किसान भाईयों, खेती किसानी के बदलते दौर में लोग ऐसी फसलें ढूंढ रहे हैं, जिनमें मेहनत कम हो और मुनाफा ज्यादा। ऐसी ही एक फसल है पेठा, जिसे आम भाषा में सफेद कद्दू भी कहा जाता है। पेठा का इस्तेमाल मिठाई बनाने में होता है, और इसकी मांग साल भर बनी रहती है। अगर किसान भाई थोड़ी समझदारी और सही तरीका अपनाएं, तो पेठा की खेती से कम समय में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आइये जानते है विस्तार से पेठा की खेती कैसे करें।
पेठा क्या है और क्यों फायदेमंद है?
पेठा एक तरह की बेल वाली फसल है जो जमीन पर फैलती है। इसके फल बड़े, सफेद और भारी होते हैं। सबसे खास बात ये है कि इसकी मिठाई “आगरा का पेठा” देश-विदेश में मशहूर है। यही वजह है कि मार्केट में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। साथ ही यह फसल ज्यादा देखभाल भी नहीं मांगती और बुवाई के 3 महीने के अंदर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।
पेठा उगाने के लिए मिट्टी और मौसम कैसा हो?
पेठा की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे सही मानी जाती है। मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.5 के बीच हो तो अच्छा उत्पादन मिलता है। खेत में पानी निकासी का अच्छा इंतजाम जरूरी है क्योंकि पेठा की जड़ें पानी में सड़ सकती हैं।बात करें मौसम की, तो फरवरी से मार्च और जून से जुलाई इसका सही समय होता है। गर्मियों की फसल में ज्यादा फायदा होता है क्योंकि तब बाजार में मांग भी ज्यादा होती है।
बीज का चुनाव और बुवाई कैसे करें?
बीज का चुनाव करते वक्त हमेशा सर्टिफाइड और अच्छी गुणवत्ता वाले बीज ही लें। चाहे तो किसी सरकारी कृषि केंद्र या अनुभवी किसान से सलाह लेकर बीज चुनें। बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक या नीम के घोल में भिगो लेना चाहिए ताकि बीमारियों से बचाव हो सके।पेठा की बुवाई आप कतारों में करें। पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 2 फीट और कतारों के बीच 6 फीट रखें। इससे बेलों को फैलने की जगह मिलती है और धूप व हवा का सही संचार होता है।
खाद और सिंचाई का सही तरीका
खेती की शुरुआत में खेत में 10 से 15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद डालें। इसके अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की जरूरत अनुसार मात्रा डालनी चाहिए। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें, फिर 7 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। लेकिन बारिश के मौसम में जरूरत से ज्यादा पानी न दें वरना जड़ें खराब हो सकती हैं।
पेठा की देखभाल और रोग प्रबंधन
बेलों को समय-समय पर सहारा देते रहना चाहिए ताकि फल जमीन से दूर रहें और जल्दी खराब न हों। खेत की निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार न पनपे। अगर पत्तियों पर कीड़े या फफूंदी नजर आए तो जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।अगर ज़रूरत पड़े तो सीमित मात्रा में रासायनिक दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन जैविक खेती को प्राथमिकता दें इससे लागत भी कम रहती है और मिट्टी की सेहत भी बनी रहती है।
उत्पादन और मुनाफा कितना होता है?
पेठा की फसल से एक बीघा जमीन में 80 से 100 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है। बाजार में भाव 8 से 12 रुपये प्रति किलो के बीच रहता है। इस हिसाब से एक बीघा में 60,000 से 1 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।अगर किसान भाई सीधे मिठाई बनाने वाले दुकानदारों या प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़ें, तो मुनाफा और बढ़ सकता है। कुछ किसान तो खुद ही पेठा मिठाई बनाकर गांव-शहरों में बेच रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं।
अंतिम सलाह
पेठा की खेती एक बढ़िया विकल्प है उन किसानों के लिए जो परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं। कम लागत, जल्दी तैयार फसल और बढ़िया बाजार ये तीन बातें पेठा को खास बनाती हैं। आप चाहें तो कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़कर पेठा की उन्नत खेती की ट्रेनिंग भी ले सकते हैं।
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