Palak ki organic kheti kaise karen: पालक हमारे देश की सबसे पसंदीदा हरी सब्जियों में से एक है। उत्तर भारत में साग के रूप में इसकी माँग खूब रहती है। इसमें विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर होते हैं, जो सेहत के लिए वरदान हैं। जैविक खेती से पालक उगाना न सिर्फ मिट्टी और पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि इससे उगा पालक ज्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। सबसे बड़ी बात, पालक की खेती में लागत कम लगती है और यह 30 से 40 दिन में तैयार हो जाता है। बाजार में जैविक पालक की माँग बढ़ रही है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
जैविक खेती क्यों है खास
जैविक खेती का मतलब है बिना रासायनिक खाद और कीटनाशकों के खेती करना। इससे मिट्टी की ताकत बनी रहती है और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। जैविक पालक की सब्जी खाने वालों को बीमारियों से बचाती है, क्योंकि इसमें कोई जहरीला केमिकल नहीं होता। शहरों में लोग अब जैविक सब्जियों के लिए ज्यादा पैसे देने को तैयार हैं। इसलिए, किसान जैविक पालक उगाकर कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं। यह खेती न सिर्फ जेब भरती है, बल्कि धरती को भी हरा-भरा रखती है।

पालक के लिए सही मौसम और मिट्टी
पालक को ठंडा मौसम पसंद है। 15 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान इसके लिए बिलकुल सही है। ज्यादा गर्मी या ठंड इसकी पैदावार को नुकसान पहुँचा सकती है। इसीलिए सर्दियों में पालक की खेती सबसे अच्छी होती है। मिट्टी की बात करें, तो उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी इसके लिए बेस्ट है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत को तैयार करने के लिए गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट डालें और अच्छे से जुताई करके समतल कर लें। इससे पालक के पौधे मजबूत और तंदुरुस्त होंगे।
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पालक की उन्नत किस्में
पालक की कई उन्नत किस्में हैं, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाती हैं।
सेवाय पालक की पत्तियाँ घुंघरालेदार होती हैं और बड़े रेस्तराँ व शहरों में इसकी खूब माँग है।
पूसा हरित की पत्तियाँ गहरे हरे रंग की और चौड़ी होती हैं, जो पहाड़ी इलाकों के लिए शानदार है।
पूसा ज्योति पालक मुलायम और रसीली होती है, लेकिन इसे रोगों से बचाने के लिए थोड़ी सावधानी चाहिए।
एकेडिया की पत्तियाँ चमकदार और गहरे हरे रंग की होती हैं, जो देखने में भी अच्छी लगती हैं।
पंजाब ग्रीन पंजाब और आसपास के इलाकों में उगाई जाती है, जिसकी चमकीली पत्तियाँ ग्राहकों को खूब भाती हैं। अपनी जलवायु और मिट्टी के हिसाब से सही किस्म चुनें।
बुवाई और देखभाल का देसी तरीका
पालक की खेती शुरू करने के लिए अच्छे बीज चुनें। बुवाई से पहले बीजों को जैविक फफूंदनाशक, जैसे ट्राइकोडर्मा, से उपचारित करें। बीजों को 20-25 सेमी की दूरी पर बोएँ और मिट्टी को हल्के से दबाकर पानी दें। पालक को नियमित पानी चाहिए, लेकिन खेत में पानी जमा न होने दें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं। शुरुआत में हर 2-3 दिन में हल्की सिंचाई करें। फसल बढ़ने पर पानी का अंतराल बढ़ा सकते हैं। गोबर की खाद, नीम खली या जीवामृत डालकर पौधों को ताकत दें। खरपतवार से बचने के लिए जैविक मल्चिंग करें या हल्की निराई-गुड़ाई करें।
कीट और रोगों से बचाव
जैविक खेती में रासायनिक दवाओं की जगह देसी नुस्खे काम आते हैं। कीटों को भगाने के लिए नीम का तेल पानी में मिलाकर छिड़कें। ट्राइकोडर्मा या बीटी जैसे जैविक उपाय रोगों से बचाते हैं। पीले स्टिकी ट्रैप लगाकर कीटों को पकड़ सकते हैं। फसल चक्रीकरण, यानी हर बार अलग फसल उगाने से मिट्टी स्वस्थ रहती है और रोग कम लगते हैं। इन तरीकों से आपका पालक तंदुरुस्त और रोगमुक्त रहेगा।
कटाई और बाजार में कमाई
पालक की कटाई बुवाई के 30-40 दिन बाद शुरू हो जाती है। सुबह के समय पत्तियों को धीरे-धीरे तोड़ें, ताकि पौधे को नुकसान न हो। इससे पौधा दोबारा पत्तियाँ देता रहता है। जैविक पालक की माँग स्थानीय बाजारों, सुपरमार्केट्स, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खूब है। शहरों में लोग इसके लिए अच्छा दाम देने को तैयार रहते हैं। अपनी फसल को साफ और ताजा रखकर बेचें, ताकि ग्राहकों का भरोसा बढ़े।
Palak ki organic kheti kaise karen: प्यारे किसान भाई पालक की आर्गेनिक खेती न केवल आपके लिए लाभदायक है, बल्कि आप पालक की जैविक खेती कर बाजार में ऊंचे दामो में बेच कर खूब लाभ ले सकते हैं क्योंकि आज कल ऑर्गेनिक फार्मिंग खूब चर्चा में है लोग रसायनिक खाद और कीटनाशक वाले सब्जी खा कर बीमार हो रहे हैं इसीलिए लोग ऑर्गेनिक सब्जी ज्यादा खाना पसंद कर रहे हैं और हाँ अभी इसकी मांग कम है लेकिन आने वाला भविष्य जैविक खेती का ही है।
इस आर्टिकल में हमने Palak ki organic kheti kaise karen के बारें में सभी महत्चपूर्ण पहलूवों को बताने की कोशिस की है, अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया आप अन्य किसान भाईयों के साथ जरुर शेयर करें.
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