Tomato Farming: टमाटर किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने जारी की खास सलाह, पूसा की इन किस्मों से होगा सबसे ज्यादा मुनाफा

Tomato Farming: देश भर की मंडियों में अभी टमाटर 80 से 120 रुपये किलो तक बिक रहा है। ठंड खत्म होते ही मार्च-अप्रैल में भी कीमतें 60-100 रुपये किलो तक रहेंगी। जो किसान भाई अभी नर्सरी तैयार कर लेंगे, वही मोटा मुनाफा कमा पाएँगे। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) और कृषि विश्वविद्यालयों ने उत्तर भारत के सभी मैदानी इलाकों के लिए ताजा सलाह जारी की है कि दिसंबर के पहले हफ्ते तक टमाटर की बसंत-ग्रीष्म ऋतु की फसल की नर्सरी जरूर डाल दें।

जनवरी में पौध रोपाई हो जाएगी और मार्च से जून तक लगातार तुड़ाई चलती रहेगी। इस बार पूसा हाइब्रिड-1, पूसा उपहार, पूसा-120, पूसा शीतल और पूसा सदाबहार जैसी किस्में सबसे ज्यादा चल रही हैं। इनसे 350-450 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार आसानी से आ रही है और फल एकसमान, चमकदार तथा मंडी में सबसे ऊँचा दाम दिला रहे हैं। अभी देर नहीं हुई है, आज ही नर्सरी का प्लान बना लें।

मिट्टी और खेत की तैयारी

टमाटर को अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी लगती है, जिसमें जीवांश भरपूर हो। यदि खेत में पानी रुकता है तो ऊँची क्यारियाँ बना लें, अन्यथा फल सड़ने लगते हैं। रोपाई से एक महीना पहले ही 20-25 टन अच्छी सड़ी गोबर की खाद या कंपोस्ट प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह मिला दें। जुताई गहरी कर दें ताकि खाद नीचे तक पहुँच जाए। खेत समतल कर लें और जल निकास का रास्ता पक्का रखें।

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नर्सरी और बीज की मात्रा

सामान्य उन्नत किस्मों के लिए 350-400 ग्राम और संकर किस्मों के लिए सिर्फ 200-250 ग्राम बीज ही एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त हैं। नर्सरी में हल्की, भुरभुरी मिट्टी और गोबर खाद का मिश्रण डालकर बीज बो दें। ऊपर से पुआल या छप्पर की छाँव कर दें ताकि तेज धूप न लगे। दिसंबर में बोई नर्सरी जनवरी के पहले-दूसरे हफ्ते तक रोपाई के लिए तैयार हो जाएगी।

रोपाई की दूरी

जिन किस्मों की बढ़वार सीमित रहती है, उन्हें 60×60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएँ। पूसा हाइब्रिड-1 और पूसा सदाबहार जैसी असीमित बढ़वार वाली किस्मों को 75-90×60 सेंटीमीटर की दूरी दें। शाम के समय ही रोपाई करें, धूप में पौधे मुरझा जाते हैं। हर गड्ढे में एक स्वस्थ पौधा लगाएँ और हल्का पानी दे दें।

खाद और पोषक तत्व

संकर किस्मों में रोपाई के समय 150:250:100 किलो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश बेसल डोज के रूप में डालें। सामान्य उन्नत किस्मों में 75:100:50 किलो ही काफी है। रोपाई के 20-25 दिन बाद 50-60 किलो नाइट्रोजन की पहली टॉप ड्रेसिंग और 45-50 दिन बाद इतनी ही दूसरी टॉप ड्रेसिंग कर दें। यूरिया, डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश का हिसाब इसी तरह रखें। कमी हुई तो फल छोटे रह जाएँगे और ज्यादा हुई तो सिर्फ पत्तियाँ ही बढ़ेंगी।

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निराई-गुड़ाई और सहारा

रोपाई के 20-25 दिन बाद हल्की निराई-गुड़ाई कर दें और पौधों की जड़ों के पास मिट्टी चढ़ा दें। असीमित बढ़वार वाली किस्मों को बाँस या प्लास्टिक की रस्सी से सहारा जरूर दें। फल जमीन से छूने लगें तो सड़न शुरू हो जाती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए सूखा पुआल या घास-फूस की मल्चिंग कर दें न खरपतवार आएगा, न नमी उड़ेगी और फल साफ-सुथरे रहेंगे।

झुलसा रोग से बचाव

झुलसा रोग इस फसल का सबसे बड़ा दुश्मन है। जैसे ही मौसम में नमी बढ़े, तुरंत मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर या साइमोक्सानिल+मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव शुरू कर दें। 10-12 दिन के अंतराल पर दो-तीन स्प्रे कर दें। स्वस्थ और प्रमाणित बीज ही इस्तेमाल करें और फसल चक्र में गैर-सोलनेसी फसलें लें ताकि रोग का बीजाणु खेत में न रहे।

अभी टमाटर के दाम ऊँचे हैं और गर्मियों में भी माँग बनी रहेगी। पूसा की ये किस्में बाजार में सबसे ज्यादा पसंद की जा रही हैं। दिसंबर का ये आखिरी हफ्ता है – नर्सरी आज-कल में डाल दें तो मार्च से जून तक खेत हरा-लाल रहेगा और बैंक बैलेंस भी मजबूत हो जाएगा। देर न करें, अभी शुरू कर दें।

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  • Shashikant

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