कीजिए ऑर्गेनिक विधि से दूध उत्पादन, हर महीने कमाई होगी 2 लाख रुपये

किसान भाइयों, ऑर्गेनिक दूध उत्पादन आजकल कमाई का जबरदस्त जरिया बन गया है। शहरों में लोग सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं और ऑर्गेनिक दूध की माँग तेजी से बढ़ रही है। ये दूध रासायनिक खाद, कीटनाशक, या हार्मोन से मुक्त होता है, जिससे इसका दाम सामान्य दूध से 20-50% ज्यादा मिलता है। एक छोटा डेयरी फार्म शुरू करके आप हर महीने 50,000 से 2 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। भारत में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में ऑर्गेनिक दूध का उत्पादन बढ़ रहा है। कम लागत, कम मेहनत और बंपर मुनाफे के लिए गाय-भैंस पालें, जैविक चारा दें, और अपनी मेहनत को सोने में बदलें।

ऑर्गेनिक दूध क्या है और क्यों खास है

ऑर्गेनिक दूध वो है, जो गाय या भैंस को पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से पालकर निकाला जाता है। इसमें जानवरों को रासायनिक चारा, एंटीबायोटिक, या ग्रोथ हार्मोन नहीं दिए जाते। ऑर्गेनिक डेयरी में जानवरों को खुला चरने दिया जाता है और जैविक खेती से उगाए गए चारे जैसे ज्वार, मक्का, बरसीम का इस्तेमाल होता है। ऐसा दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है, स्वाद में बेहतर होता है। बाजार में ऑर्गेनिक दूध 70-150 रुपये प्रति लीटर बिकता है, जबकि सामान्य दूध 40-60 रुपये में। बड़ी कंपनियाँ और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे BigBasket, Organic India इसे खरीदने को तैयार रहते हैं। ग्राहक इसके लिए ज्यादा कीमत देने को राजी हैं, क्योंकि ये शुद्ध और सुरक्षित है।

डेयरी फार्म शुरू करने की तैयारी

ऑर्गेनिक दूध उत्पादन शुरू करने के लिए छोटे स्तर पर 2-5 गाय या भैंस से शुरुआत करें। देसी नस्ल की गाय जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर या भैंस की मुर्रा, जाफराबादी नस्ल चुनें। इनकी कीमत 30,000-60,000 रुपये होती है। एक बीघा जमीन पर शेड, चारा भंडार, और पानी की व्यवस्था करें। शेड हवादार हो, जिसमें प्रति गाय 40-50 वर्ग फीट जगह हो। ज्वार, मक्का, बरसीम जैसी फसलें उगाएँ, जिन्हें गोबर की खाद और जीवामृत से पोषण दें। शुरुआती लागत 1-2 लाख रुपये आती है, जिसमें पशु, शेड, और चारा शामिल है। सरकार की डेयरी योजनाओं से 25-50% सब्सिडी भी मिल सकती है। सही योजना से 6 महीने में कमाई शुरू हो जाती है।

जैविक पशुपालन और चारा प्रबंधन

ऑर्गेनिक दूध के लिए पशुओं को प्राकृतिक चारा देना जरूरी है। हर पशु को रोज 20-25 किलो हरा चारा, 5-7 किलो सूखा चारा, और 1-2 किलो दाना चाहिए। चारे को रासायनिक खाद या कीटनाशक से मुक्त रखें। गोबर, वर्मी कम्पोस्ट, और नीम की खली से खेत तैयार करें। खेत में ढैंचा, सनई जैसी हरी खाद वाली फसलें बोएँ, जो मिट्टी को ताकत देती हैं। पशुओं को खुला चरने दें, ताकि वे तनावमुक्त रहें। पानी साफ और नियमित दें। कीटों से बचाने के लिए नीम का तेल या गोमूत्र का छिड़काव करें। बीमार होने पर आयुर्वेदिक दवाएँ जैसे हल्दी, अश्वगंधा का इस्तेमाल करें। इससे दूध की गुणवत्ता बढ़ती है और लागत 30-40% कम रहती है।

दूध निकालने और बिक्री की रणनीति

ऑर्गेनिक दूध निकालने के लिए मशीन का इस्तेमाल करें, ताकि स्वच्छता बनी रहे। सुबह-शाम दूध निकालकर तुरंत चिलर में रखें। एक गाय औसतन 10-15 लीटर और भैंस 8-12 लीटर दूध रोज देती है। 5 गायों से रोज 50-75 लीटर दूध मिल सकता है। बिक्री के लिए लोकल मार्केट, डेयरी कोऑपरेटिव, या ऑर्गेनिक स्टोर से संपर्क करें। बड़े शहरों में डिलीवरी के लिए कांच की बोतलों में पैक करें। FSSAI का ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन लें, जो दाम बढ़ाने में मदद करता है। ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया, IndiaMART, या स्थानीय WhatsApp ग्रुप का इस्तेमाल करें। नियमित ग्राहक बनाएँ, जैसे होटल, जिम, और हेल्थ स्टोर। इससे हर महीने स्थिर कमाई होती है।

कमाई और मुनाफा

ऑर्गेनिक दूध उत्पादन से कमाई का हिसाब देखें। 5 गायों से रोज 50 लीटर दूध, 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से 5000 रुपये रोज यानी 1.5 लाख रुपये महीने की कमाई। लागत में चारा, मजदूरी, बिजली पर 30,000-50,000 रुपये खर्च होते हैं। मुनाफा 1-1.2 लाख रुपये महीना बचता है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर 10,000-15,000 रुपये अतिरिक्त कमाएँ। सालाना 12-15 लाख रुपये की कमाई संभव है। बड़े स्तर पर 20-25 गायों के साथ 50 लाख तक सालाना कमाई हो सकती है। ऑर्गेनिक घी, दही, पनीर बनाकर मुनाफा और बढ़ाएँ। मंडी, ऑर्गेनिक मेले, और निर्यात बाजार में बेचकर दाम बढ़ाएँ।

चुनौतियाँ और समाधान

ऑर्गेनिक दूध उत्पादन में शुरुआती 2-3 साल मेहनत ज्यादा लगती है। जैविक चारा उगाने और सर्टिफिकेशन लेने में समय लगता है। बाजार में सस्ते दूध से प्रतिस्पर्धा होती है। इसका समाधान है अपनी ब्रांडिंग। सोशल मीडिया पर ऑर्गेनिक दूध की खासियत बताएँ। स्थानीय किसान समूहों से जुड़ें। पशु चिकित्सक और कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें। जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ। धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ते हैं और कमाई स्थिर हो जाती है। ऑर्गेनिक दूध न सिर्फ जेब भरता है, बल्कि पर्यावरण और सेहत को भी फायदा देता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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