Parwal HP-1 Variety ki kheti: क्या आप ऐसी फसल की तलाश में हैं, जो कम मेहनत और कम समय में जेब भर दे? मुरादाबाद के खेतों में इन दिनों परवल की HP-1 किस्म की खेती खूब चर्चा में है। ये फसल सिर्फ 60-70 दिन में तैयार हो जाती है, और मुनाफा इतना कि किसानों की आँखें चमक उठती हैं। मुरादाबाद में धीरे-धीरे ज्यादा से ज्यादा किसान इस खेती की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि ये न सिर्फ आसान है, बल्कि लागत भी कम लगती है। आइए, जानते हैं कि परवल की HP-1 किस्म की खेती कैसे की जाती है, और ये मुरादाबाद के किसानों के लिए क्यों बन रही है गेम-चेंजर।
परवल की HP-1 किस्म के फायदे
परवल की HP-1 किस्म (Parwal HP-1 Variety ki kheti) को खास तौर पर ज्यादा पैदावार और कम देखभाल के लिए जाना जाता है। मुरादाबाद के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर दीपक मेहंदीरत्ता बताते हैं कि ये किस्म हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है, बशर्ते पानी का निकास अच्छा हो। ये फसल 60-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे साल में दो-तीन बार खेती की जा सकती है। सबसे बड़ी बात, ये किस्म कीटों और बीमारियों से कम प्रभावित होती है, यानी कीटनाशकों पर खर्चा कम। एक हेक्टेयर में 200-250 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है, और बाजार में परवल का दाम 30-50 रुपये प्रति किलो तक मिलता है। यानी मुनाफा लाखों में!
खेती शुरू करने का देसी तरीका
परवल की खेती शुरू करना बिल्कुल आसान है। फरवरी-मार्च का महीना इसकी बुवाई के लिए सबसे अच्छा है, जब मौसम गर्म और नम होता है। सबसे पहले खेत को अच्छे से जोत लें और उसमें गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। HP-1 किस्म की जड़ की कटिंग्स या अच्छे बीज स्थानीय नर्सरी से ले सकते हैं। पौधों के बीच 1 मीटर की दूरी रखें, ताकि बेलें अच्छे से फैलें।
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परवल की बेलों को सहारा देना जरूरी है। इसके लिए बाँस की टहनियों या तार की जाली का देसी जुगाड़ काम आता है। खेत में नमी बनाए रखने के लिए हफ्ते में 1-2 बार पानी दें। अगर ड्रिप इरिगेशन की सुविधा हो, तो पानी की बचत भी होगी। मुरादाबाद के किसान बताते हैं कि शुरुआती देखभाल के बाद ये फसल अपने आप बढ़ने लगती है।
लागत कम, कमाई ज्यादा
परवल की HP-1 किस्म की खेती में लागत बहुत कम आती है। एक हेक्टेयर में खेती शुरू करने का खर्चा करीब 50,000-60,000 रुपये होता है, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है। लेकिन कमाई की बात करें, तो ये लाखों में हो सकती है। अगर 200 क्विंटल की पैदावार होती है, और बाजार में औसतन 40 रुपये प्रति किलो का दाम मिलता है, तो कुल कमाई 8 लाख रुपये तक हो सकती है। लागत निकालने के बाद भी 7 लाख से ज्यादा का मुनाफा! मुरादाबाद के बाजारों में परवल की डिमांड हमेशा रहती है, और HP-1 किस्म की चमक और स्वाद की वजह से ग्राहक इसे खूब पसंद करते हैं।
कीट और बीमारियों से बचाव
HP-1 किस्म की खेती में कीटों और बीमारियों का खतरा कम होता है, लेकिन बारिश के मौसम में सावधानी बरतनी पड़ती है। फल मक्खी या डाउनी मिल्ड्यू जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसके लिए नीम के तेल या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। खेत में पानी जमा न होने दें, और बेलों की समय-समय पर छँटाई करते रहें। अगर जैविक खेती करना चाहते हैं, तो गोमूत्र और नीम की पत्तियों का मिश्रण बनाकर छिड़काव करें। इससे फसल सुरक्षित रहती है, और बाजार में जैविक परवल का दाम भी ज्यादा मिलता है।
मुरादाबाद में बढ़ता रुझान
मुरादाबाद के बिलारी और आसपास के इलाकों में परवल की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यहाँ की मिट्टी और गर्म-नम जलवायु परवल की बेलों के लिए एकदम सही है। मुरादाबाद से दिल्ली और लखनऊ जैसे बड़े शहरों की नजदीकी की वजह से फसल को बाजार तक पहुँचाना आसान है। स्थानीय किसान बताते हैं कि इस खेती ने उनकी आमदनी को दोगुना कर दिया है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और बेहतर तकनीकों की मदद से किसान अब इसे और बड़े स्तर पर कर रहे हैं।
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