दलहन की खेती से किसानो की होगी खूब प्रगति, मिट्टी की उर्वरता और आर्थिक लाभ का बनेगी आधार

दलहन की फसलें न केवल मिट्टी की सेहत को दुरुस्त करती हैं, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक मुनाफे का सुनहरा जरिया भी हैं। ये फसलें प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करती हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और अन्य फसलों की पैदावार को बेहतर बनाती है। बरसात की शुरुआत के साथ यह सही समय है इन फसलों को लगाने का। दलहन की खेती पर्यावरण के लिए लाभकारी है और साथ ही किसानों की जेब को मोटा करती है। मूंग, उड़द, चना, अरहर, और मटर जैसी फसलें न केवल खाने की थाली को पोषण देती हैं,  यह आर्टिकल आपको बताएगा कि कैसे ये फसलें मिट्टी और मुनाफे दोनों को समृद्ध बनाती हैं।

मिट्टी की उर्वरता का रहस्य

दलहन फसलों में राइजोबियम बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो हवा से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में डालते हैं। यह प्रक्रिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाती है, जो मिट्टी को प्राकृतिक खाद की तरह समृद्ध करती है। बरसात में यह नाइट्रोजन मिट्टी में गहराई तक पहुँचता है, जो अगली फसल जैसे गेहूँ, धान, या मिर्च के लिए जमीन को तैयार करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, दलहन फसलों के बाद अन्य फसलों की पैदावार 15-20% तक बढ़ सकती है।

यह खेती मिट्टी की थकान को कम करती है और उसे लंबे समय तक उपजाऊ बनाए रखती है। इसके अलावा, इन फसलों की जड़ें मिट्टी को ढीला करती हैं, जो पानी और हवा के प्रवाह को बेहतर बनाता है। यह टिकाऊ खेती का आधार है, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए जमीन बचाने में मदद करता है।

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पर्यावरण और मृदा स्वास्थ्य

दलहन की खेती मिट्टी को स्वस्थ रखने का प्राकृतिक तरीका है। ये फसलें मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ाती हैं, जो मिट्टी की संरचना को मजबूत करता है और कटाव से बचाता है। बरसात में मिट्टी के बहने का खतरा रहता है, लेकिन दलहन की जड़ें मिट्टी को बांधकर इसे सुरक्षित रखती हैं। इन फसलों को कम पानी और उर्वरक की जरूरत होती है, जो पर्यावरण को रासायनिक दवाओं और कीटनाशकों से बचाती है। यह प्रक्रिया जल संरक्षण और हवा की शुद्धता में योगदान देती है, जो हरित क्रांति का हिस्सा बनती है। इसके अलावा, दलहन फसलों की खेती से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण होता है।

आर्थिक लाभ का सुनहरा मौका

दलहन की खेती न केवल मिट्टी को बेहतर करती है, बल्कि किसानों की जेब भी भरती है। मूंग, उड़द, चना, अरहर, और मटर की बाजार में मांग हमेशा बनी रहती है, और बरसात के मौसम में इनकी कीमत 60-80 रुपये प्रति किलो तक पहुँच सकती है। 1 एकड़ में 5-7 क्विंटल उत्पादन होने पर 30,000-50,000 रुपये का मुनाफा संभव है, अगर लागत 10,000-15,000 रुपये रहे। सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के तहत इन फसलों को बेचने पर और फायदा हो सकता है 2025 में MSP मूंग के लिए 8,000 रुपये प्रति क्विंटल और चने के लिए 5,500 रुपये प्रति क्विंटल तक हो सकता है।

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खेती की प्रक्रिया

3 जुलाई 2025 की बरसात में दलहन की खेती शुरू करने के लिए खेत को 2-3 बार जोतकर बारीक बनाएँ और 5-6 टन गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएँ। बीजों को ट्राइकोडर्मा से उपचारित करके 30×10 सेमी की दूरी पर बोएँ प्रति एकड़ 15-20 किलो बीज काफी हैं। मूंग और उड़द के लिए गहरी जुताई न करें, क्योंकि इनकी जड़ें सतह के पास नाइट्रोजन बांधती हैं। चना और अरहर के लिए हल्की जुताई और ऊँचे बेड बनाएँ, ताकि बरसात में पानी जमा न हो।

बीज बोने के 20-25 दिन बाद हल्की गुड़ाई करें और 20 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ डालें हालांकि दलहन खुद नाइट्रोजन बनाती है, अतिरिक्त खाद ग्रोथ को बढ़ावा देती है। ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें, खासकर बरसात में, ताकि पानी का नियंत्रण रहे। फसल 60-90 दिन में तैयार हो जाती है, और कटाई के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन छोड़ती है।

बरसात में देखभाल

बरसात में दलहन फसलों को सही देखभाल से जबर्दस्त पैदावार मिल सकती है। ज्यादा पानी से बचाने के लिए ड्रेनेज का इंतजाम करें, और पत्तियों पर फफूंदी न जमने दें साफ कपड़े से पोंछें या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। कीट जैसे तना छेदक और चूर्णिल फफूंदी से बचने के लिए नीम तेल (2 मिली प्रति लीटर) का प्रयोग करें। अगर पौधे पीले हों या फलियाँ छोटी हों, तो पशु चिकित्सक या कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें। खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली 30 दिन में 1-2 बार गुड़ाई करें, और चावल की भूसी से मल्चिंग करें ताकि नमी बनी रहे। समय पर कटाई से गुणवत्ता बनी रहेगी, और बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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