पूसा बासमती 1718: 115 दिन में 55 क्विंटल सुगंधित धान का उत्पादन, होगा लाखों का मुनाफा

Pusa Basmati 1718: प्यारे किसान भाइयों, भारत में बासमती चावल की सुगंध और स्वाद ने इसे विश्व भर में प्रसिद्ध बनाया है। पूसा बासमती 1718, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली द्वारा विकसित एक उन्नत बासमती धान किस्म, किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और बिहार में यह किस्म अपनी कम अवधि (115-120 दिन), रोग प्रतिरोधकता, और उच्च बाजार माँग के लिए लोकप्रिय है। यह पारंपरिक बासमती (145-150 दिन) से 30 दिन पहले पकती है, जिससे गेहूं जैसी रबी फसलों के लिए समय मिलता है। प्रति हेक्टेयर 45-55 क्विंटल उपज, 4,000-5,000 रुपये/क्विंटल कीमत, और 1.5-2 लाख मुनाफा इसे लाभकारी बनाता है। आइए इसकी खेती की पूरी जानकारी विस्तार से जानें।

विकास और ऐतिहासिक महत्व

IARI ने पूसा बासमती 1718 को 2017 में रिलीज किया, जिसका उद्देश्य कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली बासमती प्रदान करना था। पारंपरिक बासमती किस्में जैसे बासमती 370 लंबे समय और मौसम जोखिमों के कारण उत्पादन में अनिश्चितता लाती थीं। पूसा बासमती 1718 ने इन कमियों को दूर किया। यह पूसा बासमती 1121 का उन्नत संस्करण है, जिसमें बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (BLB) के लिए Xa21 जीन और झोंका रोग के लिए Pi54 जीन शामिल किए गए। इसकी सुगंध, लंबे दाने, और जलवायु अनुकूलनशीलता (25-35°C, 500-800 मिमी वर्षा) ने इसे भारत और वैश्विक बाजार (मध्य पूर्व, यूरोप) में खास बनाया।

पूसा बासमती 1718 की खासियत

पूसा बासमती 1718 की सबसे बड़ी ताकत इसका कम समय और उच्च गुणवत्ता है। यह 115-120 दिन में पककर 45-55 क्विंटल/हेक्टेयर उपज देती है, अनुकूल परिस्थितियों में 60 क्विंटल तक। इसके दाने लंबे (8-9 मिमी), पतले, और सुगंधित होते हैं, जो पकाने पर दोगुना लंबे हो जाते हैं। दानों में 12-14% प्रोटीन और प्राकृतिक चमक होती है, जो बासमती की पहचान है। पौधे की ऊँचाई 100-110 सेमी है, जो इसे गिरने से बचाती है। यह BLB, झोंका, और तना सड़न के प्रति प्रतिरोधी है। कम पानी (1200-1500 मिमी) और जैविक खेती के लिए उपयुक्तता इसे टिकाऊ बनाती है।

खेत की तैयारी और रोपाई विधि

पूसा बासमती (Pusa Basmati 1718) की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी (pH 6.5-7.5) आदर्श है। जल निकासी जरूरी है, क्योंकि जलभराव जड़ सड़न का कारण बनता है। खेत की 2-3 गहरी जुताई करें, फिर रोटावेटर से मिट्टी भुरभुरी बनाएँ। प्रति हेक्टेयर 10-12 टन सड़ी गोबर खाद या 2 टन वर्मी कम्पोस्ट मिलाएँ। मिट्टी जाँच (KVK) से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की कमी पता करें। खेत को समतल करें और ड्रिप सिस्टम की व्यवस्था करें, जो 20% पानी बचाता है। नर्सरी के लिए 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में 1 टन गोबर खाद और 6-8 किलो बीज (प्रति एकड़) उपयोग करें।

बुआई का आदर्श समय जून अंत से जुलाई प्रथम सप्ताह (25-30°C) है। नर्सरी में बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो) या ट्राइकोडर्मा (5 ग्राम/किलो) से उपचारित करें। 25-30 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार होते हैं। मुख्य खेत में पौधों की दूरी 20×15 सेमी रखें, प्रति स्थान 1-2 पौधे लगाएँ। सीधी बुवाई (20 किलो/एकड़) भी विकल्प है, जो मजदूरी लागत 10-15% कम करती है। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। जैविक खेती के लिए 500 लीटर जीवामृत और 100 किलो नीम खली/हेक्टेयर डालें।

उर्वरक और पोषण प्रबंधन

संतुलित पोषण पूसा बासमती 1718 की उपज और गुणवत्ता बढ़ाता है। प्रति हेक्टेयर 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 60 किलो पोटाश उपयोग करें। नाइट्रोजन को तीन हिस्सों में (रोपाई, 20-25 दिन, 50-55 दिन बाद) दें। बुआई के समय DAP (60 किलो), MOP (60 किलो), और यूरिया (50 किलो) डालें। जैविक खेती के लिए 2 टन वर्मी कम्पोस्ट, 500 लीटर घनजीवामृत, और 50 किलो रॉक फॉस्फेट/हेक्टेयर मिलाएँ। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (जिंक, आयरन) के लिए फोलियर स्प्रे (2 ग्राम/लीटर) करें। इससे दाने की चमक और सुगंध 15-20% बढ़ती है।

रोग और कीट प्रबंधन: स्वस्थ फसल

Pusa Basmati 1718, BLB और झोंका रोग के प्रति प्रतिरोधी है, लेकिन सतर्कता जरूरी है। तना छेदक और पत्ती लपेटक के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) या गोमूत्र (10% घोल) छिड़कें। झुलसा या ब्लास्ट के लिए ट्राइकोडर्मा (5 किलो/हेक्टेयर) मिट्टी में मिलाएँ और दशपर्णी अर्क (10 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। साप्ताहिक निगरानी करें। रासायनिक दवाएँ (मैनकोजेब, 2 ग्राम/लीटर) अंतिम उपाय के रूप में उपयोग करें, क्योंकि यह सुगंध और निर्यात गुणवत्ता प्रभावित कर सकती हैं। ट्रैप फसल (मैरीगोल्ड) और पक्षी बसेरे कीटों को 20-30% कम करते हैं।

उत्पादन और आर्थिक लाभ

जब 80-85% दाने सुनहरे हों, कटाई करें (अक्टूबर मध्य)। कटाई सुबह करें, ताकि नमी कम हो। दानों को 2-3 दिन धूप में सुखाकर नमी 13-14% करें। मशीन मड़ाई से टूटना 5% से कम रहता है। साफ बोरे या साइलो में भंडारण करें। यह चावल 12-18 महीने तक सुगंध और गुणवत्ता बनाए रखता है। उचित भंडारण से बाजार मूल्य 10-15% बढ़ता है।

पूसा बासमती 1718 से 45-55 क्विंटल/हेक्टेयर उपज मिलती है, अनुकूल परिस्थितियों में 60 क्विंटल। बाजार में कीमत 4,000-5,000 रुपये/क्विंटल, जैविक चावल 5,500-6,000 रुपये/क्विंटल। आय: 1.8-2.75 लाख रुपये/हेक्टेयर। लागत: बीज (5,000 रुपये), खाद-उर्वरक (8,000 रुपये), मजदूरी-सिंचाई (10,000 रुपये), अन्य (2,000 रुपये), कुल 25,000-30,000 रुपये। मुनाफा: 1.55-2.45 लाख रुपये/हेक्टेयर। जैविक खेती और निर्यात से मुनाफा 3 लाख तक पहुँच सकता है।

भविष्य की संभावनाएँ

पूसा बासमती 1718 जलवायु परिवर्तन में बेहतर प्रदर्शन करती है। इसका कम समय गेहूं, मसूर, या सरसों के लिए अवसर देता है, जिससे आय 1.5-2 गुना बढ़ती है। वैश्विक बासमती बाजार (2024 में $20 बिलियन) और जैविक माँग इसे निर्यात के लिए आदर्श बनाते हैं। यह किस्म टिकाऊ खेती और भूजल संरक्षण को बढ़ावा देती है।

किसान भाइयो, पूसा बासमती 1718 कम समय, सुगंधित दानों, और रोग प्रतिरोधकता के साथ आपकी आय दोगुनी करने का सुनहरा अवसर है। वैज्ञानिक तकनीक, जैविक खेती, और सही बाजार रणनीति अपनाएँ। यह किस्म न केवल मुनाफा बढ़ाएगी, बल्कि मिट्टी, पर्यावरण, और उपभोक्ताओं की सेहत भी बचाएगी। इस खरीफ सीजन पूसा बासमती 1718 बोएँ और समृद्धि की फसल काटें। अपनी मेहनत और इस उन्नत बीज के साथ खेतों को सोना बनाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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