खेती-किसानी करने वालों के लिए फली वाली सेम, जिसे हम लोबिया या सेम भी कहते हैं, की पुसा अर्ली प्रोलिफिक किस्म किसी खजाने से कम नहीं। ये किस्म जल्दी फल देती है, इसकी फलियाँ लंबी और कोमल होती हैं, और स्वाद ऐसा कि बाजार में लोग झट से खरीद लेते हैं। खेतिहर किसानों के लिए ये किस्म कम मेहनत में ज्यादा कमाई का रास्ता खोलती है। आइए, जानते हैं कि ये किस्म क्या खास है, इसे कैसे उगाएँ, और ये हमारे लिए क्यों फायदेमंद है।
पुसा अर्ली प्रोलिफिक की खासियत
पुसा अर्ली प्रोलिफिक एक अगेती किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने तैयार किया है। ये हमारे मौसम और मिट्टी के लिए बिल्कुल सही है। इसकी फलियाँ लंबी, हरी, और मुलायम होती हैं, जो खाने में स्वादिष्ट हैं। चाहे सब्जी बनानी हो, दाल बनानी हो, या बाजार में बेचना हो, ये हर तरह से कमाल की है। सबसे बड़ी बात, ये सिर्फ 60-65 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। मतलब, जल्दी फसल और जल्दी कमाई!
इस किस्म की खास बात ये है कि एक पौधे से ढेर सारी फलियाँ मिलती हैं। ये बहुपराग फलन वाली किस्म है, यानी एक पौधा इतनी फलियाँ देता है कि खेत से मुनाफा पक्का। इसे उगाना आसान है, और खर्चा भी कम लगता है। अगर आप अपने खेत में कुछ नया और फायदेमंद आजमाना चाहते हैं, तो ये किस्म आपके लिए बेस्ट है।
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सेम की खेती के आसान टिप्स
पुसा अर्ली प्रोलिफिक की खेती कोई मुश्किल काम नहीं है। सही तरीके और थोड़ी मेहनत से खेत हरा-भरा हो सकता है। यहाँ कुछ आसान टिप्स हैं:
सही समय और बीज: जून-जुलाई (मानसून की शुरुआत) या फरवरी-मार्च में बोआई करें। बीज कृषि केंद्र से लें; एक हेक्टेयर के लिए 10-12 किलो बीज काफी हैं।
खेत की तैयारी: बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट है, लेकिन ये ज्यादातर मिट्टियों में उग जाती है। खेत जोतकर 5-6 टन गोबर खाद प्रति हेक्टेयर डालें।
बोआई और देखभाल: बीज 2-3 सेंटीमीटर गहराई में बोएँ, पौधों के बीच 30-40 सेंटीमीटर दूरी रखें। जरूरत हो, तो बाँस से सहारा दें। शुरू में हल्का पानी दें, फिर 7-10 दिन में एक बार सिंचाई करें। नीम की पत्तियों का छिड़काव (1 किलो पत्ती 10 लीटर पानी में उबालकर) कीटों से बचाएगा।
तुड़ाई: 60-65 दिन बाद हरी और कोमल फलियाँ तोड़ें, ताकि बाजार में अच्छा दाम मिले।
इस किस्म के फायदे
पुसा अर्ली प्रोलिफिक किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। सबसे पहले, ये 60-65 दिन में फसल देती है, यानी जल्दी बिक्री और जल्दी मुनाफा। इसकी फलियाँ बाजार में 40-60 रुपये किलो तक बिकती हैं, क्योंकि लोग ताजी और कोमल फलियाँ पसंद करते हैं। गोबर खाद और नीम जैसे तरीकों से खेती का खर्चा कम रहता है। सेम में प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन्स भरपूर होते हैं, जो परिवार की सेहत के लिए अच्छा है।
इसके अलावा, सेम की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन डालती हैं, जो अगली फसल के लिए मिट्टी को और उपजाऊ बनाता है। अगर आप जैविक खेती करते हैं, तो इसकी फलियाँ बाजार में और अच्छा दाम लाती हैं, क्योंकि लोग रसायन-मुक्त खाना चाहते हैं। ये किस्म कम पानी में भी अच्छी फसल देती है, जो उन इलाकों के लिए बेस्ट है जहाँ पानी की कमी है।
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सरकार की मदद
सरकार की कई योजनाएँ सेम जैसी फसलों के लिए मदद करती हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और कृषि विकास योजना में बीज, खाद, और ड्रिप इरिगेशन के लिए सब्सिडी मिलती है। अपने नजदीकी कृषि कार्यालय में जाकर जानकारी लें। वहाँ ट्रेनिंग और सब्सिडी के बारे में पूरा ब्यौरा मिलेगा। कुछ जगहों पर जैविक खेती के लिए खास वर्कशॉप भी होते हैं, जो खेती को और आसान बनाते हैं।
पुसा अर्ली प्रोलिफिक (Pusa Early Prolific Farming) की फलियाँ बेचना आसान है। हरी और कोमल फलियाँ तुड़ाई के तुरंत बाद मंडी ले जाएँ, क्योंकि ताजगी की कीमत ज्यादा मिलती है। अगर जैविक तरीके से उगाया है, तो इसका जिक्र करें, क्योंकि जैविक फसल की मांग बढ़ रही है। इससे स्थानीय खरीदार मिल सकते हैं। पास की मंडी में मांग चेक करें, और अगर हो सके, तो शहर की बड़ी मंडियों में संपर्क बनाएँ।
खेती में छोटे-छोटे टिप्स
पानी बचाएँ: ड्रिप इरिगेशन आजमाएँ। ये पानी को जड़ तक ले जाता है, जिससे बर्बादी कम होती है।
कीटों से बचाव: नीम का छिड़काव हर 15 दिन में करें। ये सस्ता और असरदार है।
फसल चक्र: सेम के बाद मूंग या चना बोएँ। ये मिट्टी को ताकत देता है।
पुसा अर्ली प्रोलिफिक खेतों के लिए वरदान है। थोड़ी मेहनत और सही तरीके से बोआई करें, तो अच्छा मुनाफा पक्का है। अपने खेत को प्यार दें, मिट्टी को ताकत दें, और ये सेम की फलियाँ आपकी जेब और को हरा-भरा रखेंगी।
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