पूसा कृषि मेला कल शुरू होगा, नई फसलों और तकनीक से खेती में करें कमाल – अभी जुड़ें

Pusa Krishi Vigyan Mela 2025: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और पूसा संस्थान (ICAR-IARI) हमारे किसानों के लिए एक शानदार मेला लेकर आ रहा है। पूसा कृषि विज्ञान मेला-2025 का आयोजन 22 फरवरी से नई दिल्ली में शुरू होगा और तीन दिन तक चलेगा। इस बार की थीम है “उन्नत कृषि – विकसित भारत”, यानी नई तकनीक और फसलों से देश को आगे ले जाना। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी इस मेले का उद्घाटन करेंगे। ये मेला किसानों को नई राह दिखाएगा, जिसमें खेती की नई किस्में, तकनीक और कमाई के रास्ते शामिल होंगे। गाँव की मेहनत को शहर की तरक्की से जोड़ने का ये बड़ा मौका है।

मेले की खासियतें: हर किसान के लिए कुछ नया

इस मेले में पूसा संस्थान की नई फसल किस्मों और तकनीकों का शानदार प्रदर्शन होगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, FPO, स्टार्टअप्स, उद्यमी और निजी कंपनियाँ अपने नए उत्पाद और सेवाएँ दिखाएँगी। तकनीकी सत्र होंगे, जहाँ वैज्ञानिक और किसान मिलकर जलवायु के हिसाब से खेती, फसल विविधीकरण, डिजिटल खेती, युवाओं और महिलाओं के लिए उद्यमिता, बाजार तक पहुँच, किसान संगठन, स्टार्टअप्स और किसानों के अपने नए आइडियाज पर बात करेंगे। पूसा की फसलों के बीज बिक्री के लिए भी उपलब्ध होंगे, और वैज्ञानिक मुफ्त में सलाह देंगे। ये मेला हर किसान के लिए खेती का नया स्कूल है।

जलवायु अनुकूल और पोषण से भरी फसलें

मौसम बदल रहा है और पोषण की जरूरत बढ़ रही है। इसे देखते हुए पूसा ने ऐसी फसलें तैयार की हैं जो मौसम की मार झेल सकें और खाने में ताकत दें। 2024 में 10 तरह की फसलों में 27 नई किस्में बनाई गईं – 7 गेहूँ, 3 चावल, 8 संकर मक्का, 1 संकर बाजरा, 2 चना, 1 अरहर संकर, 3 मूंग, 1 मसूर, 2 डबल जीरो सरसों और 1 सोयाबीन। इनमें 16 किस्में और 11 संकर हैं। खास बात ये कि 10 किस्में जलवायु अनुकूल और बायोफोर्टिफाइड हैं, जिनमें 7 अनाज-मिलेट्स, 2 दालें और 1 चारा शामिल है। ये फसलें न सिर्फ ज्यादा पैदा करती हैं, बल्कि सेहत भी बढ़ाती हैं। मेले में इनसे मिलने का मौका है।

बासमती का जलवा और छोटी अवधि की धान

पूसा की बासमती चावल की किस्में तो दुनिया में नाम कमा रही हैं। पूसा बासमती 1718, 1692, 1509 और नई किस्में जैसे पीबी 1847, 1885, 1886 बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट जैसी बीमारियों से लड़ती हैं। 2023-24 में भारत ने 5.2 मिलियन टन बासमती निर्यात कर 48,389 करोड़ कमाए, जिसमें पूसा की 90% हिस्सेदारी थी। अप्रैल-नवंबर 2024 तक 31,488 करोड़ की कमाई हुई। छोटी अवधि की धान जैसे पूसा 1824 और 2090 रबी की तैयारी के लिए समय बचाते हैं। बिहार-यूपी के लिए पूसा आरएच 60 सुगंधित और ऊँची पैदावार वाली है। कालानमक की नई किस्में पूसा नरेंद्र केएन1 और केएन2 भी यूपी के लिए तैयार हैं। मेले में इनका प्रदर्शन होगा।

पोषण से भरपूर नई किस्में

पोषण की चिंता को देखते हुए पूसा ने 8 बायोफोर्टिफाइड किस्में बनाई हैं। गेहूँ की एचआई 1665 और ड्यूरम गेहूँ एचआई 60 पीपीएम में प्रोविटामिन ए, लाइसीन और ट्रिप्टोफैन भरा है। पूसा बायोफोर्टिफाइड मक्का संकर-4 भी ऐसा ही ताकतवर है। पूसा पॉपकॉर्न संकर-1 और 2 ऊँचे पॉपिंग वाले हैं, जो NW और P क्षेत्रों के लिए हैं। पूसा एचएम 4 मेल स्टीराइल बेबी कॉर्न-2 NE, P और CW क्षेत्रों के लिए है। ये किस्में खेत में पैदा होंगी और घर में सेहत लाएँगी। मेले में इनके बारे में सब कुछ जानने को मिलेगा।

रोगों से लड़ने वाली फसलें

पूसा ने रोगों से लड़ने वाली फसलें भी बनाई हैं। डबल जीरो सरसों की पूसा सरसों 35 और 36 में एरूसिक अम्ल और ग्लूकोसिनोलेट्स कम हैं, जो मध्य प्रदेश, यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान के लिए हैं। बाजरे की पूसा 1801 लोहा और जिंक से भरी है और दिल्ली-NCR के लिए सही है। चने की पूसा चना विजय 10217 फ्यूजेरियम विल्ट से लड़ती है, और पूसा 3057 में 24.3% प्रोटीन के साथ कई रोगों से रक्षा है। अरहर की पूसा अरहर हाइब्रिड-5 23-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देती है और कई बीमारियों से सुरक्षित है। ये फसलें आपके खेत को मजबूत बनाएँगी।

छोटे किसानों के लिए आसान मॉडल

छोटे खेत वालों के लिए पूसा ने 1 हेक्टेयर का मॉडल बनाया है, जिसमें फसल, डेयरी, मछली, बतख, बायोगैस, फल और वनस्पति हैं। इससे सालाना 3.79 लाख तक कमाई हो सकती है। 0.4 हेक्टेयर का मॉडल पॉलीहाउस, मशरूम और बागवानी से 1.75 लाख सालाना दे सकता है। ये मॉडल छोटे किसानों के लिए कमाई का रास्ता खोलते हैं। मेले में इनके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।

सब्जियाँ, फल और फूलों की नई किस्में

पूसा ने 48 सब्जी फसलों में 268 नई किस्में बनाई हैं, जिनमें 41 संकर और 227 किस्में हैं। गाजर (पूसा प्रतीक, रुधिरा, असिता), भिंडी (पूसा लाल भिंडी-1), सेम (पूसा लाल सेम), ब्रोकली (पूसा पर्पल) और पालक (पूसा विलायती) पोषण से भरपूर हैं। भिंडी की पूसा भिंडी-5 और डीओएच-1 रोगों से लड़ती हैं। बैंगन, प्याज, खीरा, करेला और खरबूजे की नई किस्में भी हैं। अमरूद की पूसा आरुषि और प्रतीक्षा, पपीते की पूसा पीत और गेंदे की पूसा बहार भी तैयार हैं। ये सब मेले में दिखेंगी।

खेती को आसान बनाने वाले उपकरण

पूसा ने कई धांसू उपकरण बनाए हैं। स्पीडीसीड किट 1-4 घंटे में बीज की ताकत बताती है। पूसा STFR मीटर 14 मिट्टी के तत्वों की जाँच करता है। पूसा डीकम्पोजर फसल अवशेष को सड़ाने का आसान तरीका है, 500 ग्राम प्रति एकड़ काफी है। सन फ्रिज सौर ऊर्जा से चलता है और फसल को ताजा रखता है। मीफ्लाई और क्यूफ्लाई किट फल मक्खियों से बचाती हैं। चिली, मूंगफली और धान के रोगों की जाँच के लिए किट भी हैं। ये सब मेले में देखने को मिलेंगे।

मेले से बदलाव की शुरुआत

पूसा मेला हर बार नई उम्मीद लाता है। नई किस्में और उपकरण लेकर लौटने वाले किसान अपनी खेती को दोगुना करते हैं। छोटे मॉडल कम जमीन में बड़ी कमाई का रास्ता दिखाते हैं। वैज्ञानिकों से सीधी सलाह हर सवाल का जवाब देती है। ये मेला खेती को नई ताकत देने का ठिकाना है।

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  • Shashikant

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