गेहूं की तरह मई-जून में लगाएं बासमती की ये 5 किस्में, कम पानी में होगी जबरदस्त कमाई!

Basmati Rice Farming: गेहूं की कटाई खत्म हो चुकी है, और अब हमारे किसान भाई खरीफ की सबसे बड़ी फसल, धान, की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन इस बार कई इलाकों में पानी की कमी ने सिरदर्द बढ़ा दिया है। बारिश देर से होती है या कम होती है, तो खेतों में पानी का इंतजाम करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में धान की ऐसी उन्नत किस्में चुनना जरूरी है, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार दें और बाजार में अच्छा दाम दिलाएँ। आइए, जानते हैं कि कम पानी में धान की खेती कैसे करें और कौन-सी किस्में आपके लिए बेस्ट हैं।

पानी की कमी में भी धान की खेती

पानी की कमी आजकल हर किसान की चिंता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी धान की किस्में तैयार की हैं, जो कम पानी में भी शानदार फसल देती हैं। ये किस्में न सिर्फ कम मेहनत माँगती हैं, बल्कि इनके चावल की बाजार में बड़ी डिमांड है। खासकर बासमती चावल, जो गाँव से लेकर विदेश तक मशहूर है, अच्छा मुनाफा देता है। अगर आप सही किस्म चुनें, तो कम लागत में अपनी मेहनत को दोगुना फायदा मिल सकता है।

पूसा बासमती 1509: कम पानी, ज्यादा फायदा

अगर आपके खेत में पानी की कमी है, तो पूसा बासमती 1509 आपके लिए बेस्ट है। ये बौनी किस्म है, यानी पौधे छोटे रहते हैं, जिससे इन्हें संभालना आसान है। एक एकड़ में ये 25 से 28 क्विंटल तक चावल दे सकती है। इस चावल की खुशबू और क्वालिटी इतनी शानदार है कि व्यापारी इसे हाथों-हाथ लेते हैं। विदेशों में भी इसकी खूब माँग है। बुवाई मई-जून में करें, और ये कम समय में पककर तैयार हो जाती है। कम पानी और कम खर्च में ये किस्म आपके लिए मुनाफे का रास्ता खोलती है।

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पूसा बासमती 1401: बारिश हो या न हो, फसल पक्की

कभी-कभी बारिश बेमौसम आती है, और फसल गिरने का डर रहता है। लेकिन पूसा बासमती 1401 ऐसी मुसीबतों से बचाती है। ये अर्धबौनी किस्म है, जो पकने के बाद भी नहीं गिरती। 135 से 140 दिन में ये फसल तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में 40 से 50 क्विंटल तक पैदावार देती है। इसके दाने चमकदार और एकसमान होते हैं, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाते हैं। बुवाई 20 जून तक कर लें, और आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।

पूसा बासमती 1728: रोगों को मात देने वाली

पूसा बासमती 1728 उन किसानों के लिए शानदार है, जो रोगों की चिंता से बचना चाहते हैं। ये किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट जैसे रोगों से लड़ने में माहिर है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, या उत्तराखंड जैसे इलाकों में इसे लगाएँ। बुवाई 20 मई से 22 जून के बीच करें। सिर्फ 5 किलो बीज से एक एकड़ की बुवाई हो जाती है, और ये 24 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार देती है। कम बीज और अच्छी फसल की वजह से ये किस्म गाँव के किसानों की पसंद बन रही है।

पूसा बासमती 1886 और 1847: रोगमुक्त और भरोसेमंद

पूसा बासमती 1886 उन किसानों के लिए है, जो थोड़ा इंतजार कर सकते हैं। ये 150 से 155 दिन में पकती है और अक्टूबर के अंत तक कटाई के लिए तैयार हो जाती है। ये झुलसा और झौंका रोगों से लड़ने में माहिर है। हरियाणा और उत्तराखंड में इसे लगाकर एक हेक्टेयर में 50 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। वहीं, पूसा बासमती 1847 भी झुलसा और झौंका रोगों से लड़ती है और प्रति एकड़ 25 से 32 क्विंटल तक चावल देती है। दोनों ही किस्में व्यापारियों की पहली पसंद हैं।

खेती शुरू करने के देसी नुस्खे

धान की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें। मिट्टी की जाँच करवाएँ और गोबर की खाद डालें, ताकि मिट्टी की ताकत बढ़े। अगर पानी कम है, तो सीधी बुवाई करें और खेत में नमी बनाए रखें। बीज को बोने से पहले 12-15 घंटे पानी में भिगो लें, इससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं। अगर रोपाई कर रहे हैं, तो 15-20 दिन की नर्सरी तैयार करें। इन उन्नत किस्मों को कम पानी और कम खाद चाहिए, जिससे आपका खर्चा भी बचता है। अपने गाँव के कृषि केंद्र से इन किस्मों के बीज और सलाह ले लें।

पूसा बासमती जैसी उन्नत किस्में न सिर्फ कम पानी में अच्छी फसल देती हैं, बल्कि बाजार में इनके चावल की कीमत भी अच्छी मिलती है। गाँव के बाजारों में या शहरों के व्यापारियों से संपर्क करें। कई जगह सरकार बासमती खेती के लिए सब्सिडी भी देती है। अपने नजदीकी कृषि कार्यालय में इसके बारे में पूछें। सही किस्म और थोड़ी सी मेहनत से आप अपनी खेती को फायदे का धंधा बना सकते हैं।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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