ऑर्गेनिक खेती का प्रमाणपत्र कैसे लें, जानिए पूरी प्रक्रिया

Organic Kheti Certificate Kaise le : भारत में जैविक खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है, और किसान अब रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक तरीकों की ओर रुख कर रहे हैं। अगर कोई किसान अपने उत्पाद को जैविक बताकर बाजार में बेचना चाहता है, तो उसके पास मान्य जैविक खेती प्रमाणपत्र होना जरूरी है। ये प्रमाणपत्र न सिर्फ उपभोक्ताओं का भरोसा जीतता है, बल्कि किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर दाम भी दिलाता है। 2025 में सरकार इस प्रक्रिया को और सरल बना रही है, ताकि छोटे से छोटा किसान भी जैविक खेती का फायदा उठा सके। आइए जानते हैं कि इस प्रमाणपत्र को लेने की पूरी प्रक्रिया, जरूरी दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण बातें क्या हैं।

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प्रमाणपत्र की जरूरत

जैविक खेती का प्रमाणपत्र इस बात का सबूत है कि किसान ने अपनी फसल को बिना रासायनिक खाद, कीटनाशक या हानिकारक केमिकल्स के उगाया है। बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने के साथ-साथ ग्राहक भी सतर्क हो गए हैं। वे केवल उन उत्पादों पर भरोसा करते हैं, जिनके साथ प्रमाणपत्र हो। ये प्रमाणपत्र किसानों को स्थानीय मंडियों, सुपरमार्केट्स और निर्यात के लिए बेहतर अवसर देता है। इसके साथ ही, जैविक उत्पादों का दाम सामान्य उत्पादों से 20-50% ज्यादा मिलता है, जिससे किसानों की कमाई बढ़ती है।

भारत में जैविक प्रमाणन की दो प्रमुख प्रणालियां

भारत सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दो मुख्य प्रमाणन प्रणालियां बनाई हैं। पहली है PGS-India, यानी Participatory Guarantee System, जो खास तौर पर छोटे किसानों के लिए है। ये प्रणाली कृषि मंत्रालय के तहत चलती है और स्थानीय किसान समूहों के जरिए प्रमाणन देती है। दूसरी है NPOP, यानी National Programme for Organic Production, जो APEDA द्वारा संचालित होती है। ये बड़े स्तर की खेती और निर्यात के लिए जरूरी है। छोटे किसानों के लिए PGS ज्यादा आसान और किफायती है, जबकि NPOP उन लोगों के लिए सही है जो विदेशी बाजारों में अपने उत्पाद बेचना चाहते हैं।

प्रमाणपत्र कौन ले सकता है

जैविक खेती का प्रमाणपत्र कोई भी ले सकता है, जो रासायनिक खेती से बचकर प्राकृतिक तरीकों से फसल उगाता हो। इसमें शामिल हैं व्यक्तिगत किसान, जो अपने खेत में जैविक खेती करते हैं। इसके अलावा, किसान समूह या FPOs, यानी Farmer Producer Organizations, भी इस प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं। अगर कोई व्यापारी जैविक उत्पादों का संग्रह, पैकेजिंग या बिक्री करता है, तो वो भी प्रमाणपत्र ले सकता है। बस शर्त ये है कि पूरी प्रक्रिया में जैविक मानकों का पालन हो।

प्रमाणपत्र लेने की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया

जैविक खेती प्रमाणपत्र लेना कोई जटिल काम नहीं है, बशर्ते आप सही कदम उठाएं। सबसे पहले आपको ये तय करना होगा कि आपको PGS-India से प्रमाणपत्र चाहिए या NPOP से। छोटे किसानों के लिए PGS आसान और मुफ्त है, जबकि NPOP निर्यात के लिए जरूरी है। PGS के लिए आप pgsindia-ncof.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं या अपने नजदीकी किसान समूह की मदद ले सकते हैं। NPOP के लिए आपको मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन एजेंसियों, जैसे Ecocert, OneCert या Indocert, से संपर्क करना होगा।

रजिस्ट्रेशन के बाद आपको कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे। इसके बाद प्रमाणन एजेंसी आपके खेत का दौरा करेगी और जांच करेगी कि क्या आप जैविक मानकों का पालन कर रहे हैं। अगर सब कुछ सही पाया गया, तो एजेंसी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी और आपको प्रमाणपत्र जारी कर देगी।

जरूरी दस्तावेज

प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करते समय आपको कुछ जरूरी कागजात जमा करने होंगे। इनमें आपका पहचान पत्र, जैसे आधार कार्ड या वोटर कार्ड, शामिल है। इसके अलावा, खेत के मालिकाना हक के कागजात या लीज एग्रीमेंट की कॉपी चाहिए। आपको अपने खेत का नक्शा और उसका पूरा विवरण देना होगा, जिसमें खेत का क्षेत्रफल और फसलों की जानकारी हो। साथ ही, पिछले दो से तीन साल की खेती का ब्योरा देना होगा, ताकि ये साबित हो सके कि आपने रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया। अगर आपने पहले रासायनिक खेती की थी, तो जैविक खेती में बदलाव की पूरी जानकारी देनी होगी। ये दस्तावेज जमा करने के बाद ही निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू होती है।

खेत का निरीक्षण और प्रमाणन

प्रमाणन का सबसे अहम हिस्सा है खेत का निरीक्षण। सर्टिफिकेशन एजेंसी के लोग आपके खेत पर आएंगे और मिट्टी, पानी, फसलों और खेती के तरीकों की जांच करेंगे। वे ये देखेंगे कि कहीं रासायनिक खाद, कीटनाशक या GMO बीज तो इस्तेमाल नहीं हो रहे। अगर आप PGS के तहत आवेदन कर रहे हैं, तो स्थानीय किसान समूह के सदस्य भी इस निरीक्षण में शामिल हो सकते हैं। निरीक्षण के बाद अगर आपका खेत जैविक मानकों पर खरा उतरता है, तो एजेंसी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट के आधार पर आपको प्रमाणपत्र मिलता है। अगर कोई कमी पाई जाती है, तो आपको उसे ठीक करने का मौका दिया जाता है।

प्रमाणन की लागत

प्रमाणन की फीस इस बात पर निर्भर करती है कि आप कौन सी प्रणाली चुन रहे हैं। PGS-India के तहत प्रमाणन पूरी तरह मुफ्त है। आपको बस अपने स्थानीय किसान समूह में पंजीकरण करना होता है, और समूह के साथ मिलकर निरीक्षण और अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। दूसरी ओर, NPOP के तहत फीस आपकी जमीन के आकार और चुनी हुई सर्टिफिकेशन एजेंसी पर निर्भर करती है। आमतौर पर ये फीस 10,000 से 30,000 रुपये तक हो सकती है। इसमें निरीक्षण, टेस्टिंग और सर्टिफिकेट की लागत शामिल होती है। बड़े किसानों या निर्यातकों के लिए ये लागत आसानी से वसूल हो जाती है, क्योंकि जैविक उत्पादों का दाम ज्यादा मिलता है।

प्रमाणपत्र की वैधता

जैविक खेती का प्रमाणपत्र आमतौर पर एक साल के लिए वैध होता है। हर साल आपको इसे नवीनीकृत कराना पड़ता है। नवीनीकरण की प्रक्रिया में फिर से खेत का निरीक्षण और कुछ बुनियादी दस्तावेज जमा करने होते हैं। अगर आप लगातार जैविक मानकों का पालन करते हैं, तो नवीनीकरण आसान होता है। PGS में नवीनीकरण भी मुफ्त है, जबकि NPOP में इसके लिए मामूली फीस देनी पड़ सकती है। प्रमाणपत्र की वैधता बनाए रखने के लिए हमेशा जैविक खेती के नियमों का पालन करें, जैसे गोबर खाद, नीम तेल और जैविक बीज का इस्तेमाल।

कहां से लें मदद और जानकारी

अगर आपको प्रमाणपत्र लेने में मदद चाहिए, तो कई जगहों से सलाह और संसाधन मिल सकते हैं। PGS-India की आधिकारिक वेबसाइट pgsindia-ncof.gov.in पर जाकर आप पूरी प्रक्रिया, आवेदन फॉर्म और समूहों की जानकारी ले सकते हैं। NPOP के लिए APEDA की वेबसाइट apeda.gov.in पर सर्टिफिकेशन एजेंसियों की लिस्ट और नियम देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें। KVK में मुफ्त ट्रेनिंग और जैविक खेती की सलाह दी जाती है। जिला कृषि अधिकारी या पंचायत के जरिए भी आप सरकारी योजनाओं और सब्सिडी की जानकारी ले सकते हैं।

जैविक खेती से मुनाफे का रास्ता

जैविक खेती प्रमाणपत्र लेना हर उस किसान के लिए जरूरी है, जो अपने उत्पाद को सही दाम पर बेचना चाहता है। ये प्रमाणपत्र न सिर्फ आपके खेत को जैविक घोषित करता है, बल्कि बाजार में आपकी साख भी बढ़ाता है। PGS-India छोटे किसानों के लिए एक आसान और मुफ्त रास्ता है, जबकि NPOP निर्यात और बड़े बाजारों के लिए जरूरी है।

सही दस्तावेज, थोड़ी मेहनत और जैविक मानकों का पालन करके आप अपने उत्पादों को देश-विदेश में बेच सकते हैं। सरकार इस प्रक्रिया को और सरल बना रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान जैविक खेती से जुड़ें। तो देर न करें, आज ही अपने नजदीकी KVK या किसान समूह से संपर्क करें और अपने खेत को जैविक खेती का खजाना बनाएं।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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