नवंबर में जरूर लगाएं ये 4 सब्जियां, कम लागत में होगी जोरदार कमाई

रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है और उत्तर भारत के खेतों में ठंडी हवाएँ चल रही हैं, लेकिन ये मौसम सब्जी खेती के लिए सोने का है। कल ही मंडियों से खबर आई कि गाजर 40-50 रुपये किलो, मूली 20-30 रुपये, चुकंदर 30-40 और ब्रोकली 80-100 रुपये किलो तक बिक रही है। दिसंबर-जनवरी में ये दाम और ऊँचे हो जाएँगे, क्योंकि सर्दियों में सब्जियों की डिमांड दोगुनी हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों की ताजा सलाह है कि नवंबर के आखिरी हफ्ते में इन चार सब्जियों की बुवाई शुरू कर दें गाजर, चुकंदर, ब्रोकली और मूली।

ये कम लागत वाली फसलें हैं, जिनमें प्रति एकड़ सिर्फ 10-15 हजार रुपये खर्च आता है, लेकिन फरवरी-मार्च में तुड़ाई से 1.5-2 लाख तक की कमाई आसानी से हो जाती है। छोटे किसान भाई भी इन्हें मिश्रित खेती में आजमा सकते हैं। मौसम अभी अनुकूल है, देरी हुई तो अगले महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। अभी से बीज मँगवा लें और खेत तैयार करें।

गाजर की बुवाई

गाजर हर घर की रसोई में जगह बनाती है – चाहे सलाद हो, हलवा हो या जूस। इसके विटामिन ए से आँखों की रोशनी तेज होती है और पाचन सुधरता है, इसलिए बाजार में हमेशा खरीदारों की भीड़ लगी रहती है। नवंबर में बोने से फसल ठीक 60-70 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। बीज बोने के लिए रेतीली दोमट मिट्टी चुनें, जिसमें अच्छी जल निकासी हो। एक हेक्टेयर के लिए 6-8 किलो बीज काफी हैं। लकीन या पूसा किस्म चुनें – ये रोगमुक्त और मोटी जड़ें देती हैं। बुवाई से पहले मिट्टी में 10-12 टन गोबर की सड़ी खाद मिला दें।

बीजों को आधा इंच गहराई पर बिखेर दें और हल्का पानी छिड़क दें। पहले 20-25 दिन में खरपतवार साफ रखें, वरना जड़ें कमजोर पड़ जाएँगी। हर 10-12 दिन में हल्का पानी दें, लेकिन ज्यादा गीला न रखें। कीटों से बचाव के लिए नीम का घोल छिड़क दें। प्रति हेक्टेयर 20-25 टन उपज मिलती है, जो 40 रुपये किलो पर 80 हजार से 1 लाख तक की कमाई दिला देती है। लागत घटाकर देखें तो शुद्ध मुनाफा 40-50 हजार प्रति एकड़ आसानी से।

चुकंदर उगाएँ

चुकंदर सलाद और जूस का फेवरेट है, जो रक्तचाप कंट्रोल करता है और एनर्जी देता है। सर्दियों में इसकी माँग इतनी बढ़ जाती है कि मंडियाँ खाली हो जाती हैं। नवंबर के मध्य में बुवाई करें तो 50-60 दिन में ही तुड़ाई शुरू हो जाएगी। बीजों को रात भर भिगोकर बो दें, दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखें। एक हेक्टेयर के लिए 8-10 किलो बीज पर्याप्त हैं। डिट्रॉइट डार्क रेड या पूसा दीपाली किस्म चुनें – ये मोटे और चमकदार चुकंदर देती हैं। मिट्टी को ढीली रखें और 8-10 टन खाद मिला दें। सिंचाई हफ्ते में दो बार करें, लेकिन जड़ें पानी में डूबें नहीं।

खरपतवार निकालने के लिए हल्की गुड़ाई करें। फफूंद से बचाव के लिए बोर्डो मिश्रण का इस्तेमाल करें। प्रति हेक्टेयर 15-20 टन उपज से 30 रुपये किलो पर 45-60 हजार की कमाई होती है। कम पानी और खाद की जरूरत से लागत सिर्फ 10-12 हजार रहती है, यानी शुद्ध लाभ 30-40 हजार प्रति एकड़। छोटे किसान इसे गाजर के साथ मिश्रित बोकर दोगुना फायदा उठा सकते हैं।

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ब्रोकली की रोपाई

ब्रोकली अब हर बाजार में छाई हुई है – कैंसर रोकने और इम्यूनिटी बढ़ाने से ये हेल्थ फ्रीक की पहली पसंद बनी है। उत्तर भारत के ठंडे मौसम में ये शानदार बढ़ती है। नवंबर में नर्सरी डालें और दिसंबर में रोपाई करें, तो 70-80 दिन में मुख्य फूल कटाई के लिए तैयार हो जाएगा। एक हेक्टेयर के लिए 200-250 ग्राम बीज से नर्सरी तैयार करें। पूसा ब्रोकली या किंग्स ऑफ द नॉर्थ किस्म चुनें ये बड़े हेड्स और ज्यादा उपज देती हैं। मिट्टी में 15-20 टन खाद मिला दें और pH 6-7 रखें। रोपाई 45-50 सेंटीमीटर दूरी पर करें।

हर 7-10 दिन में पानी दें और साइड शूट्स को भी काटें ताकि लगातार तुड़ाई हो। एफिड्स से बचाव के लिए नीम तेल स्प्रे करें। प्रति हेक्टेयर 10-15 टन उपज 80 रुपये किलो पर 8-12 लाख तक ला सकती है, लेकिन छोटे स्तर पर 50-60 हजार प्रति एकड़ आसानी से। लागत 15-20 हजार ही आती है, क्योंकि ये कम जगह लेती है। सर्दियों में एक्सपोर्ट डिमांड भी बढ़ जाती है।

मूली बोकर कमाई दोगुनी करें

मूली सलाद से लेकर अचार तक हर डिश में लगती है, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर। नवंबर की बुवाई से ये 40-50 दिन में ही बाजार के लिए तैयार हो जाती है। लाल या सफेद बीज चुनें, एक हेक्टेयर के लिए 6-8 किलो काफी। पूसा चेतकी या जापानी व्हाइट किस्में सबसे अच्छी हैं – लंबी और रसीली जड़ें देती हैं। मिट्टी को भुरभुरी बनाएँ और 10 टन खाद मिला दें। बीज 1-2 सेंटीमीटर गहराई पर बो दें, दूरी 15-20 सेंटीमीटर। हफ्ते में दो-तीन बार हल्का पानी दें।

खरपतवार साफ रखें और जड़ कटोरियों से बचाव के लिए मल्चिंग करें। कीटों के लिए जैविक घोल इस्तेमाल करें। प्रति हेक्टेयर 20-30 टन उपज 25 रुपये किलो पर 5-7.5 लाख की कमाई, लेकिन प्रति एकड़ 40-50 हजार शुद्ध लाभ। लागत महज 8-10 हजार, क्योंकि ये जल्दी पकती है और छोटे खेतों में फिट बैठती है। मूली के साथ प्याज या लहसुन मिश्रित बोकर रोटेशन रखें।

नवंबर का ये आखिरी मौका है इन सब्जियों को बोने से न सिर्फ खेत हरा-भरा रहेगा, बल्कि जेब भी भरेगी। ऑर्गेनिक तरीके अपनाएँ तो दाम 20-30 प्रतिशत ज्यादा मिलेंगे। सरकारी सब्सिडी पर बीज और खाद लें। ठंड बढ़ रही है, लेकिन ये फसलें ठंड सहन करने वाली हैं। आज ही शुरू कर दें, फरवरी में मुस्कुराहट आएगी।

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  • Shashikant

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