Hapus Mango Price : हर साल गर्मी का मौसम आते ही हमारे गाँवों में एक खास मेहमान की चर्चा शुरू हो जाती है, जिसे हम प्यार से हापूस आम कहते हैं। महाराष्ट्र के रतनागिरी और सिंधुदुर्ग जैसे इलाकों से आने वाला यह आम न सिर्फ अपने स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि किसानों के लिए भी कमाई का बड़ा ज़रिया है। आज हम बात करेंगे कि इस बार हापूस आम का बाज़ार कैसा रहा, इसकी कीमतें कैसे बदलीं, और हमारे किसान भाइयों को इससे क्या फायदा हो सकता है।
बाज़ार में हापूस की धूम, कीमतें अब सबके लिए
इस बार महाराष्ट्र की मंडियों में हापूस आम की खूब आवक हुई है। पहले तो यह इतना महंगा था कि गाँव का आम आदमी इसे खरीदने से पहले दस बार सोचता था। कुछ हफ्ते पहले तक एक पेटी की कीमत 6000 से 8000 रुपये तक थी। लेकिन अब रतनागिरी और सिंधुदुर्ग से ढेर सारे आम बाज़ार में आ गए हैं, जिससे कीमतें 3500 रुपये तक आ गई हैं। अच्छी क्वालिटी की पेटी 4000 रुपये में मिल रही है, और अगर थोड़ा कम दाम चाहिए, तो छोटे-मोटे दाग वाले आम 1000 रुपये की पेटी में भी मिल रहे हैं। हमारे गाँव के किसान भाइयों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि अब ज़्यादा लोग उनके आम खरीद रहे हैं।
अप्रैल में हापूस का स्वाद और बढ़ा
अप्रैल का महीना हापूस के लिए सबसे खास होता है। इस समय आम की मिठास और स्वाद अपने चरम पर होता है। गाँव में हमारे भाई-बहन इसे चाव से खाते हैं, चाहे वो सीधे चूसकर हो या फिर आमरस बनाकर। इस बार बेमौसमी बारिश और गर्मी की वजह से आम जल्दी पक गए। नतीजा यह हुआ कि बाज़ार में 80,000 पेटियाँ तक पहुँच गईं। रतनागिरी के राजपुर तालुका से सबसे ज़्यादा आम आए, जबकि रायगढ़ से थोड़ा कम। हमारे किसानों ने मेहनत से उगाए इन आमों को अब बैंगलोर, गोवा, हैदराबाद, और नागपुर जैसे शहरों में भेजा जा रहा है। यह देखकर दिल को सुकून मिलता है कि गाँव का आम शहरों में धूम मचा रहा है।
निर्यात का मौका, दुनिया में हापूस की माँग
हापूस आम सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब पसंद किया जाता है। इस बार खाड़ी देशों, यूरोप, और अमेरिका में हर दिन 12,000 पेटियाँ निर्यात हो रही हैं। यह हमारे किसानों के लिए बड़ा मौका है। अगर सही समय पर अच्छी क्वालिटी का आम भेजा जाए, तो विदेशों से अच्छा दाम मिल सकता है। लेकिन इसके लिए हमें अपने आम को कीड़ों और मौसम की मार से बचाना होगा। कुछ किसान देसी नुस्खों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे नीम का तेल या गोमूत्र छिड़कना, जो आम को सुरक्षित रखता है। अगर आप भी अपने आम को निर्यात करना चाहते हैं, तो स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह ले सकते हैं।
मौसम की मार, किसानों की चिंता
रतनागिरी और सिंधुदुर्ग के किसानों का कहना है कि इस बार मौसम ने उन्हें खूब परेशान किया। बेमौसमी बारिश और ज़्यादा गर्मी की वजह से आम जल्दी पक गए, जिससे उन्हें तेज़ी से फसल काटनी पड़ी। बारिश का डर अभी भी बना हुआ है, क्योंकि अगर ज़्यादा पानी बरसा, तो आम खराब हो सकते हैं। हमारे गाँव के किसान भाइयों को सलाह है कि वे अपने आमों को सही समय पर तोड़ें और उन्हें अच्छे से पैक करके बाज़ार भेजें। अगर बारिश की आशंका हो, तो पेड़ों के आसपास पानी निकासी की व्यवस्था करें, ताकि जड़ें सुरक्षित रहें।
किसानों के लिए सुझाव
हमारे गाँवों में खेती करने वाले भाइयों के लिए हापूस आम की खेती में कुछ देसी तरीके बहुत काम आते हैं। मिसाल के तौर पर, पेड़ों की जड़ों के पास गोबर की खाद डालने से मिट्टी की ताकत बढ़ती है। साथ ही, आम के पेड़ों को कीड़ों से बचाने के लिए नीम की पत्तियों का काढ़ा बनाकर छिड़काव करें। अगर आप बाज़ार में अच्छा दाम चाहते हैं, तो अपने आमों को साफ-सुथरे डिब्बों में पैक करें। आजकल शहरों में लोग ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, तो आप भी अपने आसपास के व्यापारियों से बात करके ऑनलाइन बिक्री शुरू कर सकते हैं। इससे गाँव में बैठे-बैठे अच्छा मुनाफा हो सकता है।
हापूस की देखभाल, मुनाफे की राह
हापूस आम की खेती आसान नहीं है, लेकिन अगर सही तरीके से की जाए, तो यह गाँव के किसानों की जिंदगी बदल सकती है। इस बार कीमतें भले ही पहले के मुकाबले कम हुई हों, लेकिन बाज़ार में माँग अभी भी ज़बरदस्त है। हमारे किसान भाइयों को चाहिए कि वे मौसम की खबर रखें और अपने आमों को समय पर बाज़ार तक पहुँचाएँ। अगर आप भी हापूस की खेती करते हैं, तो अपने अनुभव गाँव वालों के साथ बाँटें। इससे सबको फायदा होगा, और हमारा हापूस आम दुनिया भर में और ज़्यादा नाम कमाएगा।
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