पाम ऑयल की खेती आजकल किसानों के लिए आय का टिकाऊ और भरोसेमंद जरिया बन रही है। खासकर छत्तीसगढ़ में यह फसल धूम मचा रही है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, पिछले चार सालों में छत्तीसगढ़ में 2,689 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर पाम ऑयल की खेती शुरू हो चुकी है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि यह फसल न केवल मुनाफेदार है, बल्कि लंबे समय तक आय देती है। यह फसल तीसरे साल से उत्पादन शुरू करती है और 25-30 साल तक चलती है। आइए जानें कि पाम ऑयल की खेती कैसे किसानों की किस्मत बदल रही है और इसे शुरू करने का सही तरीका क्या है।
पाम ऑयल की खेती क्यों है खास
पाम ऑयल एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग खाद्य और गैर-खाद्य उद्योगों में हमेशा रहती है। बिस्कुट, चॉकलेट, नूडल्स, स्नैक्स, साबुन, क्रीम, डिटर्जेंट, और जैव ईंधन में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, यह फसल कम उपजाऊ जमीन पर भी अच्छी पैदावार देती है। छत्तीसगढ़ में रायगढ़ के किसान राजेंद्र मेहर जैसे कई किसान इसकी खेती से अपनी बंजर जमीन को सोने में बदल रहे हैं। किसानों के अनुभव बताते हैं कि पाम ऑयल की खेती से प्रति हेक्टेयर 15-20 टन फल मिल सकते हैं, जिससे सालाना 2.5-3 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।
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सरकारी समर्थन और सब्सिडी
राष्ट्रीय तिलहन और ऑयल पाम मिशन के तहत केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को मुफ्त ट्रेनिंग और सब्सिडी दे रही है। प्रति हेक्टेयर 143 पौधे, जिनकी कीमत 29,000 रुपये है, मुफ्त दिए जाते हैं। पौधे लगाने, बाड़, सिंचाई, और रखरखाव की कुल लागत 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार 1-1 लाख रुपये की सब्सिडी देती हैं। बाकी राशि बैंक लोन से जुटाई जा सकती है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि ड्रिप इरिगेशन, वर्मी कंपोस्ट इकाइयों, और ट्रैक्टर ट्रॉलियों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी भी मिलती है। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, यह अनुदान लागत कम करता है और मुनाफा बढ़ाता है।
छत्तीसगढ़ में पाम ऑयल की प्रगति
छत्तीसगढ़ के 17 जिलों, जैसे बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, महासमुंद, और रायगढ़ में पाम ऑयल की खेती जोरों पर है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 2021-24 में 1,150 किसानों ने 1,600 हेक्टेयर पर और 2024-25 में 802 किसानों ने 1,089 हेक्टेयर पर यह फसल लगाई। महासमुंद जिला 611 हेक्टेयर के साथ सबसे आगे है। रायगढ़ के चक्रधरपुर के किसान राजेंद्र मेहर ने अपनी 10 एकड़ जमीन पर 570 पौधे लगाए और बागवानी विभाग की मदद से अपनी बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया। किसानों के अनुभव बताते हैं कि तकनीकी मार्गदर्शन और सरकारी समर्थन से यह खेती आसान और लाभकारी हो रही है।
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खेती का सही तरीका
पाम ऑयल की खेती (Palm Oil Farming) के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें, जिसका pH 6-7 हो। पौधों को 9x9x9 मीटर की दूरी पर लगाएँ। ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें, ताकि पानी की बचत हो और जड़ें स्वस्थ रहें। रोपण से पहले खेत में 10-15 टन गोबर की खाद डालें। किसानों के अनुभव बताते हैं कि पौधे तीसरे साल से फल देना शुरू करते हैं, और सही देखभाल से उपज हर साल बढ़ती है। वैज्ञानिक सलाह के अनुसार, पौधों के बीच सब्जियाँ या अन्य अंतर-फसलें उगाने से अतिरिक्त आय हो सकती है।
अनुदान और एमएसपी का लाभ
सरकार ने अनुबंध कंपनियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से फल खरीदने की व्यवस्था की है, जिसका भुगतान सीधे बैंक खातों में होता है। 2 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अंतर-फसलें उगाने वाले किसानों को बोरवेल के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी मिलती है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि यह व्यवस्था जोखिम कम करती है और आय को स्थिर रखती है। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, भारत का पाम ऑयल उत्पादन 2024-25 में 15% बढ़ा है और 2029-30 तक 28 लाख टन तक पहुँचने का लक्ष्य है।
पाम ऑयल की खेती शुरू करने से पहले स्थानीय बागवानी विभाग से संपर्क करें और मुफ्त ट्रेनिंग लें। प्रमाणित नर्सरी से पौधे खरीदें। छोटे स्तर पर शुरुआत करें और परिणाम देखकर बढ़ाएँ। ड्रिप इरिगेशन और जैव उर्वरक, जैसे जायटॉनिक पोटाश, का उपयोग करें। किसानों के अनुभव बताते हैं कि नियमित देखभाल और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर पाम ऑयल की खेती से मुनाफा दोगुना हो सकता है।
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