केंद्र सरकार खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (NMEO-OP) के तहत ओडिशा सहित देश के किसानों को पाम ऑयल की खेती के लिए हर कदम पर मदद दे रही है। चाहे पौधे लगाने की शुरुआत हो या फसल काटने का समय, सरकार की ओर से कई तरह की सब्सिडी और सहायता दी जा रही है। कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने हाल ही में राज्यसभा में बताया कि इस मिशन के जरिए किसानों को आर्थिक मदद के साथ-साथ तकनीकी सहायता भी मिल रही है। इससे न सिर्फ किसानों की कमाई बढ़ेगी, बल्कि देश में खाद्य तेलों का आयात भी कम होगा। आइए, इन योजनाओं को आसान भाषा में समझते हैं।
पौधों की खरीद पर मोटी सब्सिडी
पाम ऑयल की खेती शुरू करने के लिए सबसे जरूरी है अच्छे पौधे। सरकार इस काम को आसान बनाने के लिए किसानों को रोपण सामग्री पर भारी सब्सिडी दे रही है। अगर आप स्वदेशी पौधे लगाते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये तक की मदद मिलेगी। वहीं, आयातित पौधों के लिए यह राशि 29,000 रुपये तक है। इतना ही नहीं, सरकार ने एक खास मूल्य आश्वासन तंत्र शुरू किया है, जिसे Viability Gap Payment (VGP) कहते हैं। इसके तहत अगर पाम ऑयल के दाम बाजार में गिरते हैं, तो भी किसानों को लाभकारी कीमत मिलने की गारंटी है। यह योजना सुनिश्चित करती है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिले।
खेती के शुरुआती सालों में आर्थिक मदद
पाम ऑयल की खेती में फसल तैयार होने में कुछ साल लगते हैं। इस दौरान किसानों को आर्थिक तंगी न झेलनी पड़े, इसके लिए सरकार ने खास इंतजाम किया है। पहले चार साल, यानी गर्भावधि के दौरान, प्रति हेक्टेयर 42,000 से 50,000 रुपये तक की मदद दी जा रही है। इसके अलावा, ड्रिप सिंचाई, वर्मी कम्पोस्ट और पानी की व्यवस्था के लिए भी अलग-अलग योजनाओं के तहत सब्सिडी मिल रही है। पीएम-कुसुम योजना के तहत बोर्डवेल, पंप सेट और सोलर पंप जैसी चीजों पर भी आर्थिक सहायता दी जा रही है। ये सुविधाएं खेती को आसान और किफायती बनाती हैं।
औजारों और प्रशिक्षण का भी पूरा इंतजाम
पाम ऑयल की खेती को और आसान बनाने के लिए सरकार किसानों को मोटर चालित छेनी, वायर मैश, ट्रॉली और कटाई के औजारों पर 2,500 से 2 लाख रुपये तक की मदद दे रही है। इतना ही नहीं, किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी देने के लिए दो दिन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में हर किसान को प्रतिदिन 500 रुपये और अधिकारियों को 1,000 रुपये की मदद मिलती है। यह प्रशिक्षण ओडिशा के किसानों को पाम ऑयल की खेती में माहिर बनाने में मदद करेगा।
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पुराने बागानों को नया जीवन, प्रोसेसिंग में भी सहायता
अगर आपके पास 25-30 साल पुराना पाम ऑयल का बागान है, तो सरकार उसे फिर से हरा-भरा करने के लिए भी मदद दे रही है। पुराने पौधों को बदलने के लिए प्रति पौधा 250 रुपये की लागत का आधा हिस्सा यानी 50% अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा, बीज उद्यान बनाने के लिए सामान्य राज्यों में 80 लाख रुपये और उत्तर-पूर्वी राज्यों (NER) में 100 लाख रुपये तक की सहायता मिल रही है। पाम ऑयल की प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों (SHG), किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और सहकारी समितियों को 25 लाख रुपये तक की एकमुश्त मदद भी दी जा रही है। इससे न सिर्फ खेती, बल्कि तेल निकालने और बाजार तक पहुंचाने का काम भी आसान हो रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (NMEO-OP) का मकसद देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाना है। ओडिशा जैसे राज्यों में पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा देकर सरकार न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि विदेशों से तेल आयात पर निर्भरता भी कम कर रही है। यह मिशन किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है, क्योंकि पाम ऑयल की खेती दूसरी फसलों की तुलना में प्रति एकड़ ज्यादा मुनाफा दे सकती है। अगर आप ओडिशा में इस खेती को शुरू करना चाहते हैं, तो इन योजनाओं का फायदा जरूर उठाएं।
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