अप्रैल में करें इस विधि से पपीते की खेती, होगा 12 लाख तक सालाना मुनाफा!

Papita Ki Kheti : अगर आप अपने खेत से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो अप्रैल का महीना पपीते की खेती के लिए एकदम सही है। उत्तरी भारत में अप्रैल और मई का मौसम पपीते की खेती के लिए बेस्ट माना जाता है। इस वक्त खेत में पपीते का पौधा लगाएँ, और देखते-देखते आपकी मेहनत रंग लाएगी। पपीते की खेती की खास बात ये है कि इसे कम पानी चाहिए, देखभाल आसान है, और मुनाफा बंपर मिलता है। बाजार में इसकी माँग हमेशा ऊँची रहती है, चाहे फल हो, सब्जी हो, या जूस। तो आइए, इस फायदे के सौदे को समझें और खेती का सही तरीका जानें।

पपीता ऐसा फल है, जो हर तरह से काम आता है। सलाद में खाओ, जूस निकालो, सब्जी बनाओ, या जैम-आचार तैयार करो – हर रूप में ये लाजवाब है। सेहत के लिए भी ये किसी खजाने से कम नहीं। पाचन को दुरुस्त करता है, कब्ज को भगाता है, और पेट, लीवर, दिल की बीमारियों में फायदा देता है। हाँ, शुरू में इसकी खेती में थोड़ा खर्चा जरूर है, लेकिन एक बार पेड़ लग जाए, तो 2 साल तक फल देता है। मतलब, एक बार मेहनत करो और दो साल तक कमाई पक्की। ऊपर से सरकार भी सब्सिडी देती है, तो लागत और कम हो जाती है।

पपीते की बेस्ट किस्में चुनें

पपीते की कई शानदार किस्में हैं, जो अच्छी पैदावार देती हैं। पूसा नन्हा छोटे खेतों के लिए बेस्ट है, कद छोटा लेकिन फल खूब देता है। सूर्या और पूसा डेलिशियस स्वाद में कमाल हैं, खाने वाले तारीफ करते नहीं थकते। पूसा जायंट बड़े-बड़े फल देता है, और पूसा मेजेस्टी रोगों से लड़ने में माहिर है। रेड लेडी 786, सीओ-5 और सीओ-2 भी किसानों की पसंदीदा हैं। इन किस्मों से फल ज्यादा मिलते हैं, और बाजार में दाम भी अच्छा मिलता है। अपने खेत की मिट्टी और मौसम को देखकर इनमें से कोई भी चुनें।

नर्सरी तैयार करने का आसान तरीका

पपीते की खेती शुरू करने से पहले नर्सरी बनानी पड़ती है। सबसे पहले खेत की जुताई करके खरपतवार साफ करें। फिर 3-4 इंच की दूरी पर क्यारियाँ बनाएँ। इन क्यारियों को 10% फार्मेल्डिहाइड के घोल से ट्रीट करें, ताकि कीटाणु मर जाएँ। बीज को 3 ग्राम केप्टान प्रति किलो की दर से उपचारित करें, छाया में सुखाएँ, और फिर 4-5 सेंटीमीटर की दूरी पर आधा सेंटीमीटर गहराई में बो दें। बुवाई के बाद हर 2-3 दिन में फव्वारा विधि से हल्की सिंचाई करें। जब पौधे 20-25 सेंटीमीटर के हो जाएँ, तो उन्हें मुख्य खेत में रोपने के लिए तैयार समझें। ये छोटी सी मेहनत पौधों को मजबूत बनाती है।

खेत को ऐसे करें तैयार

पपीते की रोपाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। प्रति एकड़ 12 ट्रॉली गोबर की खाद डालें। ट्रैक्टर, कल्टीवेटर या रोटावेटर से 2-3 बार जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। फिर लेजर लैंड लेवलर से खेत को समतल करें, जिससे पानी का ठहराव न हो। अब 5 फीट चौड़ी क्यारियाँ बनाएँ। इनमें 1.5×1.5 मीटर की दूरी पर 50x50x50 सेंटीमीटर के गड्ढे खोदें। हर गड्ढे में 30 ग्राम BHC 10% डस्ट मिलाएँ, और 15 दिन तक खुला छोड़ दें। ये तरीका मिट्टी को कीड़ों से बचाता है और पौधों के लिए सही माहौल बनाता है।

रोपाई का सही तरीका

जब पौधे 6-8 इंच के हो जाएँ और उनमें 3-4 पत्तियाँ आ जाएँ, तो उन्हें मुख्य खेत के गड्ढों में रोपें। पौधों के बीच 1.8 मीटर की दूरी रखें, ताकि हर पौधे को बढ़ने की जगह मिले। रोपाई सुबह या शाम को करें, जिससे गर्मी का असर न पड़े। गड्ढों को मिट्टी, सड़ी गोबर की खाद और 1 किलो नीम खली से भरें। रोपाई के बाद गड्ढों को ढक दें, ताकि पानी तने से न लगे। ये छोटे-छोटे कदम पौधों को जल्दी जड़ पकड़ने में मदद करते हैं, और ग्रोथ अच्छी होती है।

खाद और सिंचाई का ध्यान

रोपाई के बाद गड्ढों की पहली सिंचाई करें। शुरू में पौधे अच्छे से जमने तक हर दिन दोपहर बाद हल्का पानी दें। हर पौधे को साल में एक बार 20-25 किलो गोबर की खाद दें। सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए जिंक सल्फेट (0.5%) और बोरेक्स (0.1%) का छिड़काव करें। गर्मी में हफ्ते में 2-3 बार जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें। सर्दियों में 7-10 दिन में एक बार पानी देना काफी है। सही खाद और पानी से पौधे लहलहाते हैं, और फल बढ़िया आते हैं।

पैदावार और मुनाफे का हिसाब

पपीते की रोपाई के 9-10 महीने बाद पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है। इसके बाद 2 साल तक पेड़ फल देता रहता है। एक पेड़ से 80 किलो से 1.5 क्विंटल तक फल मिल सकता है। एक एकड़ में 700-750 पौधे लगते हैं, जिनकी लागत करीब 1.5 लाख रुपये आती है। सही देखभाल और उन्नत किस्मों से 2 साल में 10-12 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। बाजार में पपीते का दाम अच्छा मिलता है, और सरकार की सब्सिडी से लागत भी कम हो जाती है। मतलब, मेहनत का फल और जेब में माल, दोनों पक्के।

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  • Shashikant

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