किसान भाइयों, चने की खेती हमारे देश में बड़े पैमाने पर होती है। रबी के मौसम में चना हमारी जमीन का गहना है, और अब इस गहने को और चमकाने के लिए पूसा के वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म ला दी है, जिसका नाम है पूसा चना 4037 (अश्विनी)। ये किस्म न सिर्फ ज्यादा पैदावार देती है, बल्कि खेती की लागत भी कम करती है। इसे खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों के लिए तैयार किया गया है। इसकी खास बात ये है कि ये कई रोगों से लड़ने में माहिर है, जिससे आपको कीटनाशक पर कम खर्च करना पड़ेगा। तो चलिए, इस किस्म की खासियत को समझते हैं।
कहां से आई ये अश्विनी किस्म?
इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने बनाया है। इसका नाम रखा गया है अश्विनी, जो पूसा की एक होनहार छात्रा और वैज्ञानिक डॉ. अश्विनी के सम्मान में है। उन्होंने तेलंगाना-आंध्र प्रदेश की बाढ़ में अपनी जान गंवा दी, लेकिन उनकी मेहनत और लगन आज इस किस्म के रूप में हमारे खेतों में फल रही है। ये किस्म उन किसानों के लिए वरदान है, जो कम मेहनत और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं।
कितनी पैदावार देती है ये किस्म?
अब बात करते हैं इस किस्म की पैदावार की। पूसा चना 4037 अश्विनी औसतन एक हेक्टेयर में 26-27 क्विंटल चना दे सकती है। लेकिन अगर आपने खेत की अच्छे से देखभाल की, सही समय पर बुवाई और खाद-पानी दिया, तो ये 36 क्विंटल तक उपज दे सकती है। यानी, भाइयों, अगर आप एक बीघा जमीन में इसकी खेती करते हैं, तो आराम से 7-8 क्विंटल तक चना निकाल सकते हैं। इतनी पैदावार पुरानी किस्मों से कहीं ज्यादा है, और बाजार में चने की अच्छी कीमत मिलने से आपकी जेब भी भरेगी।
रोगों से लड़े, लागत घटाए
खेती में सबसे बड़ा सिरदर्द होता है रोगों का। फ्यूजेरियम विल्ट (उकठा रोग) तो चने की फसल का पुराना दुश्मन है। लेकिन पूसा चना 4037 इस रोग के खिलाफ मजबूत दीवार की तरह खड़ा है। ये किस्म उकठा रोग को आसानी से झेल लेती है। इसके अलावा, ड्राई रूट रॉट, कॉलर रॉट और स्टंट रोग के खिलाफ भी ये मध्यम प्रतिरोधी है। यानी, आपको कीटनाशक और दवाइयों पर ज्यादा रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कम लागत में ज्यादा पैदावार, इससे बेहतर क्या हो सकता है?
मशीन से कटाई
आजकल समय की कीमत हर किसान समझता है। पूसा चना 4037 की एक खासियत ये है कि इसकी कटाई मशीनों से आसानी से की जा सकती है। पुरानी किस्मों में मशीन से कटाई करने पर कई बार दाने टूट जाते थे या फसल को नुकसान होता था। लेकिन अश्विनी किस्म के पौधे मजबूत और एकसमान ऊंचाई के होते हैं, जिससे मशीन से कटाई करना आसान हो जाता है। इससे न सिर्फ आपका समय बचेगा, बल्कि मजदूरी का खर्च भी कम होगा।
प्रोटीन से भरपूर
इस किस्म के चने में प्रोटीन की मात्रा 24.8% तक पाई गई है, जो इसे पोषण के लिहाज से भी खास बनाती है। आजकल लोग सेहत के प्रति जागरूक हैं, और प्रोटीन से भरपूर चने की डिमांड बाजार में बढ़ रही है। चाहे आप इसे बेसन के लिए बेचें, भुने चने के लिए, या फिर दाल के रूप में, इसकी अच्छी कीमत मिलना तय है। साथ ही, इसके दाने आकार में एकसमान और चमकदार होते हैं, जो व्यापारियों को खूब पसंद आते हैं।
कैसे करें इसकी खेती?
पूसा चना 4037 की बुवाई के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत को अच्छे से तैयार करें, तीन-चार बार जुताई करें और जमीन को समतल कर लें। बुवाई का सही समय अक्टूबर का पहला या दूसरा हफ्ता है, जब मिट्टी में नमी बनी रहती है। अगर आपके पास सिंचाई की सुविधा है, तो बुवाई 5-7 सेमी गहराई पर करें। अगर बारिश पर निर्भर हैं, तो 7-10 सेमी गहराई ठीक रहेगी। कतारों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें, ताकि पौधों को हवा और धूप अच्छे से मिले। खाद के लिए जैविक खाद या थोड़ा डीएपी इस्तेमाल करें, लेकिन ज्यादा रासायनिक खाद से बचें।
किसानों के लिए सलाह
भाइयों, पूसा चना 4037 अश्विनी न सिर्फ आपकी मेहनत को सम्मान देगी, बल्कि आपकी आमदनी को भी बढ़ाएगी। इसकी खेती शुरू करने से पहले अपने नजदीकी कृषि केंद्र से इसके बीज और बुवाई की पूरी जानकारी ले लें। अगर मुमकिन हो, तो पहले छोटे खेत में इसकी खेती आजमाएं, और फिर बड़े पैमाने पर लगाएं। साथ ही, समय-समय पर खेत की जांच करते रहें, ताकि कोई छोटी-मोटी समस्या बड़ी न बन जाए।
तो देर किस बात की? इस रबी सीजन में पूसा चना 4037 अश्विनी को अपने खेत में उतारें, और देखें कि कैसे ये किस्म आपकी मेहनत को दोगुना मुनाफा देती है। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करें।
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