बढती गर्मी और कम पानी से पशुओं का हरा चारा हो गया है खत्म, अपने घर पर बनाइए ये जबरदस्त पशुआहार!

गर्मी का मौसम पशुओं के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। बढ़ता तापमान उनकी भूख को कम करता है, लेकिन शरीर को अधिक ऊर्जा और पोषण की आवश्यकता होती है। अगर इस समय पशुओं को संतुलित और स्वादिष्ट आहार न मिले, तो उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, दूध उत्पादन कम हो सकता है, और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। पौष्टिक चारा चूरमा एक देसी और प्रभावी समाधान है, जो सस्ता, सुलभ, और पशुओं के लिए पोषक है। यह लेख गर्मी में चारा चूरमा बनाने की विधि, इसके फायदे, और पशुओं को खिलाने के तरीके की पूरी जानकारी देगा, ताकि 2025 की गर्मी में पशुपालक अपने पशुओं का स्वास्थ्य और उत्पादकता बनाए रख सकें।

क्या है चारा चूरमा

चारा चूरमा एक मिश्रित पशु आहार है, जिसमें सूखा और हरा चारा, अनाज का आटा, खल, गुड़, नमक, और अन्य पोषक तत्व शामिल होते हैं। इसका स्वाद पशुओं को आकर्षित करता है, जिससे वे गर्मी में भी पर्याप्त मात्रा में भोजन ग्रहण करते हैं। यह आहार पशुओं को ऊर्जा, प्रोटीन, और खनिज प्रदान करता है, साथ ही शरीर को ठंडक देता है। चारा चूरमा पाचन को बेहतर बनाता है और दूध उत्पादन को बढ़ाता है। यह गाय, भैंस, बछड़े, और बकरी जैसे पशुओं के लिए उपयुक्त है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह देसी तकनीक लंबे समय से उपयोग की जाती है और 2025 में भी इसका महत्व बढ़ रहा है।

आवश्यक सामग्री की तैयारी

एक सामान्य चारा चूरमा तैयार करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की ज़रूरत होती है:

  1. सूखा चारा (भूसा/गेंहू का ठूंठ): 5 किलो

  2. हरा चारा (बरसीम, नेपियर, मक्का आदि): 2 किलो

  3. मूंगफली या सरसों की खल: 1 किलो

  4. गुड़ (टुकड़ों में): 250 ग्राम

  5. चावल या गेहूं का आटा: 500 ग्राम

  6. चुना या खनिज मिश्रण: 50 ग्राम

  7. नमक (सादा या सेंधा): 50 ग्राम

  8. पानी: आवश्यकतानुसार

अतिरिक्त पोषण के लिए अजवाइन, मेथी, या धनिया पाउडर थोड़ी मात्रा में मिला सकते हैं। ये सामग्री स्थानीय बाजारों या खेतों से आसानी से मिल जाती हैं। सामग्री की गुणवत्ता जांचें और नमी या फफूंद से बचाएं।

चारा चूरमा बनाने की प्रक्रिया

चारा चूरमा बनाना सरल और समय बचाने वाला है। सबसे पहले सूखा और हरा चारा लें और इन्हें बारीक काट लें ताकि पशु आसानी से चबा सकें। मशीन या हस्तचालित कटर का उपयोग करें। एक साफ टब, प्लास्टिक शीट, या बड़े बर्तन में चारा फैलाएं। खल, गुड़, आटा, नमक, और चुना को गुनगुने पानी में घोलकर गाढ़ा मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को चारे पर धीरे-धीरे डालें और हाथों या लकड़ी के डंडे से अच्छी तरह मिलाएं, ताकि नमी और पोषक तत्व समान रूप से फैलें।

मिश्रण को 15-20 मिनट तक ढककर रखें, जिससे गुड़ और खल चारे में अच्छी तरह समा जाएं। अब चूरमा तैयार है। इसे तुरंत पशुओं को खिलाएं या छायादार, ठंडी जगह पर 1-2 दिन तक स्टोर करें। स्टोर करते समय हवादार थैलों का उपयोग करें और नमी से बचाएं, क्योंकि गर्मी में नम चूरमा जल्दी खराब हो सकता है।

पशुओं को खिलाने की विधि

चारा चूरमा पूरक आहार है, जिसे सूखे और हरे चारे के साथ संतुलित मात्रा में देना चाहिए। गाय या भैंस को प्रतिदिन 4-5 किलोग्राम चूरमा दे सकते हैं। यह मात्रा पशु के वजन और दूध उत्पादन पर निर्भर करती है। बछड़ों को 0.5-1 किलोग्राम और बकरी या भेड़ को 0.3-0.5 किलोग्राम चूरमा दें। इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम, खिलाएं। चूरमा देने से पहले ताजा पानी उपलब्ध कराएं, क्योंकि गर्मी में पशुओं को निर्जलीकरण का खतरा रहता है।

चूरमा को अन्य चारे के साथ मिलाकर देना बेहतर है। उदाहरण के लिए, 2 किलो चूरमा को 3-4 किलो सूखे चारे के साथ मिलाएं। यदि पशु कम खा रहे हैं, तो मात्रा कम करें और धीरे-धीरे बढ़ाएं। चूरमा खिलाने से पहले उसकी गंध और बनावट जांचें। खट्टा या फफूंदयुक्त चूरमा न दें।

चारा चूरमा के पोषण लाभ

चारा चूरमा पशुओं के लिए कई तरह से फायदेमंद है। इसमें कार्बोहाइड्रेट (आटा, गुड़), प्रोटीन (खल), रेशे (चारा), और खनिज (चुना, नमक) का संतुलन होता है, जो गर्मी में ऊर्जा और पोषण की कमी को पूरा करता है। गुड़ और नमक शरीर को ठंडक देते हैं और लू से बचाते हैं। हरा चारा विटामिन A और E प्रदान करता है, जो त्वचा और प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।

यह आहार पाचन को बेहतर बनाता है, क्योंकि गर्मी में पशुओं का पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है। अजवाइन और मेथी जैसे मसाले पाचन एंजाइमों को सक्रिय करते हैं। नियमित चूरमा देने से दूध उत्पादन 10-15% तक बढ़ सकता है, क्योंकि यह पशुओं की ऊर्जा और प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करता है। चूरमा का स्वाद पशुओं को आकर्षित करता है, जिससे वे गर्मी में भी पर्याप्त भोजन करते हैं।

गर्मी में पशुओं की अतिरिक्त देखभाल

चारा चूरमा के साथ-साथ गर्मी में पशुओं की देखभाल के लिए अतिरिक्त उपाय जरूरी हैं। पशुओं को दिन में 2-3 बार ठंडा और साफ पानी पिलाएं। पानी में थोड़ा नमक या गुड़ मिलाने से पशु अधिक पानी पीते हैं। पशुशाला को छायादार और हवादार रखें। छत पर घास या पॉलिथीन की चटाई डालें ताकि गर्मी कम हो। दिन में 1-2 बार पशुओं के शरीर पर ठंडा पानी छिड़कें, खासकर दोपहर में।

पशुशाला की नियमित सफाई करें और मल-मूत्र को हटाएं, क्योंकि गर्मी में बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं। चारा और पानी के बर्तनों को रोज धोएं। पशुओं को सुबह और शाम के ठंडे समय में चारा दें। यदि पशु कमजोर या बीमार दिखें, तो पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

लागत और संसाधन का लेखा जोखा

चारा चूरमा बनाने में प्रति 10 किलोग्राम मिश्रण की लागत 100-150 रुपये आती है। इसमें भूसा (30-40 रुपये), हरा चारा (20-30 रुपये), खल (30-40 रुपये), गुड़ (10-15 रुपये), और अन्य सामग्री (10-20 रुपये) शामिल हैं। यह लागत स्थानीय उपलब्धता पर निर्भर करती है। 10 गायों के लिए महीने में 3,000-4,500 रुपये की लागत से चूरमा तैयार किया जा सकता है। इसके बदले दूध उत्पादन में 10-15% की वृद्धि से 5,000-10,000 रुपये अतिरिक्त आय हो सकती है।

गर्मी में पशुओं के लिए पौष्टिक चारा चूरमा एक देसी और प्रभावी उपाय है, जो पोषण, ठंडक, और दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। इसे बनाने में स्थानीय सामग्री का उपयोग होता है, जो सस्ती और सुलभ है। सही देखभाल और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर पशुपालक अपने पशुओं का स्वास्थ्य और आय बढ़ा सकते हैं। 2025 की गर्मी में चारा चूरमा अपनाएं और पशुपालन को समृद्ध बनाएं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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