बारिश का मौसम मेथी की खेती के लिए बिल्कुल सही समय लेकर आया है। मेथी का बीज न सिर्फ रसोई में स्वाद बढ़ाता है, बल्कि खेती से किसानों को अच्छी कमाई का जरिया भी बन सकता है। यह फसल कम जगह और कम पानी में उगती है, जो छोटे किसानों के लिए वरदान है। मेथी की हरी पत्तियाँ और दाने सेहत के लिए फायदेमंद हैं, और बाजार में इनकी मांग हमेशा बनी रहती है। लेकिन सबसे पहले सही बीज की जरूरत होती है, जो अच्छी पैदावार का आधार है। आइए जानते हैं कि मेथी की खेती कैसे करें, बीज कहाँ से लें, और इससे फायदा कैसे उठाएँ।
खेत तैयार करने का आसान तरीका
मेथी की खेती के लिए खेत को पहले तैयार करना जरूरी है। जुलाई-अगस्त में, जब बारिश शुरू हो, हल्की जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। मिट्टी में 2-3 गट्ठर गोबर की सड़ी खाद मिलाएँ, जो पौधों को पोषण देगी। मेथी को हल्की दोमट या बलुई मिट्टी पसंद है, इसलिए अगर आपका खेत भारी है, तो थोड़ा रेत डालें। छोटी-छोटी क्यारियाँ बनाएँ, ताकि पानी समान रूप से फैले। गाँव में जगह कम हो तो गमले या बैग में भी मेथी उगा सकते हैं। यह तैयारी फसल को मजबूत शुरुआत देगी।
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बुआई का सही समय और तरीका
मेथी की बुआई के लिए जुलाई से सितंबर का मौसम बेस्ट है, क्योंकि बारिश मिट्टी को नम रखती है। बीजों को रातभर भिगोकर रखें, इससे अंकुरण जल्दी होगा। एक बीघे में 5-6 किलो बीज काफी हैं। बीजों को 20-25 सेमी की दूरी पर छिड़कें और मिट्टी से हल्का ढक दें। बुआई के बाद हल्का पानी डालें, लेकिन ज्यादा गीलापन न होने दें। अगर बारिश हो रही हो, तो पानी की जरूरत कम पड़ेगी। 5-7 दिन में हरी पत्तियाँ निकल आएँगी, जो खेत को हरा-भरा कर देंगी।
देखभाल और संरक्षण का तरीका
मेथी को ज्यादा पानी नहीं चाहिए, इसलिए हफ्ते में एक बार ही सिंचाई करें, जब मिट्टी सूख जाए। बारिश के दिनों में खेत में पानी जमा न होने दें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। घास निकलने पर हाथ से हटाएँ, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। कीटों से बचाव के लिए नीम की पत्तियों का काढ़ा छिड़कें, जो सुरक्षित और सस्ता है। मेथी 40-50 दिन में तैयार हो जाती है, लेकिन पत्तियों की कटाई 25-30 दिन बाद शुरू कर सकते हैं। हर कटाई के बाद 15-20 दिन इंतजार करें, ताकि नई पत्तियाँ आएँ। यह देखभाल फसल को लंबे समय तक चलाएगी।
मेथी की फसल 40-50 दिन में तैयार हो जाती है, और एक बीघे से 3-4 क्विंटल पैदावार मिल सकती है। हरी पत्तियों को ताजा बेचा जा सकता है, और दानों को सुखाकर बाजार में भेजा जा सकता है। बाजार में मेथी की पत्तियाँ 20-30 रुपये प्रति किलो और दाने 70-80 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। इससे एक बीघे की आय 21,000-32,000 रुपये हो सकती है। लागत बीज, खाद, और मेहनत में 3000-5000 रुपये प्रति बीघे आने पर शुद्ध लाभ 16,000-27,000 रुपये तक पहुंच सकता है। गाँव में बची पत्तियों को घर पर इस्तेमाल करें, जो सेहत के लिए फायदेमंद है।
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सेहत और मिट्टी का लाभ
मेथी की खेती से सेहत और मिट्टी दोनों को फायदा होता है। इसके दाने पाचन ठीक करते हैं, शुगर कंट्रोल करते हैं, और हड्डियों को मजबूती देते हैं। पत्तियों को सब्जी या सलाद में डालने से विटामिन्स मिलते हैं। मिट्टी में मेथी उगाने से उसकी उर्वरता बढ़ती है, और अगली फसल के लिए जमीन तैयार होती है। गाँव में इसे छोटे स्तर पर उगाकर घरेलू जरूरतें पूरी की जा सकती हैं, जो परिवार की सेहत को बेहतर बनाएगा।
बीज प्राप्त करने के स्रोत
अच्छी मेथी की खेती के लिए सही बीज चुनना जरूरी है। बीज नजदीकी कृषि केंद्रों से लें, जहाँ सरकार सब्सिडी पर क्वालिटी बीज उपलब्ध कराती है। गाँव के अनुभवी किसानों से पिछले साल की फसल के बीज माँग सकते हैं, जो प्राकृतिक और सस्ता होगा। ऑनलाइन स्टोर्स जैसे https://mystore.in भी शुद्ध मेथी के बीज बेचते हैं, जहाँ 250 ग्राम पैक 50 रुपये में मिल रहा है। स्थानीय बाजार में बीज दुकानों से भी खरीद सकते हैं, लेकिन गुणवत्ता चेक कर लें। बीज को खरीदने से पहले उसकी ताजगी और अंकुरण क्षमता देखें, ताकि फसल अच्छी हो।
मेथी की खेती छोटे किसानों के लिए आमदनी का अच्छा जरिया हो सकती है। गाँव में इसे बड़े स्तर पर उगाकर बाजार में सप्लाई करें, जहाँ मांग बढ़ रही है। सरकार के कृषि केंद्रों से बीज और तकनीक की जानकारी लें। अगले साल के लिए मिट्टी में जैविक खाद डालें, ताकि पैदावार और बढ़े। यह फसल न सिर्फ मुनाफा देगी, बल्कि खेत को हरा-भरा भी रखेगी।
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