Chilli Farming in June: भारत सदियों से अपनी मसालों की विविधता और सुगंध के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध रहा है। इन मसालों में मिर्च एक ऐसी फसल है, जो न केवल खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी लाभकारी है। भारत की मिर्च अपनी तीखी और अनूठी किस्मों के लिए जानी जाती है, जो देश-विदेश में निर्यात होती है। खरीफ सीजन में मिर्च की खेती शुरू करने का यह सही समय है। जून के अंत तक 30-35 दिन की पौध की रोपाई पूरी कर लेनी चाहिए।
मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी
मिर्च की खेती के लिए खेत की सही तैयारी बेहद जरूरी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, खेत में अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। बुआई से पहले खेत में 20-25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। इसके साथ ही, प्रति हेक्टेयर 100-120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करें। खेत की अंतिम जुताई के समय आधी नाइट्रोजन, पूरी फॉस्फोरस, और पूरी पोटाश की मात्रा मिट्टी में मिलाएं। बची हुई नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बांटकर फसल के विकास के दौरान खेत में डालें। यह तरीका पौधों को पोषण देने और उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है।
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पौध रोपाई की सही तकनीक
मिर्च की पौध की रोपाई के लिए सही दूरी और समय का ध्यान रखना जरूरी है। सामान्य किस्मों के लिए पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 45×45 सेंटीमीटर रखें। वहीं, संकर (हाइब्रिड) किस्मों के लिए यह दूरी 60×45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। जून के अंत तक 30-35 दिन की स्वस्थ पौध की रोपाई करें। रोपाई से पहले पौधों को जैविक कीटनाशकों से उपचारित करें ताकि कीटों और रोगों से बचाव हो। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें और फसल की जरूरत के अनुसार कम अंतराल पर पानी दें। यह सुनिश्चित करता है कि पौधे मजबूत हों और उनकी जड़ें अच्छी तरह विकसित हों।
कीट और रोगों से बचाव
मिर्च की फसल में विषाणु रोग एक बड़ी समस्या हो सकती है। अगर कोई पौधा रोगग्रस्त दिखे, तो उसे तुरंत उखाड़कर जमीन में दबा दें। इसके बाद खेत में इमिडाक्लोप्रिड को 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। नियमित रूप से खेत की निगरानी करें और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें ताकि रासायनिक अवशेषों से बचा जा सके। मिर्च की फसल को फूल आने और फल बनने के समय पर्याप्त पानी और पोषण देना जरूरी है। ड्रिप सिंचाई का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और फसल को सही मात्रा में नमी मिलती है।
मिर्च की खेती के आर्थिक लाभ
मिर्च की खेती कम समय में अच्छा मुनाफा देती है, खासकर उन किसानों के लिए जो इसे सही तकनीक और मार्केटिंग के साथ करते हैं। भारत के कई गांव, जैसे आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के गांव, मिर्च की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं। गुंटूर की मिर्च मंडी विश्व की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है, जहां विभिन्न किस्मों की मिर्च का व्यापार होता है।
आंध्र प्रदेश के अलावा, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, और तमिलनाडु में भी मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन राज्यों में किसान उन्नत किस्मों और बेहतर तकनीकों का उपयोग करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं। मिर्च की मांग न केवल स्थानीय बाजारों में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बनी रहती है, जिससे निर्यात के अवसर बढ़ते हैं।
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