PM Dhan Dhanya Scheme : केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 में पीएम धन धान्य योजना की घोषणा की, जिसका मकसद देश के उन 100 जिलों को तरक्की देना है, जहां फसलों का उत्पादन कम है। इस योजना से न सिर्फ खेती को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मेहनती किसानों की जेब भी भर सकेगी। जब किसान की कमाई बढ़ती है, तो उसका हौसला भी बढ़ता है। वो खेती के साथ-साथ छोटे-मोटे काम, जैसे खाद्य प्रसंस्करण या दूसरी चीजों में हाथ आजमाने की सोचता है। इससे न सिर्फ उसकी जिंदगी बेहतर होती है, बल्कि गाँव की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है।
खरीफ सीजन से पहले योजना का शुभारंभ
खबरों की मानें तो कृषि मंत्रालय इन दिनों पीएम धन धान्य योजना को जमीन पर उतारने की तैयारी में जुटा है। सरकार चाहती है कि खरीफ की बुवाई शुरू होने से पहले, यानी जून में मानसून के साथ, ये योजना शुरू हो जाए। मानसून का इंतजार हर किसान को होता है, क्योंकि यही वो वक्त है जब खेतों में हल चलता है और उम्मीदें हरी हो उठती हैं। ऐसे में अगर योजना सही वक्त पर शुरू होती है, तो किसानों को बड़ा सहारा मिलेगा।
कम उत्पादन वाले जिलों पर सरकार की नजर
पिछले दिनों कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में बताया कि देश में कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां खेती का उत्पादन अच्छा है, लेकिन कुछ जगहों पर हालात ठीक नहीं। एक ही राज्य में कोई जिला तरक्की कर रहा है, तो कोई पीछे छूट रहा है। मंत्री जी ने साफ कहा कि पीएम धन धान्य योजना के जरिए 100 कमजोर जिलों को चुना जाएगा। इन जिलों में करीब 1.6 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचाने की बात है।
सरकार इन इलाकों में खेती की पैदावार बढ़ाने, कर्ज आसानी से उपलब्ध कराने, सिंचाई की व्यवस्था मजबूत करने और फसल कटाई के बाद के कामों को बेहतर करने पर जोर दे रही है। किसान जानता है कि अगर पानी, पैसा और सही संसाधन मिल जाएं, तो वो अपने खेतों से सोना उगा सकता है।
सिंचाई और सुविधाओं का एकीकरण
राज्यसभा में सरकार ने बताया कि ये योजना उन जिलों को चुनेगी, जहां उत्पादन कम है, फसलों की तीव्रता मध्यम है और कर्ज लेने की स्थिति भी औसत से कम है। इन जगहों पर किसानों को छोटी और लंबी अवधि के कर्ज की सुविधा दी जाएगी। लेकिन सिर्फ कर्ज से बात नहीं बनेगी। खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बोरवेल, सोलर पंप, माइक्रो-इरिगेशन और बिजली कनेक्शन जैसी चीजों को एक साथ जोड़ा जाएगा। अक्सर देखा जाता है कि सब्सिडी लेने के लिए किसान को एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते हैं। इस योजना में कोशिश है कि सारी सुविधाएं एक जगह मिलें, ताकि किसान का वक्त और मेहनत बचे।
लचीलापन और किसानों की जरूरतें
कई जानकारों का कहना है कि इस योजना को ऐसा बनाना चाहिए कि किसान अपनी पसंद के हिसाब से बेहतर सुविधाएं चुन सकें। मान लीजिए, कोई सोलर पंप या सबमर्सिबल पंप जल्दी खराब हो जाता है, तो उसे बदलने के लिए किसान को अपनी जेब से पैसा न लगाना पड़े। अगर ऐसा हुआ, तो योजना का मकसद ही फीका पड़ जाएगा। किसान छोटी-छोटी मुश्किलों से जूझता है, और अगर उसकी कमाई बढ़े, तो वो खुद अपनी जरूरतों के लिए निवेश कर सकता है। इसलिए योजना में कुछ ऐसे रास्ते जोड़े जा सकते हैं, जो किसानों को अतिरिक्त कमाई का मौका दें, जैसे छोटे स्तर पर अनाज भंडारण या बीज तैयार करना।
आय दोगुनी करने का सपना
21 मार्च को राज्यसभा में सरकार ने बताया कि अशोक दलवाई, जो किसानों की आय दोगुनी करने वाली समिति के मुखिया हैं, ने खेती को एक बड़ा मौका बताया है। उन्होंने सात बड़े रास्ते सुझाए हैं—फसल और पशुओं की पैदावार बढ़ाना, पानी और जमीन का सही इस्तेमाल, ज्यादा फसलें उगाना, महंगी फसलों की खेती, किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलाना और खेती के साथ दूसरी कमाई के रास्ते खोलना।
सरकार के आंकड़े कहते हैं कि 2012-13 में किसान परिवार की औसत मासिक कमाई 6,426 रुपये थी, जो 2018-19 में बढ़कर 10,218 रुपये हो गई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी 75,000 ऐसे किसानों की कहानियां जुटाई हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से कमाई दोगुनी कर ली। ये कहानियां हर किसान के लिए प्रेरणा बन सकती हैं।
किसानों के लिए उम्मीद की किरण
पीएम धन धान्य योजना उन किसानों के लिए एक सुनहरा मौका लेकर आ रही है, जो सालों से कम पैदावार और मुश्किल हालात से जूझ रहे हैं। अगर ये योजना सही ढंग से लागू हुई, तो न सिर्फ खेतों की हालत सुधरेगी, बल्कि किसानों की जिंदगी में भी खुशहाली आएगी। खेती को मजबूत करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का ये सपना तभी पूरा होगा, जब सरकार और किसान मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर चलें।
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