PUSA Crop Advisory: देशभर में मॉनसून की बारिश जोरों पर है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भारी बारिश से किसानों को फसलों का नुकसान झेलना पड़ा है, और कई जगह दोबारा बुवाई करनी पड़ रही है। ऐसे में पूसा इंस्टीट्यूट ने खरीफ सीजन के लिए धान, मक्का, ज्वार, लोबिया, और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए खास एडवाइजरी जारी की है। ये सलाह मॉनसून के मौसम में फसलों को सुरक्षित रखने और बंपर उपज पाने में मदद करेगी। ज
धान की रोपाई का सही तरीका
पूसा ने सलाह दी है कि जिन किसानों की धान की नर्सरी 20-25 दिन की हो गई है, वे तैयार खेतों में रोपाई शुरू करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें। प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, 40 किलो पोटाश, और 25 किलो जिंक सल्फेट डालें। बाढ़ वाले खेतों में नील हरित शैवाल (1 पैकेट प्रति एकड़) का उपयोग करें, ताकि मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़े।
खेत की मेंढ़ों को मजबूत करें, जिससे बारिश का पानी जमा हो सके। जल निकासी का भी ध्यान रखें, ताकि ज्यादा पानी फसल को नुकसान न पहुंचाए। छिड़काव से बचें, क्योंकि बारिश में दवाएँ बह सकती हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती में किसानों ने इस तकनीक से 5 टन/हेक्टेयर तक उपज ली।
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मक्का और ज्वार की बुवाई
मक्का की खेती के लिए पूसा ने मेढ़ों पर बुवाई की सलाह दी है। हाइब्रिड किस्में जैसे AH-421 और AH-58 या उन्नत किस्में जैसे पूसा कंपोजिट-3 और पूसा कंपोजिट-4 चुनें। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से 20 किलो/हेक्टेयर की दर से लें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 18-25 सेंटीमीटर रखें। खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन (1-1.5 किलो/हेक्टेयर) को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
ज्वार की चारा फसलों के लिए पूसा चरी-9 और पूसा चरी-6 जैसी हाइब्रिड किस्में 40 किलो/हेक्टेयर की दर से बोएँ। लोबिया की बुवाई भी इस समय उपयुक्त है। जल निकासी का प्रबंधन जरूरी है, ताकि बारिश का पानी जमा न हो।
मिर्च, बैंगन, और सब्जियों की नर्सरी
पूसा ने मिर्च, बैंगन, और सितंबर में तैयार होने वाली फूलगोभी की नर्सरी के लिए सही समय बताया है। पौधशाला में नायलॉन जाली का उपयोग करें, ताकि कीटों से बचाव हो। तेज धूप से बचाने के लिए 6.5 फीट ऊँचे छायादार नेट का इस्तेमाल करें। बीजों को केप्टान (2 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें। तैयार नर्सरी वाले किसान मौसम देखकर रोपाई शुरू करें।
कद्दूवर्गीय सब्जियों जैसे लौकी (पूसा नवीन, पूसा समृद्धि), करेला (पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी), सीताफल (पूसा विश्वास, पूसा विकास), तुरई (पूसा चिकनी धारीदार, पूसा नसदार), और खीरा (पूसा उदय, पूसा बरखा) की बुवाई मेढ़ों पर करें। बेलों को मचान पर चढ़ाएँ और जल निकासी का ध्यान रखें।
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वायरस और खरपतवार से सावधानी
मिर्च के खेतों में वायरस से प्रभावित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। साफ मौसम में इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। सभी खरीफ फसलों में 15-20 दिन के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करें, ताकि खरपतवार नियंत्रित हों। इससे पानी की बचत होती है और जड़ों का विकास बेहतर होता है। फलों के नए बाग लगाने वाले किसान प्रमाणित स्रोत से पौधे लें और तैयार गड्ढों में रोपाई करें। बिहार के वैशाली में किसानों ने खरपतवार नियंत्रण से मिर्च की उपज 20% बढ़ाई।
बंपर उपज का मौका
पूसा की ये सलाह मॉनसून में फसलों को सुरक्षित रखने और उपज बढ़ाने का सुनहरा मौका देती है। धान की रोपाई, मक्का-ज्वार की बुवाई, और सब्जियों की नर्सरी के लिए सही तकनीक अपनाएँ। बाजार में मक्का का भाव 2500-3000 रुपये/क्विंटल और मिर्च का 40-60 रुपये/किलो है। किसान भाई नजदीकी कृषि केंद्र से सलाह और प्रमाणित बीज लें, ताकि मॉनसून का फायदा उठाकर मुनाफा कमाएँ।
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