आम की ये नई वैरायटी किसानों को बनाएगी करोड़पति, सितंबर-अक्टूबर में भी मिलेगा बंपर मुनाफा, जानिए इसकी खासियत

Pusa Hide And Seek Mango Variety: हिमाचल प्रदेश के नूरपुर जाछ में उद्यान विभाग ने गाँव के बागवानों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। पिछले दो सालों से यहाँ आम की नई किस्मों पर शोध चल रहा था, और अब इसका नतीजा सामने आया है। उद्यान विभाग ने पूसा अनुसंधान केंद्र, दिल्ली से लाए गए आम की एक नई किस्म हाइड एंड सींक पर शोध पूरा कर लिया है। ये शोध सफल रहा है, और इस किस्म के कुछ पौधे बागवानों को बाँटे भी जा चुके हैं।

आने वाले समय में इन्हें बड़े पैमाने पर तैयार किया जाएगा, ताकि गाँव के ज़्यादा से ज़्यादा बागवान इस नई किस्म का फायदा उठा सकें। इस किस्म की सबसे खास बात ये है कि ये सितंबर-अक्टूबर में पकती है, जिससे बागवानों को बाज़ार में अच्छा दाम मिलने की उम्मीद है।

हाइड एंड सींक किस्म की खासियत

हाइड एंड सींक किस्म के आम के पौधे हिमाचल के बागवानों के लिए एक नया तोहफा हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये देर से पकती है। जहाँ दशहरी, मल्का और आम्रपाली जैसी पारंपरिक किस्में जुलाई तक पककर तैयार हो जाती हैं, वहीं हाइड एंड सींक सितंबर-अक्टूबर में पकती है। इस समय बाज़ार में आम की कमी होती है, जिससे बागवानों को अच्छा मुनाफ़ा मिलेगा।

ये पौधे हाई-डेंसिटी पद्धति से लगाए जा सकते हैं, यानी एक हेक्टेयर में 1111 पौधे आसानी से लगाए जा सकते हैं। इन्हें 3 बाई 3 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, जिससे कम जगह में ज़्यादा पौधे लगाकर पैदावार बढ़ाई जा सकती है। इसकी ऊँचाई कम होती है, जिससे तुड़ाई में आसानी होती है। साथ ही, इस किस्म के फल स्वाद में मीठे और रसीले होते हैं, जो बाज़ार में अच्छी माँग ला सकते हैं।

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हाइड एंड सींक की खेती और देखभाल

हाइड एंड सींक किस्म की खेती गाँव के बागवानों के लिए आसान और फायदेमंद है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट मिट्टी सबसे सही है। पौधे लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें और जैविक खाद का इस्तेमाल करें। पौधों को 3 बाई 3 मीटर की दूरी पर लगाएँ, ताकि हर पौधे को पर्याप्त धूप और हवा मिले। शुरुआती दिनों में हफ्ते में दो बार पानी देना ज़रूरी है, लेकिन बारिश के मौसम में पानी की ज़रूरत कम हो जाती है।

पौधों को कीटों से बचाने के लिए नीम तेल या गोमूत्र से बने जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। हर साल पौधों की छँटाई करें, ताकि उनकी ऊँचाई नियंत्रित रहे और फल अच्छी तरह पक सकें। इस किस्म को ज़्यादा रासायनिक खाद की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिससे खेती का खर्च भी कम रहता है।

बागवानों को कैसे मिलेगा फायदा

हाइड एंड सींक किस्म गाँव के बागवानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि देर से पकने की वजह से सितंबर-अक्टूबर में बाज़ार में आम की कमी होती है, और इस समय बागवानों को अच्छा दाम मिल सकता है। कम जगह में ज़्यादा पौधे लगने से पैदावार भी बढ़ेगी। इसकी ऊँचाई कम होने की वजह से तुड़ाई आसान है, जिससे मज़दूरी का खर्च कम होगा। साथ ही, इस किस्म के आम स्वाद में लाजवाब हैं, जिससे बाज़ार में इनकी माँग बढ़ने की उम्मीद है।

उद्यान विभाग का कहना है कि इस किस्म से बागवानों की आमदनी में अच्छा इज़ाफ़ा होगा। नूरपुर जाछ में पहले से ही कुछ बागवानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है, और उनके अनुभव सकारात्मक रहे हैं।

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सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे लें

नूरपुर जाछ का उद्यान विभाग बागवानों को हर तरह की मदद देने के लिए तैयार है। विभाग समय-समय पर कई सरकारी योजनाएँ चलाता है, जिनका फायदा बागवान उद्यान विभाग के ई-पोर्टल पर जाकर आवेदन करके उठा सकते हैं। इन योजनाओं में पौधों पर सब्सिडी, बागवानी के लिए सस्ता लोन और मुफ्त ट्रेनिंग जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। उद्यान विभाग बागवानों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित करता है, जो नूरपुर जाछ के अनुसंधान केंद्र और कार्यालय में होते हैं।

इन ट्रेनिंग में बागवानों को आधुनिक बागवानी के तरीके, जैविक खेती और कीट प्रबंधन की जानकारी दी जाती है। बागवानों का एक ग्रुप भी बनाया गया है, जिसमें नए बागवान जुड़ सकते हैं। इसके लिए वो नज़दीकी उद्यान विभाग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

विशेषज्ञ की राय

नूरपुर जाछ के उद्यान विभाग के विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र राणा ने इस नई किस्म के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हाइड एंड सींक किस्म के पौधे पूसा अनुसंधान केंद्र, दिल्ली से लाए गए थे। पिछले दो सालों में इन पर शोध किया गया और इन्हें 3 बाई 3 मीटर की दूरी पर लगाकर तैयार किया गया। अब ये पौधे बागवानों को बाँटने के लिए तैयार हैं।

डॉ. राणा ने बताया कि इस किस्म का सबसे बड़ा फायदा ये है कि कम जगह में ज़्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं। इसकी ऊँचाई कम होने से तुड़ाई आसान है, और देर से पकने की वजह से बाज़ार में अच्छा दाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस किस्म के पौधों को बड़े पैमाने पर तैयार किया जाएगा, ताकि गाँव के ज़्यादा से ज़्यादा बागवान इसका फायदा उठा सकें।

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  • Shashikant

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