प्यारे किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत हर रसोई को स्वाद देती है। परवल एक ऐसी सब्जी है, जो हर घर की पसंद है। मचान बनाकर इसकी खेती करने से जगह बचती है और फसल ज्यादा मिलती है। अक्टूबर में बुवाई करें, तो अप्रैल, मई, जून में फल लहलहाते हैं। मचान से बेलें हवा में लटकती हैं, जिससे फल साफ-सुथरे और कीटों से बचे रहते हैं। ये फसल 2-3 साल तक कमाई देती है। आइए, समझें कि मचान बनाकर परवल की खेती कैसे करें।
परवल और मचान का फायदा
परवल की बेलें मचान पर चढ़ने से जमीन की बचत होती है और फल ज्यादा लगते हैं। ये फसल एक बार लगाओ, तो 2-3 साल तक फल देती है। अक्टूबर में बुवाई के बाद अप्रैल से जून तक फल मिलते हैं। एक हेक्टेयर से 100-150 क्विंटल परवल मिल सकता है, जो 30-50 रुपये किलो बिकता है। मचान की वजह से फल धूप और हवा पाते हैं, जिससे बीमारी कम लगती है। फल जमीन से दूर रहते हैं, तो सड़न और कीटों का डर घटता है। ये खेती कम मेहनत में बड़ा फायदा देती है। अभी अप्रैल शुरू हो रहा है, तो पिछले साल की बुवाई अब फल देगी।
खेत और मचान तैयार करने का तरीका
परवल के लिए दोमट या बलुई मिट्टी चाहिए, जहाँ पानी जमा न हो। खेत को हल से 2-3 बार जोतें और प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालें। मचान बनाने के लिए बाँस, लकड़ी, या लोहे के पाइप लें। 6-8 फीट ऊँचा मचान बनाएँ—चौड़ाई 4-5 फीट और लंबाई खेत के हिसाब से। बाँस को 2-3 फीट की दूरी पर गाड़ें और ऊपर जाल या रस्सी बाँधें, ताकि बेलें चढ़ सकें। मचान मजबूत बनाएँ, ताकि हवा से न गिरे। पुराने बाँस या टहनियों से भी काम चल सकता है—सस्ता और आसान। मिट्टी का pH 6-7 रखें। अक्टूबर में ये तैयारी करें।
बुवाई और रोपण का देसी ढंग
परवल की बुवाई अक्टूबर में करें। बीज से नर्सरी तैयार करें—प्रति हेक्टेयर 2-3 किलो बीज चाहिए। बीज को 24 घंटे पानी में भिगो दें, फिर दोमट मिट्टी में 1-2 सेमी गहरा बोएँ। 20-25 दिन में पौधे तैयार हों, तो मचान के पास 2-3 फीट की दूरी पर रोपें। ‘पुसा हाइब्रिड’ या लोकल किस्में लें। कटिंग से लगाना हो, तो पुरानी बेल की 2-3 गांठ वाली टहनी काटकर रोपें। रोपाई के बाद हल्का पानी दें। ठंड में बेलें बढ़ती हैं और गर्मी में फल देती हैं। अप्रैल-मई-जून में फल शुरू होंगे। मचान की जड़ों के पास मिट्टी ढीली करें।
देखभाल और खाद-पानी का इंतजाम
परवल को ठंड में नमी और गर्मी में पानी चाहिए। अक्टूबर में रोपाई के बाद हफ्ते में 1-2 बार पानी दें। अप्रैल-जून में फल लगने पर पानी बढ़ाएँ—ड्रिप सिस्टम से बचत होती है। गोबर की खाद (10 टन) पहले डालें, फिर हर 2-3 महीने बाद नीम की खली (1-2 टन) या वर्मी कम्पोस्ट (1 टन) डालें। नाइट्रोजन के लिए यूरिया (50 किलो) और फॉस्फोरस के लिए DAP (40 किलो) मिलाएँ। बेलें मचान पर चढ़ने लगें, तो रस्सी से बाँधें। कीट जैसे फल मक्खी या लाल कीड़े लगें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। खरपतवार हटाएँ और मचान की जाँच करते रहें।
कटाई और कमाई का हिसाब
अक्टूबर की बुवाई अप्रैल से फल देती है। जब परवल 10-15 सेमी लंबा और हरा हो, तो सुबह कैंची से तोड़ें। हफ्ते में 2-3 बार तोड़ाई करें। एक हेक्टेयर से 100-150 क्विंटल उपज मिलती है। लागत 20,000-30,000 रुपये (मचान, बीज, खाद) आती है। बाजार में 30-50 रुपये किलो के हिसाब से 3-7 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। पहले साल मचान का खर्चा लगेगा, मगर बाद में सिर्फ देखभाल से फायदा बढ़ेगा। ये फसल 2-3 साल तक चलती है। गाँव से शहर तक इसकी डिमांड रहती है।
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