (₹) | अधिकतम मूल्य (₹) | औसत मूल्य (₹) |
---|---|---|---|
लासलगांव (महाराष्ट्र) | 900 | 2500 | 1900 |
मनावर (मध्य प्रदेश) | 1800 | 2000 | 1900 |
सूरत (गुजरात) | 1000 | 2700 | 1850 |
गोलूवाला (राजस्थान) | 2000 | 2200 | 2200 |
हांसी (हरियाणा) | 1500 | 3000 | 2000 |
विल्थारारोड (उत्तर प्रदेश) | 2500 | 2600 | 2550 |
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) | 3200 | 3400 | 3300 |
पुन्हाना (हरियाणा) | 2000 | 2000 | 2000 |
खंडवा (मध्य प्रदेश) | 700 | 1000 | 1000 |
अकोला (महाराष्ट्र) | 1500 | 2500 | 2000 |
किसानों का विरोध और उनकी मांगें
महाराष्ट्र, जो भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है, वहां के किसानों ने मंडियों में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के नेतृत्व में किसान 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने की मांग कर रहे हैं।
विरोध का मुख्य स्वरूप
- मंडी बंद: किसानों ने कई मंडियों में नीलामी बंद करवा दी।
- सड़क और रेल नाकाबंदी: यदि सरकार ने निर्यात शुल्क हटाने की मांग पूरी नहीं की, तो किसान राज्यव्यापी सड़क और रेल नाकाबंदी करने की चेतावनी दे चुके हैं।
- सरकार के प्रति रोष: उत्पादन लागत से भी कम दाम मिलने से किसानों का असंतोष बढ़ता जा रहा है।
किसानों के लिए संभावित समाधान
गिरते दामों से किसानों को राहत देने के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- निर्यात शुल्क हटाना: प्याज पर से 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ाई जा सकती है।
- कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था: कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का विस्तार करके प्याज को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): प्याज के लिए MSP निर्धारित करना किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
- सीधा बाजार संपर्क: किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क स्थापित करने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो सकती है।
- वैकल्पिक उपयोग: प्याज से जुड़ी प्रसंस्करण इकाइयों जैसे कि प्याज पाउडर और पेस्ट बनाने के उद्योगों को प्रोत्साहन देना।
हालांकि सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन ये अभी तक प्रभावी साबित नहीं हुई हैं। प्याज की गिरती कीमतें न केवल किसानों की आय को प्रभावित करती हैं, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं।
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