Polyhouse Farming: हमारे किसान भाइयों की मेहनत और खेती की नई तकनीकों ने खेती को अब सिर्फ मेहनत का काम नहीं, बल्कि कारोबार का रास्ता बना दिया है। पॉलीहाउस खेती ऐसी ही एक तकनीक है, जिससे किसान भाई बेमौसम सब्जियाँ और फूल उगाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं। बाजार में बेमौसम फसलें हाथों-हाथ बिकती हैं और अच्छा दाम देती हैं। पॉलीहाउस में तापमान, नमी और पानी को कंट्रोल करके किसी भी मौसम में फसल उगाई जा सकती है। सबसे अच्छी बात? सरकार भी इस काम में मदद कर रही है और 50% तक सब्सिडी दे रही है। आइए, जानते हैं कि पॉलीहाउस खेती कैसे शुरू करें, कितना खर्चा आएगा, और इससे कितना मुनाफा हो सकता है।
पॉलीहाउस खेती का मतलब
पॉलीहाउस एक ढाँचा है, जो पॉलीथीन शीट और लोहे या बाँस से बनता है। इसके अंदर तापमान, नमी और रोशनी को फसल के हिसाब से कंट्रोल किया जाता है। चाहे बाहर गर्मी हो, सर्दी हो या बारिश, पॉलीहाउस में फसल के लिए सही माहौल रहता है। इससे टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा, गुलाब, जरबेरा जैसे फूल, और स्ट्रॉबेरी जैसी फसलें बेमौसम उगाई जा सकती हैं। ये फसलें बाजार में अच्छा दाम लाती हैं। पॉलीहाउस में कीट और बीमारियों का खतरा भी कम होता है, जिससे फसल की क्वालिटी बेहतर रहती है।
पॉलीहाउस बनाने की लागत और जरूरतें
पॉलीहाउस खेती शुरू करने के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन चाहिए। एक एकड़ में पॉलीहाउस बनाने की लागत करीब 40 लाख रुपये आती है। इसमें पॉलीथीन शीट, जी.आई. पाइप, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, फॉगर, और बेड तैयार करने का खर्च शामिल है। लागत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कौन सा पॉलीहाउस बनाते हैं। सस्ता वाला नैचुरल वेंटिलेशन पॉलीहाउस 32-40 लाख में बन जाता है, जबकि फैन-पैड सिस्टम वाला हाई-टेक पॉलीहाउस 55 लाख तक जा सकता है। जगह का चयन भी जरूरी है। ऐसी जगह चुनें जहाँ पानी, बिजली और सड़क की सुविधा हो, ताकि फसल को बाजार तक ले जाना आसान हो। मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
सरकार की सब्सिडी से आसान शुरुआत
40 लाख का खर्च सुनकर छोटे किसान घबरा सकते हैं, लेकिन सरकार ने इसे आसान कर दिया है। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड (NHB) और नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन (NHM) के तहत 50% तक सब्सिडी मिलती है। कुछ राज्यों में ये 80% तक हो सकती है। मिसाल के तौर पर, 40 लाख की लागत पर 20 लाख सब्सिडी मिल सकती है। हिमाचल जैसे राज्यों में 85% तक मदद मिल रही है। सब्सिडी के लिए उद्यान विभाग में आवेदन करें। आधार, बैंक खाता, और जमीन के कागजात तैयार रखें। SBI, IDBI जैसे बैंक 7-12 साल के लिए लोन भी देते हैं।
बेमौसम फसलों से बंपर कमाई
पॉलीहाउस की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें बेमौसम फसलें उगाकर आप बाजार में ऊँचे दाम पा सकते हैं। मिसाल के तौर पर, जरबेरा फूलों की खेती से एक एकड़ में 42-45 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। शिमला मिर्च से 13-15 लाख, टमाटर से 12-13 लाख, और खीरे से 9 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। अदरक और हल्दी जैसी फसलों से भी 14-16 लाख की कमाई संभव है।
ये आँकड़े बाजार की माँग और फसल की क्वालिटी पर निर्भर करते हैं। पॉलीहाउस में पैदावार खुले खेतों की तुलना में 4-8 गुना ज्यादा होती है, क्योंकि फसलें कीटों और मौसम की मार से बची रहती हैं। अगर सही ढंग से खेती करें, तो एक एकड़ से सालाना 8-20 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।
पॉलीहाउस में क्या-क्या उगाएँ
पॉलीहाउस में आप कई तरह की फसलें उगा सकते हैं। सब्जियों में शिमला मिर्च, टमाटर, खीरा, बैंगन, गोभी, मिर्च, और पालक अच्छा मुनाफा देते हैं। फूलों में गुलाब, जरबेरा, और कार्नेशन की माँग रहती है। फलों में स्ट्रॉबेरी और पपीता भी उगाए जा सकते हैं। इन फसलों को ड्रिप इरिगेशन और जैविक खाद से उगाने से क्वालिटी बेहतर होती है। बाजार की माँग के हिसाब से फसल चुनें और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें। पॉलीहाउस में पानी की बचत भी होती है, क्योंकि ड्रिप इरिगेशन से 40% कम पानी लगता है।
किसान भाइयों के लिए सलाह
पॉलीहाउस खेती शुरू करने से पहले अपने नजदीकी उद्यान विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। वहाँ से सब्सिडी, लोन, और ट्रेनिंग की पूरी जानकारी मिलेगी। शुरुआत में छोटे पॉलीहाउस (2500 वर्ग मीटर) से शुरू करें, ताकि अनुभव हो जाए। फसल चुनने से पहले बाजार में उसकी माँग और दाम की जाँच कर लें। पॉलीहाउस की पॉलीथीन शीट को हर 3-4 साल में बदलें, जिसका खर्च 6 लाख रुपये तक आता है। अपने गाँव के दूसरे किसानों को भी ये तकनीक बताएँ, ताकि सब मिलकर खेती को कारोबार बना सकें। पॉलीहाउस खेती मेहनत माँगती है, लेकिन एक बार सही ढंग से शुरू हो जाए, तो सालाना 15 लाख तक की कमाई आपकी मेहनत का इनाम होगी।
ये भी पढ़ें- अब डीजल का झंझट ख़त्म, किसानों को 90% सब्सिडी पर सरकार दे रही सोलर पंप, ऐसे करें आवेदन