Animal Husbandry Tips: गाय-भैंस हमारे घर का आधार हैं, और उनके लिए चारा सबसे जरूरी चीज है। लेकिन बरसात का मौसम आते ही चारा रखना मुश्किल हो जाता है। बारिश की नमी, फफूंदी, और कीड़े चारे को जल्दी सड़ा देते हैं। सड़ा हुआ चारा पशुओं के लिए नुकसानदायक है, इससे दूध कम होता है और वो बीमार भी पड़ सकते हैं। आइए, इस बरसात में चारे को सही तरीके से रखने और सड़ने से बचाने के आसान देसी नुस्खे जानें, ताकि पशु स्वस्थ रहें और आपकी कमाई बढ़े।
चारा खराब होने की वजह
बरसात में चारा सड़ने की सबसे बड़ी वजह है सीलन। बारिश का पानी या हवा की नमी चारे में घुस जाती है, जिससे वो खराब हो जाता है। अगर चारा काटने के बाद पूरी तरह सुखाया न जाए, तो फफूंदी लगने का डर रहता है। कई बार चारा गलत जगह रख दिया जाता है, जैसे गीली जमीन या खुला आँगन, जहाँ पानी आसानी से पहुँच जाता है। फफूंदी और कीड़े चारे को और बेकार कर देते हैं, जो पशुओं के लिए जहरीला हो सकता है। गंदगी और चूहों का आना भी चारे को नुकसान पहुँचाता है।
चारे के लिए सही जगह चुनें
चारा रखने के लिए ऐसी जगह चुनें जो ऊँची, सूखी, और हवादार हो। गोदाम या घर का फर्श पक्का होना चाहिए, ताकि नीचे से नमी न आए। अगर छत से पानी टपकता हो, तो बरसात से पहले उसकी मरम्मत कर लें। चारे को सीधे जमीन पर न रखें। बाँस, लकड़ी, या ईंटों से सांठा बनाकर उस पर चारा रखें। इससे नमी चारे तक नहीं पहुँचेगी, और चारा लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा।
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चारे को अच्छे से सुखाएं
हरे चारे या घास को काटने के बाद उसे अच्छे से सुखाना जरूरी है। कटाई के बाद चारे को 3-5 दिन धूप में फैलाकर सुखाएं। जब चारा हाथ से मसलने पर टूटने की आवाज करे, तो समझें कि वो पूरी तरह सूख गया है। आधा-अधूरा सूखा चारा गोदाम में सड़ सकता है। बरसात शुरू होने से पहले सूखे चारे का ढेर तैयार कर लें, ताकि बारिश में परेशानी न हो।
तिरपाल और नीम से चारा बचाएं
चारे के ढेर को बारिश से बचाने के लिए मजबूत तिरपाल या प्लास्टिक शीट से ढक दें। तिरपाल ऐसा हो जो पानी अंदर न आने दे। चारे में नीम की सूखी पत्तियाँ मिलाने से कीड़े और फफूंदी नहीं लगती। गोदाम में थोड़ा नमक छिड़क दें, इससे कीट-पतंगे दूर रहेंगे। हर 15-20 दिन में चारे की जाँच करें। अगर ढेर गर्म हो रहा हो, तो उसे फैलाकर दोबारा सुखा लें।
सिलेज से हरा चारा संरक्षित करें
अगर हरा चारा ज्यादा है, तो उसे सिलेज बनाकर रखें। सिलेज बनाने के लिए चारे को काटकर पिट या ड्रम में डालें, अच्छे से दबाएं, और प्लास्टिक शीट से कसकर बंद कर दें। ये तरीका चारे को 6-12 महीने तक ताजा रखता है। सिलेज पशुओं के लिए पौष्टिक होता है, और बरसात में चारे की कमी नहीं पड़ती।
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भूसे का देसी तरीके से भंडारण
सूखे भूसे को बाँस या लकड़ी के तख्तों पर रखें, जो जमीन से कम से कम एक फीट ऊँचा हो। भूसे की छोटी-छोटी भुंजियाँ बनाकर रस्सी से बाँध लें, और इन्हें सीधा खड़ा करके ढेर लगाएं। ऊपर से तिरपाल डालकर बारिश से बचाएं। भूसा पूरी तरह सुखाकर ही रखें, वरना नमी से वो खराब हो जाएगा। इस तरह भूसा बरसात में भी सुरक्षित रहेगा।
सड़े चारे से होने वाला नुकसान
सड़ा चारा पशुओं के लिए खतरनाक है। इसमें फफूंदी से जहरीले तत्व बनते हैं, जो पशुओं के पेट, लिवर, और किडनी को नुकसान पहुँचाते हैं। दूध की मात्रा कम हो सकती है, और कभी-कभी गर्भपात का खतरा भी रहता है। बछड़ों को तो और ज्यादा नुकसान होता है। इसलिए सड़ा चारा कभी न खिलाएं, उसे तुरंत फेंक दें।
पशुपालकों के लिए जरूरी सलाह
बरसात से पहले चारे का इंतजाम कर लें। हर हफ्ते-दो हफ्ते में चारे की हालत देखते रहें। बचा हुआ हरा चारा सिलेज में बदल दें। गोदाम में साफ-सफाई रखें, ताकि चूहे और कीड़े चारे को बेकार न करें। गाँव के पशु चिकित्सक या कृषि केंद्र से चारा भंडारण के नए तरीके सीखें। थोड़ी सी सावधानी से पशु स्वस्थ रहेंगे, और दूध की कमाई बढ़ेगी।
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