किसान भाइयों, सरसों रबी की प्रमुख तिलहनी फसल है, लेकिन खरीफ फसल की कटाई के बाद अगेती बुवाई से कम समय में अच्छी कमाई हो सकती है। गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर द्वारा विकसित पन्त पियूष सरसों की एक उन्नत अगैती किस्म है, जो 100-110 दिन में पककर 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
इसके दानों में 39-40% तेल होता है, जो तेल उद्योगों में इसकी मांग बढ़ाता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, और मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में यह किस्म खूब पसंद की जा रही है। यह किस्म कम समय में मुनाफा और खेत को जल्दी खाली करने का मौका देती है।
पन्त पियूष सरसों की खास विशेषताएँ
पन्त पियूष सरसों 25 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच बुवाई के लिए आदर्श है। यह जल्दी पकने वाली किस्म 100-110 दिन में तैयार होकर खेत को दूसरी फसल के लिए खाली कर देती है। इसके दाने मध्यम आकार के और चमकदार होते हैं, जिनमें 39-40% तेल की मात्रा इसे बाजार में खास बनाती है। यह किस्म झुलसा और सफेद रतुआ रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जिससे रासायनिक खर्च कम होता है। यह बीज उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है, जिससे किसान अपनी अगली फसल के लिए बीज बचा सकते हैं। यह उन किसानों के लिए वरदान है, जो खरीफ फसलों जैसे धान या मक्का के बाद तुरंत बुवाई शुरू करना चाहते हैं।

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खेती का वैज्ञानिक तरीका
पन्त पियूष सरसों की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है। खेत को एक गहरी जुताई के बाद दो-तीन हल्की जुताई और पाटा लगाकर नरम करें। बुवाई 30 सेंटीमीटर की पंक्ति दूरी और 10-12 सेंटीमीटर की पौध दूरी पर करें। प्रति हेक्टेयर 4-5 किलो बीज पर्याप्त हैं। खाद के लिए 20-25 टन गोबर खाद, 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, 40 किलो पोटाश, और 20 किलो सल्फर डालें।
आधी नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी 30 दिन बाद दें। बीज को ट्राइकोडर्मा (5 ग्राम/किलो) या कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो) से उपचारित करें, ताकि बीजजनित रोगों से बचाव हो। बुवाई के 25-30 दिन बाद पहली हल्की सिंचाई करें और फूल आने पर दूसरी सिंचाई दें। उत्तराखंड के पंतनगर में इस तकनीक से उपज 20% बढ़ी।
रोग और कीटों से बचाव
पन्त पियूष सरसों झुलसा और सफेद रतुआ रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, लेकिन सावधानी जरूरी है। सफेद रतुआ के लिए मैंकोजेब (2.5 ग्राम/लीटर) का छिड़काव करें। झुलसा रोग के लिए कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) और मैंकोजेब (2 ग्राम/लीटर) का मिश्रण उपयोगी है। माहूँ (एफिड) जैसे कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) का छिड़काव करें।
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खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालिन (1 किलो/हेक्टेयर) का प्री-इमर्जेंस छिड़काव करें। 15-20 दिन के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करें, ताकि पौधों को पोषण और हवा मिले। हरियाणा के हिसार में किसानों ने इन उपायों से उपज 15% बढ़ाई। फसल को 100-110 दिन में काटें, जब पत्तियाँ पीली पड़ने लगें।
मुनाफे का सुनहरा अवसर
पन्त पियूष सरसों की अगेती बुवाई से किसान जनवरी में फसल बेचकर 6000-8000 रुपये/क्विंटल का दाम पा सकते हैं। प्रति हेक्टेयर 1.2-1.5 लाख रुपये का मुनाफा संभव है, क्योंकि लागत 30,000-40,000 रुपये/हेक्टेयर आती है। इसका 39-40% तेल कंटेंट तेल और खल उद्योगों में मांग बढ़ाता है।
मध्य प्रदेश के भोपाल में किसानों ने इस किस्म से स्थिर आय और रोगों से कम नुकसान की सराहना की। किसान भाई GB पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर, या नजदीकी ICAR केंद्र से प्रमाणित बीज और सलाह लें। पन्त पियूष की खेती से कम समय में बंपर मुनाफा कमाएँ और अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।
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