कम मेहनत, तगड़ा फायदा! मटर की इस किस्म ने मचाया तहलका

Peas Eagle Gold GS-10 Variety: गाँव की मिट्टी और किसान की मेहनत का कोई जवाब नहीं। हमारे देश के किसान भाई नई तकनीकों और उन्नत किस्मों को अपनाकर खेती को और लाभकारी बना रहे हैं। आज हम बात करेंगे मटर की एक ऐसी किस्म की, जो कम खर्च में मोटा मुनाफा दे रही है। यह है ईगल गोल्ड जीसी-10, जो छत्तीसगढ़ से लेकर उत्तर भारत के खेतों में अपनी पहचान बना रही है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इस किस्म की खेती कैसे करें और कैसे आप भी इसे अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

मटर की खेती का नया दौर

सर्दियों का मौसम मटर की खेती के लिए सबसे मुफीद होता है। खेतों में हरियाली छा जाती है और मटर की फलियां बाजार में अच्छा दाम लाती हैं। लेकिन अब पुराने तरीकों से काम नहीं चलता। ईगल गोल्ड जीसी-10 जैसी उन्नत किस्म ने खेती को आसान और फायदेमंद बना दिया है। यह किस्म सिर्फ 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है, यानी आप जल्दी फसल बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। छत्तीसगढ़ के एक किसान श्यामलाल ने इस किस्म को अपनाया और अपने छोटे से खेत से 40 हजार रुपये का मुनाफा कमाया। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सही किस्म चुनने से मेहनत रंग लाती है।

इस किस्म की खासियत

ईगल गोल्ड जीसी-10 की सबसे बड़ी खासियत है इसके बड़े, रसीले और मीठे दाने। बाजार में इनकी खूब मांग रहती है। यह किस्म रोगों के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी है, जिससे कीटनाशकों पर खर्च कम होता है। सामान्य मिट्टी और कम पानी में भी यह अच्छी पैदावार देती है। सर्दियों में अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में इसकी बुवाई शुरू कर सकते हैं। अगर आपके पास ड्रिप सिंचाई है, तो पानी की बचत के साथ फसल को सही नमी मिलती है। इसकी फलियां चमकीली और आकर्षक होती हैं, जो सब्जी मंडियों में जल्दी बिक जाती हैं।

खेती का आसान तरीका

मटर की खेती शुरू करने के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करें। दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा कर लें। गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें, इससे मिट्टी की सेहत सुधरती है। जैविक खाद का इस्तेमाल अब कई किसान कर रहे हैं, और यह फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है। बुवाई के लिए प्रमाणित बीज लें, जो कृषि केंद्रों पर मिल जाते हैं। बीज को 4-5 घंटे गुनगुने पानी में भिगो लें, इससे अंकुरण तेज होता है। पंक्तियों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें ताकि पौधों को बढ़ने की जगह मिले। पहली सिंचाई बुवाई के बाद करें और फिर 10-12 दिन बाद पानी दें। खेत में पानी जमा न होने दें।

देखभाल और कीट नियंत्रण

फसल की देखभाल में खरपतवार हटाना जरूरी है। समय-समय पर निराई करें ताकि पौधों को पूरा पोषण मिले। इस किस्म में कीटों की समस्या कम होती है, लेकिन सावधानी बरतें। अगर पत्तियों पर कीड़े दिखें, तो नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। यह पर्यावरण और फसल दोनों के लिए सुरक्षित है।

बाजार में मुनाफा

इस किस्म की मटर बाजार में 3000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकती है। सर्दियों में मांग बढ़ने से छोटे खेत से भी 40-50 हजार का मुनाफा हो सकता है। कई किसान अब समूह बनाकर सीधे शहरों में फसल बेच रहे हैं, जिससे बिचौलियों का खर्च बचता है। कोल्ड स्टोरेज की सुविधा हो, तो और बेहतर दाम मिल सकता है।

सरकारी मदद

सरकार मटर की खेती के लिए सब्सिडी दे रही है। ड्रिप सिंचाई या जैविक खेती के लिए अपने कृषि विभाग से संपर्क करें। ये योजनाएं छोटे किसानों के लिए वरदान हैं।

ईगल गोल्ड जीसी-10 कम लागत में मुनाफा देने वाली किस्म है। मेहनत और सही जानकारी के साथ आप अपने खेत को समृद्ध बना सकते हैं। जैसा कि गाँवों में कहते हैं, “मिट्टी की ताकत और मेहनत का फल कभी बेकार नहीं जाता।” तो इस सीजन मटर की खेती शुरू करें और मुनाफा कमाएं।

ये भी पढ़ें- इस तरह करें बैंगन की खेती, चार साल तक जबरदस्त पैदावार! जानिए कृषि वैज्ञानिक का सीक्रेट

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment