कम लागत, तगड़ी कमाई! बरसात में लगाएं अमरूद की ये वैरायटी, हर मौसम देगा मुनाफा

पारंपरिक खेती को छोड़कर अब बागवानी फसलों का रुझान बढ़ रहा है, और ताइवान पिंक अमरूद की खेती किसानों की जेब भर रही है। ये हाईब्रिड किस्म साल में दो बार फल देती है, कम लागत में उगती है, और बाजार में इसकी भारी डिमांड है। सिर्फ 6-7 महीने में फल देने वाली इस फसल से एक एकड़ में ढाई लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। ऊपर से, उत्तर प्रदेश सरकार की सब्सिडी इस खेती को और आसान बना रही है। आइए जानें, कैसे ताइवान पिंक अमरूद यूपी के किसानों के लिए गेम-चेंजर बन रहा है।

ताइवान पिंक अमरूद की खासियत

ताइवान पिंक अमरूद अपनी गुलाबी रंगत, मीठे स्वाद, और रसीली बनावट के लिए मशहूर है। इसका फल 250-300 ग्राम का होता है, जो विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर है। कृषि उपनिदेशक धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि ये किस्म कम समय में ज्यादा उपज देती है। जुलाई में रोपाई के बाद 6-7 महीने में फल शुरू हो जाते हैं, और साल में दो फसलें (मार्च-अप्रैल और जुलाई-अगस्त) मिलती हैं। ये फल ऑफ-सीजन में बाजार में अच्छे दाम, यानी 50-100 रुपये प्रति किलो तक बिकता है।

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कम लागत में ज्यादा मुनाफा

एक एकड़ में ताइवान पिंक अमरूद के 400-600 पौधे लगाए जा सकते हैं, जिनकी कीमत 50 रुपये प्रति पौधा है। यानी, शुरुआती लागत करीब 20,000 रुपये आती है। अच्छी बात ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए 20,000 रुपये तक की सब्सिडी दे रही है, जिससे किसानों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता। एक पौधा 40-50 किलो फल दे सकता है, जिससे प्रति एकड़ 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। अगर देखरेख और मार्केटिंग सही हो, तो ये आँकड़ा ढाई लाख तक पहुँच सकता है। बाराबंकी और लखनऊ जैसे जिलों में किसान इसकी खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। पौधों के बीच खाली जगह में सब्जियाँ या दालें उगाकर अतिरिक्त कमाई भी की जा सकती है।

आसान खेती

ताइवान पिंक अमरूद की खेती दोमट, रेतीली, या भारी मिट्टी में आसानी से हो सकती है, बशर्ते मिट्टी का pH 4.5-7.0 हो। ड्रिप इरिगेशन से पानी की बचत होती है, और सरकार इस पर भी सब्सिडी देती है। पौधे 6-7 फीट ऊँचे होते हैं, जिससे फल तोड़ना आसान है। कीटों का खतरा कम होने से कीटनाशकों पर खर्च बचता है। रोपाई से पहले गड्ढों में 10 किलो गोबर खाद, 100 ग्राम यूरिया, और 2 किलो सुपर फॉस्फेट डालकर मिट्टी तैयार की जाती है। जुलाई-दिसंबर में रोपाई सबसे अच्छी रहती है। आधुनिक तकनीकों, जैसे एयर-लेयरिंग और ग्राफ्टिंग, से पौधों की क्वालिटी और उपज बढ़ती है।

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घर से खेत तक हर जगह मुमकिन

ताइवान पिंक अमरूद सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं है। इसे शहरी घरों में गमलों या ग्रो बैग्स में भी उगाया जा सकता है। 3×3 फीट के गमले में ये आसानी से पनपता है और कम देखभाल में फल देता है। पर्यावरणीय बदलावों का इस पर कम असर पड़ता है, और ये बरसात के मौसम में भी अच्छा प्रदर्शन करता है। बाराबंकी के किसानों ने इसे बड़े पैमाने पर अपनाया है, और अब लखनऊ, फैजाबाद, और अन्य जिलों में भी इसकी खेती बढ़ रही है। ये किस्म न सिर्फ स्थानीय बाजार, बल्कि निर्यात के लिए भी माँग में है, जिससे किसानों को प्रीमियम दाम मिलते हैं।

सरकार का साथ

उत्तर प्रदेश सरकार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए ताइवान पिंक अमरूद की खेती पर सब्सिडी दे रही है। मालीहाबाद (लखनऊ) की नदिर अली नर्सरी और शाहजहाँपुर की पालकी हर्बल्स जैसी नर्सरीज़ से किफायती दामों पर पौधे उपलब्ध हैं। किसान भाई उत्तर प्रदेश बागवानी विभाग की वेबसाइट (uphorticulture.gov.in) पर जाकर सब्सिडी और पौधों की जानकारी ले सकते हैं। ताइवान पिंक अमरूद की खेती न सिर्फ कम समय में मुनाफा देती है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर भी बनाती है।

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Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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