किसान भाइयों, गोभी एक ऐसी नकदी सब्जी है, जिसकी मांग बाजार में साल भर बनी रहती है। अगर जुलाई-अगस्त में अगेती बुवाई कर जल्दी फसल लेना चाहते हैं, तो पूसा हिमज्योति अगेती गोभी सबसे शानदार विकल्प है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-IARI, पूसा, नई दिल्ली द्वारा विकसित यह अगैती किस्म 70-80 दिन में पककर 280-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। इसके चमकदार सफेद और ठोस फूल बाजार में खासे लोकप्रिय हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में यह किस्म खूब उगाई जाती है। यह किस्म कम समय में तैयार होकर खेत को दूसरी फसल के लिए जल्दी खाली करती है।
पूसा हिमज्योति की खास विशेषताएँ
पूसा हिमज्योति अगेती गोभी की सबसे बड़ी खूबी इसकी तेजी से पकने की क्षमता है। यह 70-80 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिससे किसान नवंबर-दिसंबर में बाजार में ऊँचे दाम पा सकते हैं। इसके फूल मध्यम आकार के, गोल, ठोस, और चमकदार सफेद रंग के होते हैं, जिनका वजन 1-1.5 किलो होता है। यह 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान में बेहतरीन प्रदर्शन करती है, जो अगेती बुवाई के लिए आदर्श है।
यह झुलसा रोग और पत्ता लपेटक कीट के प्रति सहनशील है, जिससे रासायनिक खर्च कम होता है। अनुकूल परिस्थितियों में यह 360 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में किसानों ने इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 3.5 लाख रुपये तक कमाए। इसका कुरकुरा स्वाद और चमकदार रंग इसे सलाद, सब्जी, और अचार के लिए लोकप्रिय बनाता है।
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खेती का वैज्ञानिक तरीका
पूसा हिमज्योति अगेती गोभी की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। नर्सरी के लिए 500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त हैं। जुलाई के मध्य से अगस्त तक नर्सरी में बुवाई करें और 25-30 दिन पुरानी पौध को अगस्त अंत से सितंबर मध्य तक खेत में रोपें। खेत को दो बार जोतकर समतल करें और 25 टन गोबर खाद डालें। उर्वरक के लिए 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फॉस्फोरस, और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
पूरी फॉस्फोरस और पोटाश बुवाई के समय दें, जबकि नाइट्रोजन का आधा हिस्सा बुवाई के समय और बाकी टॉप ड्रेसिंग के रूप में 25-30 दिन बाद दें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें। नर्सरी में हर 3-4 दिन पर हल्की सिंचाई करें और खेत में रोपाई के बाद हर 7-10 दिन पर सिंचाई करें। पहली निराई-गुड़ाई 20 दिन बाद और दूसरी 35 दिन बाद करें। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में इस तकनीक से उपज 22% बढ़ी।
रोग और कीटों से बचाव
पूसा हिमज्योति अगेती गोभी झुलसा रोग और पत्ता लपेटक के प्रति सहनशील है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। झुलसा रोग के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/लीटर) का छिड़काव 30-35 दिन बाद करें। पत्ता लपेटक के लिए स्पिनोसैड (1 मिली/लीटर) या नीम तेल (5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। सफेद मक्खी के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) और कटवा कीड़े के लिए क्लोरोपायरीफॉस (2 मिली/लीटर) का उपयोग करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालिन (1 किलो/हेक्टेयर) का प्री-इमर्जेंस छिड़काव करें। रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और स्वस्थ बीज का उपयोग करें। पंजाब के लुधियाना में इन उपायों से उपज 20% बढ़ी। फसल को 70-80 दिन में काटें, जब फूल ठोस और चमकदार सफेद हों।
भंडारण और बाजार की मांग
पूसा हिमज्योति के फूलों की ठोस बनावट और चमकदार सफेद रंग के कारण यह 1-2 महीने तक सामान्य भंडारण में ताजा रहता है। इसका कुरकुरा स्वाद इसे सलाद, सब्जी, और अचार के लिए आदर्श बनाता है। इसका ड्राई मैटर कंटेंट 6-8% होने से यह प्रोसेसिंग (जैसे चिप्स) के लिए कम उपयुक्त है, लेकिन स्थानीय और घरेलू बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। नवंबर-दिसंबर में गोभी की कमी के कारण यह 10-14 रुपये/किलो का दाम पाती है। हिमाचल के मंडी में किसानों ने इसके भंडारण और बाजार मांग की तारीफ की।
मुनाफे का सुनहरा अवसर
पूसा हिमज्योति अगेती गोभी की बुवाई से किसान नवंबर-दिसंबर में फसल बेचकर 10-14 रुपये/किलो का दाम पा सकते हैं। 280-350 क्विंटल/हेक्टेयर उपज से 2.8-4.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 80,000-1 लाख रुपये/हेक्टेयर आती है, जिसमें बीज, खाद, और मजदूरी शामिल है। शुद्ध मुनाफा 1.5-3.5 लाख रुपये तक हो सकता है। ICAR-IARI के एक अध्ययन के अनुसार, इस किस्म ने उत्तर भारत और पहाड़ी क्षेत्रों में गोभी की खेती को 22% अधिक लाभकारी बनाया।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में किसानों ने इसकी तेजी और रोग प्रतिरोध की सराहना की। किसान भाई ICAR-IARI, पूसा, नई दिल्ली, या नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय से प्रमाणित बीज और सलाह लें। पूसा हिमज्योति से कम समय में बंपर मुनाफा कमाएँ।
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