खेती हमारी जिंदगी का आधार है, और हर किसान भाई जानता है कि अच्छी फसल के लिए नई तकनीक और सही जानकारी कितनी जरूरी है। भारत सरकार अब किसानों को और ताकतवर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है। 29 मई 2025 से शुरू होने वाला विकसित कृषि संकल्प अभियान किसानों को नई खेती की तकनीकों, वैज्ञानिक तरीकों, और सरकारी योजनाओं की जानकारी देगा। यह अभियान पूरे देश में 700 से ज्यादा जिलों और 65 हजार गाँवों में डेढ़ करोड़ किसानों तक पहुँचेगा। यह खेती को और बेहतर बनाने का एक सुनहरा मौका है, जिससे आपकी फसल बढ़ेगी और कमाई भी। आइए जानें कि यह अभियान आपके लिए क्या लेकर आया है और यह आपकी खेती को कैसे नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
पुरी से होगी नई शुरुआत
यह अभियान 29 मई को ओडिशा के पुरी से शुरू होगा, जहाँ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद मौजूद रहेंगे। अगले 15 दिनों तक वह देश के 20 राज्यों में जाएँगे, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, और मध्य प्रदेश जैसे बड़े कृषि वाले राज्य शामिल हैं। इस दौरान वह किसानों और वैज्ञानिकों से सीधे बात करेंगे, ताकि खेती की नई तकनीकें और योजनाएँ सीधे आपके खेत तक पहुँचें। यह अभियान सिर्फ़ बातचीत का मौका नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो खेती को और आसान, सस्ता, और फायदेमंद बनाएगा।
खेती को बनाएँ आसान और फायदेमंद
इस अभियान का सबसे बड़ा मकसद है कि खरीफ की फसल, जैसे धान, मक्का, और बाजरा, को और बेहतर तरीके से उगाया जाए। वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ गाँव-गाँव जाकर आपको नई तकनीकों के बारे में बताएँगे। मिसाल के तौर पर, अगर आपके खेत की मिट्टी में कोई खास तत्व कम है, तो मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए आपको पता चलेगा कि कौन सी फसल बोनी चाहिए और कितनी खाद डालनी चाहिए। यह कार्ड आपके खेत की मिट्टी को समझने में मदद करता है, ताकि आप सही फसल और सही खाद चुन सकें। इससे न सिर्फ़ फसल बढ़ेगी, बल्कि खेती का खर्चा भी कम होगा।
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सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ
कई बार गाँव के किसानों को सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। इस अभियान में आपको सरकार की तमाम योजनाओं के बारे में बताया जाएगा। जैसे, बीज खरीदने के लिए सब्सिडी, फसल बीमा, और सस्ते कर्ज की योजनाएँ। अगर आप जैविक खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए भी मदद मिल सकती है। वैज्ञानिक आपको यह भी बताएँगे कि ड्रोन और नई मशीनों का इस्तेमाल कैसे करें, ताकि खेती में मेहनत कम हो और फायदा ज्यादा। यह अभियान आपके सवालों का जवाब देगा और आपकी समस्याओं को सुनकर उनका हल निकालेगा।
गाँव-गाँव तक वैज्ञानिकों की पहुँच
इस अभियान में 2,170 टीमें गाँव-गाँव जाएँगी, जिनमें कृषि वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ, और अनुभवी किसान शामिल होंगे। ये टीमें दिन में तीन बार गाँवों में बैठकें करेंगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों तक बात पहुँचे। देश के 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और 113 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थान इस काम में जुटे हैं। ये लोग आपके खेत की मिट्टी, पानी, और मौसम के हिसाब से सलाह देंगे। मिसाल के तौर पर, अगर आपके गाँव में पानी की कमी है, तो वैज्ञानिक आपको कम पानी में उगने वाली फसलों और ड्रिप सिंचाई जैसे तरीकों के बारे में बताएँगे।
खेती और पर्यावरण का मेल
यह अभियान सिर्फ़ फसल बढ़ाने की बात नहीं करता, बल्कि पर्यावरण को बचाने की भी बात करता है। जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से मिट्टी की सेहत बनी रहती है, और रासायनिक खादों का कम इस्तेमाल होता है। इससे आपकी फसल स्वस्थ रहती है और बाजार में उसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। साथ ही, पशुपालन और मछली पालन जैसे कामों को भी इस अभियान में बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि किसान भाई एक से ज्यादा तरीकों से कमाई कर सकें।
अपने खेत को बनाएँ मिसाल
किसान भाइयों, यह अभियान आपके लिए एक बड़ा मौका है। अपने गाँव में होने वाली इन बैठकों में जरूर शामिल हों। वैज्ञानिकों से अपने खेत की समस्याएँ, जैसे कीटों का प्रकोप या फसल का कम होना, साझा करें। उनके बताए तरीकों को अपनाएँ, जैसे अच्छे बीज चुनना, सही समय पर बोआई करना, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड का इस्तेमाल। अपने गाँव के पंचायत या कृषि केंद्र से संपर्क करें, ताकि आपको इस अभियान की पूरी जानकारी मिले। यह अभियान न सिर्फ़ आपकी खेती को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपके गाँव को भी समृद्ध करेगा।