किसान भाइयों, पंगास (पंगेशियस) या प्यासी मछली पालन कम लागत में लाखों की कमाई का शानदार तरीका है। ये मीठे पानी की मछली उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय है। 6-8 महीने में 1-1.5 किलो की होकर 100-150 रुपये/किलो बिकती है। एक एकड़ तालाब से 15-20 टन मछली मिलती है, जिससे 4-5 लाख रुपये मुनाफा हो सकता है। कम ऑक्सीजन में जीवित रहने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण ये आसान है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) से 60% सब्सिडी मिलती है। आइए जानें इसे कैसे शुरू करें।
पंगास मछली की खासियत
पंगास (प्यासी) तेजी से बढ़ने वाली मीठे पानी की मछली है। प्रोटीन, विटामिन से भरपूर, ये होटल, रेस्तराँ, और निर्यात के लिए माँगी जाती है। कम काँटों और आसान प्रोसेसिंग के कारण लोकप्रिय है। कम ऑक्सीजन (2-3 mg/लीटर) और गंदे पानी में भी जीवित रहती है। एक एकड़ में 15-20 टन उत्पादन होता है, जो रोहू, कतला से 4-5 गुना ज्यादा है। इसे भारतीय कार्प (रोहू, मृगल) के साथ या बायोफ्लॉक में पाला जा सकता है। छोटे तालाबों में भी अच्छा उत्पादन देती है।
तालाब की तैयारी
पंगास पालन के लिए तालाब का सही डिज़ाइन जरूरी है। 0.5-1 एकड़ का तालाब बेस्ट है, जिसमें पानी की गहराई 1.5-2 मीटर हो। ज्यादा गहराई से मछली की वृद्धि कम हो सकती है, क्योंकि ये बार-बार सतह पर ऑक्सीजन लेने आती है।
जमीन: दोमट या चिकनी मिट्टी चुनें, रेतीली मिट्टी से बचें।
सफाई: तालाब से जलीय खरपतवार, छोटी मछलियाँ हटाएँ। 10-15 दिन सूखने दें, फिर 100-150 किलो चूना प्रति एकड़ डालें।
खाद: 1-2 टन गोबर खाद या 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट डालें। 4-5 दिन बाद पानी भरें।
पानी: बोरवेल या नहर का साफ पानी इस्तेमाल करें। pH 7.5-8 रखें। तालाब के पास बिजली और जलनिकासी की व्यवस्था हो।
तालाब निर्माण की लागत 2-3 लाख रुपये है, लेकिन PMMSY से 4-6 लाख रुपये सब्सिडी मिल सकती है। छोटे पैमाने पर 0.1-0.2 एकड़ से शुरू करें।
बीज और संचयन
पंगास के बीज (फिंगरलिंग्स) विश्वसनीय हैचरी या मत्स्य विभाग से लें। प्रति एकड़ 20,000-30,000 बीज (2-3 रुपये/बीज) चाहिए।
उपचार: बीज को पोटेशियम परमैग्नेट (2-3 ग्राम/10 लीटर पानी) में 5 मिनट डुबोएँ।
संचयन: सुबह या शाम को बीज तालाब में छोड़ें। गीले गमछे पर बीज रखकर धीरे-धीरे पानी में डालें।
घनत्व: इंटेंसिव फार्मिंग के लिए 30,000-40,000 बीज/एकड़ डाल सकते हैं।
जुलाई-अगस्त में बीज डालें, ताकि मॉनसून का फायदा मिले। सही बीज से जीवित रहने की दर 80-90% रहती है।
देखभाल और आहार के तरीके
पंगास को पौष्टिक आहार चाहिए। फ्लोटिंग फीड (30% प्रोटीन, CP, Godrej) 3-5% मछली के वजन के बराबर रोज 2-3 बार दें। हर महीने 500 किलो गोबर खाद और 75 किलो एनपीके खाद डालें। पानी का तापमान 25-30 डिग्री और ऑक्सीजन 3-5 mg/लीटर रखें। नीम तेल (5 मिलीलीटर/लीटर) या चूना (50 किलो/एकड़) हर 15 दिन में डालें। एयर पंप (10,000-20,000 रुपये) लगाएँ। सही देखभाल से 6-8 महीने में मछली 1-1.5 किलो की हो जाती है।
मछली पकड़ाई और बिक्री
6-8 महीने बाद मछली 1-1.5 किलो होने पर कटाई करें। सुबह जाल से मछलियाँ निकालें। एक एकड़ से 15-20 टन मछली मिलती है। लोकल मंडी, होटल, या निर्यातकों को 100-150 रुपये/किलो बेचें। Farmkart, BigBasket जैसे प्लेटफॉर्म या मछली प्रोसेसिंग यूनिट से संपर्क करें। जैविक पंगास को FSSAI सर्टिफिकेशन के साथ बेचने से 20-30% ज्यादा दाम मिलता है। WhatsApp, सोशल मीडिया से प्रचार करें।
कमाई होने का अनुमान
पंगास पालन में लागत 5-6 लाख रुपये/एकड़ (तालाब, बीज, आहार, रखरखाव) है। 15-20 टन मछली 120 रुपये/किलो से 18-24 लाख रुपये की कमाई देती है। मुनाफा 4-5 लाख रुपये प्रति सीजन (6-8 महीने)। PMMSY से सब्सिडी मिलने पर लागत 2-3 लाख कम हो सकती है। बायोफ्लॉक में 10,000 रुपये/टैंक से शुरू कर 1-2 लाख/सीजन कमा सकते हैं। 2-3 एकड़ पर 10-15 लाख सालाना कमाई संभव है।
क्या सावधानियाँ रखें
विश्वसनीय हैचरी से बीज लें। पानी की गुणवत्ता हर 15 दिन में जाँचें। ज्यादा बीज (50,000/एकड़ से ज्यादा) न डालें। मत्स्य कार्यालय या KVK से ट्रेनिंग लें। PMMSY, KCC से सब्सिडी और लोन लें। छोटे स्तर (0.1 एकड़) से शुरू करें। पंगास मछली पालन कम समय में आपकी मेहनत को लाखों की कमाई में बदल सकता है।
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