गर्मीं में करें इस ठंडक देने वाले फल की खेती बदल जाएगी आपकी किस्मत

Phalsa Ki kheti : किसान भाइयों, अगर आप कम पानी और कम खर्च में अच्छी कमाई का रास्ता ढूंढ रहे हैं, तो फालसा (Grewia Subinaequalis) की खेती आपके लिए बेस्ट है। ये देसी फल गर्मी में ठंडक देता है और स्वाद के साथ-साथ सेहत का खजाना है। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान इसे खूब उगा रहे हैं। फालसा सूखे और गर्म इलाकों में भी आसानी से उग जाता है। ताजे फल, जूस और औषधि की माँग इसे खास बनाती है। सही तरीके से खेती करिए, तो जेब भरने का ये शानदार मौका है। चलिए, फालसा की खेती का पूरा हिसाब-किताब समझते हैं।

फालसा की खासियत

फालसा गर्मियों का फल है, जिसे लोग ताजा खाते हैं या जूस बनाकर पीते हैं। इसमें प्रोटीन, विटामिन, फाइबर और ढेर सारे मिनरल्स होते हैं। आयुर्वेद में इसकी दवाइयाँ बनती हैं, जो पेट और गर्मी की तकलीफ दूर करती हैं। फल के अलावा इसकी पत्तियाँ और टहनियाँ पशुओं का चारा बनती हैं, और तना जलाने की लकड़ी। छोटा सा पौधा कई काम देता है। गर्मी में इसकी ठंडी तासीर लोग खूब पसंद करते हैं, और बाजार में दाम भी अच्छा मिलता है।

सही जलवायु और मिट्टी- Phalsa Ki kheti

फालसा को गर्म और शुष्क मौसम पसंद है। 30-40 डिग्री तापमान में ये खूब फलता-फूलता है। सूखे और अर्ध-सूखे इलाकों के लिए ये बेस्ट है। दोमट या बलुई मिट्टी, जिसमें पानी ठहरे नहीं, इसके लिए सही है। मिट्टी का pH 6.1 से 6.5 के बीच हो, तो पौधा मजबूत होगा। खेत को जुताई कर भुरभुरा कर लीजिए, ताकि जड़ें अच्छे से फैलें। गर्म इलाकों में ये बिना ज्यादा मेहनत के उग जाता है।

बुवाई का आसान तरीका

फालसा की बुवाई बीज या कटिंग से होती है। बीज लीजिए, तो 24 घंटे पानी में भिगोइए, फिर बो दीजिए। कटिंग से करना हो, तो 20-25 सेमी की स्वस्थ टहनियाँ चुनिए। जुलाई-अगस्त का मानसून बुवाई के लिए बढ़िया वक्त है। रोपाई से पहले 60x60x60 सेमी के गड्ढे खोदिए। हर गड्ढे में 10-15 किलो गोबर की सड़ी खाद मिला दीजिए। पौधों की दूरी 3×2 मीटर या 3×1.5 मीटर रखिए, ताकि हर झाड़ी को धूप और हवा मिले। बारिश में रोपाई करिए, तो जड़ें जल्दी जम जाएँगी।

खाद और पानी का इंतजाम

फालसा बिना खाद के भी उग जाता है, मगर अच्छे फल चाहिए, तो थोड़ी मेहनत करिए। हर साल प्रति पौधा 10 किलो गोबर की खाद डालिए। इसके साथ 100 ग्राम नाइट्रोजन, 40 ग्राम फॉस्फोरस और 40 ग्राम पोटाश मिला दीजिए। पानी ज्यादा नहीं चाहिए। गर्मी में 1-2 बार हल्का पानी डालिए। सर्दियों में कटाई के बाद 15 दिन के गैप से सिंचाई करिए। फल बनते वक्त 15-20 दिन में एक बार पानी दीजिए, तो फल रसीले और बढ़िया होंगे। पानी का ठहराव मत होने दीजिए, वरना जड़ें सड़ सकती हैं।

छंटाई और देखभाल

फालसा को झाड़ी की शक्ल में रखिए, ताकि फल ज्यादा लगें। उत्तर भारत में जनवरी में छंटाई करिए। दक्षिण में साल में दो बार छाँट सकते हैं। जमीन से 15-20 सेमी ऊपर काटिए, इससे नई टहनियाँ खूब निकलेंगी। फरवरी-मार्च में फूल आने लगते हैं, जो पीले और गुच्छों में होते हैं। अप्रैल-मई में फल पकते हैं। रोपाई के 15-18 महीने बाद फल शुरू होंगे, और 3 साल बाद बंपर उपज मिलेगी। छंटाई से पौधा तंदुरुस्त और फलदार रहेगा।

तुड़ाई और बिक्री

फालसा अप्रैल-मई में पकता है। हरा फल लाल या गहरा बैंगनी हो जाए, तो समझिए तैयार है। हाथ से तोड़िए, ये काम 1 महीने तक चलता है। फालसा जल्दी खराब होता है, तो 24-48 घंटे में बेच दीजिए। एक झाड़ी से 5-10 किलो फल मिल सकता है। ताजा फल गाँव-शहर में 50-80 रुपये किलो बिकता है। जूस कंपनियों से बात करिए, वो बड़े पैमाने पर ले सकती हैं। एक एकड़ में 1500 पौधे लगें, तो 50-60 क्विंटल फल मिलेगा।

फालसा से मुनाफा

फालसा की खेती कम लागत में बढ़िया मुनाफा देती है। एक एकड़ में शुरूआत में 50-60 हजार का खर्चा आएगा। तीसरे साल से 50-60 क्विंटल फल मिले, और 50 रुपये किलो भी बिके, तो 2.5-3 लाख की कमाई। जूस, शरबत या जैम बनाकर बेचिए, तो और फायदा। गर्मी में इसकी डिमांड खूब रहती है। गोबर खाद और कम पानी से लागत कम रखिए, तो शुद्ध मुनाफा 2 लाख तक हो सकता है। गाँव के बाजार या शहर की मंडी में बेचने का इंतजाम कर लीजिए।

सावधानियाँ और टिप्स

फालसा की खेती में कुछ बातें ध्यान रखिए। बीज या कटिंग अच्छी क्वालिटी की लीजिए। गड्ढे तैयार करते वक्त गोबर खाद अच्छे से मिलाइए। कीड़ों से बचाने के लिए नीम का तेल छिड़किए। फल पकने पर तुरंत तोड़िए, वरना खराब हो जाएँगे। छंटाई सही वक्त पर करिए, वरना फल कम लगेंगे। पानी ज्यादा मत डालिए, ये सूखा सहने वाला पौधा है। गाँव के बड़े-बुजुर्गों से सलाह लीजिए, वो पुराने तरीके बता देंगे।

तो भाइयों, फालसा की खेती आपके लिए कमाई का देसी खजाना है। कम पानी, कम खर्च में शुरू करिए। ताजे फल और जूस से बाजार में छा जाइए। ये फल आपकी मेहनत को मुनाफे में बदलेगा। खेत तैयार करिए, और फालसा बो दीजिए!

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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