ऐसे करें प्याज की आर्गेनिक खेती और पायें जबरदस्त उत्पादन के साथ डबल मुनाफा

Pyaj Ki Organic Kheti: प्याज हमारे किचन का एक जरूरी हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल लगभग हर भारतीय घर में रोजाना किया जाता है। इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है, जिससे किसान इससे अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। अगर इसे जैविक तरीके से उगाया जाए, तो न केवल इसकी गुणवत्ता बेहतर होगी बल्कि इसकी बाजार में कीमत भी ज्यादा मिलेगी। जैविक खेती से प्याज उगाने से मिट्टी की सेहत भी अच्छी रहती है और पर्यावरण पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता। इस लेख में हम प्याज की जैविक खेती से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को विस्तार से समझेंगे ताकि कोई भी किसान इसे आसानी से अपना सके।

प्याज की ऑर्गेनिक खेती (Pyaj Ki Organic Kheti) के फायदे

ऑर्गेनिक तरीके से प्याज उगाने के बहुत सारे फायदे हैं। सबसे पहला फायदा यह है कि इसमें कोई भी केमिकल या जहरीली दवाई नहीं डाली जाती, जिससे यह सेहत के लिए फायदेमंद रहता है। दूसरी बात यह कि जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और खेत लंबे समय तक उपजाऊ बना रहता है। इससे खेती करने की लागत भी कम हो जाती है, क्योंकि इसमें बाजार से महंगे रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा जैविक प्याज की मांग बाजार में बहुत ज्यादा रहती है और इसकी कीमत भी सामान्य प्याज की तुलना में अधिक मिलती है।

Pyaj Ki Organic Kheti

मिट्टी की तैयारी

प्याज की खेती के लिए मिट्टी का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। प्याज को बलुई दोमट मिट्टी में उगाना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह मिट्टी जल निकासी के लिए उपयुक्त होती है। प्याज की जड़ें गहरी नहीं होतीं, इसलिए मिट्टी का ऊपरी परत हल्का और भुरभुरा होना चाहिए। खेत की तैयारी के दौरान 2-3 बार अच्छी तरह जुताई करें और मिट्टी को समतल बना लें।

जैविक खेती में मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रति एकड़ खेत में लगभग 10-15 टन गोबर की खाद डालें। इसके अलावा, मिट्टी का pH मान 6-7 के बीच होना चाहिए। यदि मिट्टी अम्लीय है, तो चूने का इस्तेमाल करके pH को संतुलित किया जा सकता है।

बीज का चयन और बुवाई का तरीका

जैविक प्याज की खेती (Pyaj Ki Organic Kheti) के लिए बीज का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। देसी किस्में जैसे नासिक लाल, पूसा रेड, और अर्ली ग्रेनो जैविक खेती के लिए उपयुक्त हैं। ये किस्में कीटों और रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं और अच्छी पैदावार देती हैं।

बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है, जब मौसम ठंडा होता है। बुवाई से पहले बीजों को नीम की पत्तियों के घोल या जैविक ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि बीमारियों से बचा जा सके।बीजों को क्यारियों में 2-3 सेमी की गहराई में बोएं। पौध से पौध की दूरी 10 सेमी और कतार से कतार की दूरी 15 सेमी रखें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि बीज अच्छी तरह अंकुरित हो सकें।

Pyaj Ki Organic Kheti
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सिंचाई 

प्याज की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन समय-समय पर हल्की सिंचाई करना जरूरी होता है। ज्यादा पानी देने से प्याज के कंद सड़ने लगते हैं और फसल खराब हो जाती है। इसलिए हल्की सिंचाई करना ही फायदेमंद रहता है। प्याज के खेत में ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने से पानी की बचत होती है और फसल भी अच्छी होती है। खासकर फूल आने और कंद बनने की अवस्था में पानी की कमी न होने दें।

खाद और पोषक तत्वों का प्रबंधन

जैविक खेती में खाद बहुत महत्वपूर्ण होती है। खेत में गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, गोमूत्र, और जीवामृत जैसे जैविक उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा जैविक फॉस्फेट (जैसे रॉक फॉस्फेट) और नीम खली भी अच्छे जैविक उर्वरक होते हैं जो प्याज की पैदावार को बढ़ाने में मदद करते हैं। जैविक खेती में नीम के पत्तों का रस या छाछ का घोल छिड़ककर कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक उपाय अपनाए जाते हैं। इससे प्याज की फसल सुरक्षित रहती है और उत्पादन भी बढ़ता है।

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कीट और रोग नियंत्रण

प्याज की जैविक खेती (Pyaj Ki Organic Kheti) में कीट और रोग नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके बजाय, प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

  • थ्रिप्स और कीड़े: थ्रिप्स प्याज की पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचने के लिए नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या लहसुन-मिर्च का घोल छिड़कें।
  • फंगस: गीली मिट्टी में फफूंदी लग सकती है। इससे बचने के लिए गोमूत्र और दशपर्णी अर्क का इस्तेमाल करें।
  • कीट रोकथाम: खेत में मेड़ों पर गेंदा या लहसुन लगाएं। ये पौधे कीटों को दूर रखते हैं और प्राकृतिक कीटनाशक का काम करते हैं।

कटाई और भंडारण

प्याज की फसल 120-150 दिन में तैयार हो जाती है। जब पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगें, तो प्याज उखाड़ लें। उखाड़े गए प्याज को 2-3 दिन धूप में सुखाएं। इससे प्याज की बाहरी परत सख्त हो जाती है, जो भंडारण के लिए जरूरी है।

भंडारण के लिए ठंडी, सूखी और हवादार जगह चुनें। प्याज को बांस की टोकरी या लकड़ी के बक्से में रखें। यदि प्याज को लंबे समय तक स्टोर करना है, तो उन्हें नमी से बचाएं।

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बाजार में बिक्री और मुनाफा

ऑर्गेनिक प्याज (Organic Onion) की बाजार में बहुत अच्छी मांग रहती है, जिससे इसकी कीमत भी सामान्य प्याज की तुलना में अधिक मिलती है। किसान इसे सीधे जैविक उत्पादों की दुकानों, सुपरमार्केट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं। जैविक प्याज के निर्यात की भी अच्छी संभावनाएं हैं, जिससे किसानों को और भी ज्यादा मुनाफा हो सकता है।

जैविक तरीके से प्याज की खेती (Pyaj Ki Organic Kheti) करना न केवल किसानों के लिए बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद है। जैविक खेती से न केवल सेहतमंद फसल मिलती है बल्कि यह मिट्टी और पर्यावरण के लिए भी अच्छा होता है। अगर सही तरीके से खेती की जाए तो जैविक प्याज की अच्छी पैदावार ली जा सकती है और बाजार में इसका ऊंचा मूल्य प्राप्त किया जा सकता है। किसान भाइयों को जैविक खेती को अपनाना चाहिए ताकि वे बेहतर गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त कर सकें और अपनी आमदनी भी बढ़ा सकें।

किसानों के लिए टिप्स

  • बुवाई से पहले बीजों को जैविक फफूंदनाशक (जैसे ट्राइकोडर्मा) से उपचारित करें।
  • फसल चक्र अपनाएं: प्याज के बाद दलहनी फसल (जैसे मटर) लगाएं। इससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है।
  • खेत में जैविक खाद और कम्पोस्ट का नियमित इस्तेमाल करें।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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