धान की नर्सरी डालने से पहले बस एक काम कर लें, खरपतवार खुद भाग जाएंगे!

Paddy Nursery Tips In Hindi: जून का महीना आते ही किसान धान की रोपाई की तैयारी में जुट जाते हैं। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जैसे इलाकों में भी किसान धान की नर्सरी तैयार करने में व्यस्त हो चुके हैं। धान की अच्छी फसल के लिए नर्सरी का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है, लेकिन इसमें खरपतवार एक बड़ी मुसीबत बन जाते हैं। ये खरपतवार धान के पौधों के साथ पोषक तत्वों और पानी के लिए होड़ करते हैं, जिससे नर्सरी की ग्रोथ रुक सकती है।

अगर सही समय पर खरपतवार नियंत्रण और नर्सरी की तैयारी की जाए, तो धान की पैदावार बढ़ाना आसान हो जाता है। गाँव के किसानों के लिए कुछ आसान और वैज्ञानिक तरीके हैं, जिनसे नर्सरी को मजबूत और खरपतवार से मुक्त रखा जा सकता है।

नर्सरी के लिए खेत की तैयारी

धान की नर्सरी तैयार करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी ढीली और हवादार हो जाए। इसके बाद खेत में पानी भरकर पाटा चलाएं, ताकि जमीन एकदम समतल हो। समतल खेत में पानी बराबर फैलता है, जो नर्सरी के लिए जरूरी है। प्रति एकड़ 8-10 किलो गोबर की सड़ी हुई खाद या जैविक कम्पोस्ट डालें, ताकि मिट्टी को पोषण मिले। अगर मिट्टी में पुरानी घास या खरपतवार हैं, तो उन्हें जड़ से उखाड़कर हटा दें। कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि नर्सरी के लिए ऐसी जगह चुनें, जहां पानी की निकासी अच्छी हो और धूप भी पर्याप्त मिले।

बीज शोधन

नर्सरी की बुवाई से पहले बीज का शोधन करना बहुत जरूरी है। अच्छे बीज न सिर्फ अंकुरण को तेज करते हैं, बल्कि पौधों को बीमारियों से भी बचाते हैं। धान के बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर उन्हें छाया में सुखाएं। इसके बाद बीज को बाविस्टिन जैसे फफूंदनाशक दवा (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें। इससे बीज कीटों और फंगस से बचे रहते हैं। गाँव में कई किसान नमक के पानी का भी इस्तेमाल करते हैं। 10 लीटर पानी में 1 किलो नमक घोलकर बीज डालें, जो बीज तैरने लगें, उन्हें हटा दें। ये तरीका सस्ता और कारगर है।

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खरपतवार नियंत्रण का पहला कदम

नर्सरी में खरपतवार को रोकने के लिए बुवाई के समय ही सावधानी बरतनी चाहिए। खेत में पानी भरकर समतल करने के बाद 80-100 ग्राम पायराजोसल्फ्यूरॉन एथिल 10% WP प्रति एकड़ की दर से रेत के साथ मिलाकर बिखेर दें। ध्यान रखें कि 100 ग्राम से ज्यादा दवा का इस्तेमाल न करें, वरना बीज का अंकुरण प्रभावित हो सकता है। ये दवा खरपतवार को जड़ से रोकती है, जिससे धान के पौधों को पूरा पोषण मिलता है। गाँव के किसानों के लिए ये तरीका आसान है, क्योंकि रेत के साथ दवा मिलाकर छिड़कना ज्यादा मेहनत का काम नहीं।

खरपतवार नियंत्रण का दूसरा तरीका

अगर बुवाई के समय पायराजोसल्फ्यूरॉन एथिल का इस्तेमाल न कर पाएं, तो घबराने की जरूरत नहीं। नर्सरी की बुवाई के तीसरे दिन खेत में हल्का पानी भरें और 500 मिलीलीटर प्रिटिलाक्लोर 50% EC को रेत में मिलाकर पूरे खेत में छिड़काव करें। ये दवा खरपतवार को बढ़ने से रोकती है और धान के पौधों पर कोई बुरा असर नहीं डालती। इस तरीके से खरपतवार पूरी तरह काबू में रहते हैं, और नर्सरी स्वस्थ रहती है। गाँव में कई किसान इस दवा का इस्तेमाल कर चुके हैं और अच्छे नतीजे पा रहे हैं।

नर्सरी की देखभाल के टिप्स

नर्सरी तैयार होने के बाद उसकी देखभाल भी जरूरी है। बुवाई के बाद खेत में 2-3 सेंटीमीटर पानी बनाए रखें, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हों। ज्यादा पानी न भरें, वरना बीज सड़ सकते हैं। 10-12 दिन बाद जब पौधे छोटे हों, तो खेत का निरीक्षण करें। अगर कहीं खरपतवार दिखें, तो उन्हें तुरंत हाथ से उखाड़ दें। नर्सरी को तेज धूप और बारिश से बचाने के लिए हल्की छाया का इंतजाम कर सकते हैं। गाँव में किसान अक्सर पुआल या हरी नेट का इस्तेमाल करते हैं। नर्सरी के पौधे 25-30 दिन में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

इन आसान तरीकों से धान की नर्सरी को खरपतवार से मुक्त और स्वस्थ रखा जा सकता है। गाँव के किसानों के लिए ये टिप्स सस्ते और कारगर हैं। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि कार्यालय से संपर्क करें, ताकि सही बीज, दवाइयां, और सलाह मिल सके। सही नर्सरी तैयार करके आप धान की बंपर पैदावार ले सकते हैं और बाजार में अच्छी कीमत पा सकते हैं।

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  • Shashikant

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