Pumpkin Top 5 Varieties : भारत में कद्दू का इस्तेमाल सब्ज़ी से लेकर पेठा बनाने तक होता है। साल के ज़्यादातर महीनों में बाज़ार में इसकी माँग बनी रहती है। इस समय किसान भाई मार्च के महीने में कद्दू की बुवाई में जुटे हैं, जो इस फसल के लिए सबसे सही वक्त माना जाता है। कद्दू की खेती में अच्छी पैदावार और मुनाफा पाने के लिए सही किस्म चुनना बहुत ज़रूरी है। हर किस्म की अपनी खासियत होती है, जो अलग-अलग इलाकों और ज़रूरतों के हिसाब से फिट बैठती है। आइए जानते हैं कद्दू की टॉप किस्मों के बारे में, जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
काशी हरित किस्म
काशी हरित IARI वाराणसी की क्रॉस वैरायटी है, जो NDPK-24 और PKM से विकसित की गई है। इसके पौधे छोटी बेलों वाले होते हैं, जो जगह कम लेते हैं और आसानी से प्रबंधित हो जाते हैं। पत्तियाँ गहरे हरे रंग की होती हैं, जिन पर सफेद धब्बे दिखते हैं। फल गोल, गहरे हरे रंग के होते हैं, जिनका औसत वजन 2.5 से 3 किलो रहता है।
ये वैरायटी कम समय वाली फसल के लिए बिल्कुल सही है, बुवाई मार्च में करें तो सिर्फ 65 दिन में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक उपज मिलती है, जो साधारण किस्मों से दोगुनी है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और झारखंड जैसे इलाकों में ये सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है, क्योंकि कम पानी में चलती है और बाजार में चमकदार फल अच्छा दाम दिलाते हैं। छोटे किसान इसे इंटरक्रॉपिंग में भी लगा सकते हैं।
काशी उज्ज्वल किस्म
काशी उज्ज्वल वैरायटी लंबे समय तक फल देने की क्षमता के लिए जानी जाती है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक सभी इलाकों में आसानी से उगाई जा सकती है। फल गहरे हरे रंग के, मध्यम आकार के होते हैं, जो बाजार में हमेशा डिमांड में रहते हैं। बुवाई के 180 दिन बाद तक लगातार फल देती रहती है, यानी एक ही बुवाई से कई कटाई हो जाती हैं। प्रति हेक्टेयर अच्छी पैदावार मिलती है, जो मुनाफे के लिए लाभदायक है। ये वैरायटी लंबी अवधि की फसल चाहने वालों के लिए बेस्ट है, क्योंकि बाजार में माँग हमेशा बनी रहती है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में ये खूब चल रही है।
पूसा विश्वास किस्म
पूसा विश्वास IARI की देन है, जो हरे कद्दू के साथ सफेद धब्बों वाली वैरायटी है। इसके फल अच्छी मात्रा और गुणवत्ता वाले होते हैं, जो सलाद या सब्जी के लिए बिल्कुल सही हैं। बुवाई के 120 दिन बाद तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल तक उपज मिलती है, जो भारी पैदावार के लिए भरोसेमंद बनाती है। उत्तर भारत के इलाकों में मार्च में बुवाई शुरू करने पर ये शानदार प्रदर्शन देती है। बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, क्योंकि फल एकसमान और चमकदार होते हैं।
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अर्का सूर्यमुखी किस्म
अर्का सूर्यमुखी भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बैंगलोर की वैरायटी है। इसके फल छोटे, चपटे, नारंगी रंग के होते हैं, जिनका वजन करीब 1 किलो रहता है। पौधे मजबूत होते हैं और मक्खी जैसे कीटों के खिलाफ अच्छी लड़ाई लड़ते हैं। बेचना और ढोना आसान होता है, क्योंकि फल हल्के और मजबूत होते हैं। मजबूत फसल होने से कम नुकसान होता है। सभी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है, खासकर कीट प्रभावित इलाकों में।
अर्का चंदन किस्म
अर्का चंदन भी IIHR बैंगलोर की वैरायटी है। इसके फल गोल होते हैं, पकने से पहले हरे और बाद में हल्के भूरे रंग के हो जाते हैं। वजन 2 से 3 किलो रहता है और बनावट अच्छी होती है। बुवाई के 115-120 दिन बाद तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर औसतन 33 टन उपज मिलती है। मध्यम पैदावार के लिए सभी क्षेत्रों में उपयुक्त है। बाजार में खास बनावट के कारण बिक्री आसान होती है।
सही किस्म चुनें मुनाफा कमाएँ
कद्दू की खेती में सही किस्म का चयन बहुत मायने रखता है। काशी हरित जल्दी तैयार होती है, काशी उज्ज्वल लंबे समय तक फल देती है, पूसा विश्वास भारी पैदावार देती है, अर्का सूर्यमुखी कीटों से मज़बूत है और अर्का चंदन मध्यम पैदावार के लिए बढ़िया है। मार्च में बुवाई शुरू करें और अपने इलाके के हिसाब से सही किस्म चुनें। इससे न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी, बल्कि बाज़ार में अच्छी कीमत भी मिलेगी। कद्दू की खेती किसानों के लिए सालभर कमाई का ज़रिया बन सकती है।
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