रबी सीजन में बोएं जौ की ये वैरायटी, उपज होगी रिकॉर्ड स्तर पर

रबी सीजन आते ही किसान भाई अपनी फसलों का चयन सोच-समझकर करते हैं। इस बार जौ की खेती एक शानदार विकल्प साबित हो सकती है, खासकर उन किसानों के लिए जो कम पानी और कम खर्च में ज्यादा पैदावार चाहते हैं। भारत के उत्तरी इलाकों जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में जौ की मांग हमेशा बनी रहती है। यह फसल न केवल चारे के लिए अच्छी है, बल्कि माल्ट उद्योग और बाजार में भी इसकी अच्छी कीमत मिलती है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सही किस्म चुनकर किसान प्रति एकड़ 20 क्विंटल से ज्यादा उपज ले सकते हैं। आइए, जानते हैं ऐसी ही कुछ उन्नत किस्मों के बारे में, जो कम लागत में बंपर फसल का वादा करती हैं।

उच्च उपज वाली किस्में: बीएच-946 और बीएच-902 का कमाल

अगर आप ज्यादा पैदावार की तलाश में हैं, तो बीएच-946 जौ की एक बढ़िया 6 कतार वाली किस्म है। हरियाणा जैसे राज्यों में यह किस्म खूब चल रही है, जहां से प्रति एकड़ करीब 21 क्विंटल तक अनाज मिल सकता है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और फसल जल्दी पक जाती है। इसी तरह, बीएच-902 रोगों से लड़ने की ताकत रखती है। यह रतुआ और झुलसा जैसे रोगों के खिलाफ मजबूत है, जिससे किसानों को दवाओं पर कम खर्च करना पड़ता है। इससे भी 20 क्विंटल से ऊपर उपज आसानी से हो जाती है। ये दोनों किस्में छोटे किसानों के लिए बिल्कुल फिट हैं, जो सीमित संसाधनों में खेती करते हैं।

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माल्ट उद्योग के लिए बीएच-885: विशेष किस्म का फायदा

माल्ट बनाने वाले उद्योगों के लिए जौ की खेती करने वाले किसानों के लिए बीएच-885 एक खास 2 कतार वाली किस्म है। इसके दाने एकसमान और चमकदार होते हैं, जो बाजार में ऊंची कीमत लाते हैं। प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक पैदावार मिलना कोई बड़ी बात नहीं। यह किस्म कम पानी में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, जो सूखा प्रभावित इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए वरदान है। अगर आप पहली बार जौ उगा रहे हैं, तो इस किस्म से शुरू करें – यह आसान और फायदेमंद साबित होगी।

रोग प्रतिरोधी किस्में: बीएच-393 और बीएच-75 से निश्चिंत रहें

जौ की खेती में रोग सबसे बड़ा दुश्मन होते हैं, लेकिन बीएच-393 जैसी बौनी 6 कतार वाली किस्म इनसे लड़ने को तैयार है। यह पीला और भूरा रतुआ रोग के खिलाफ मजबूत है, और प्रति एकड़ 19 क्विंटल तक अनाज दे सकती है। इसके पौधे छोटे होते हैं, जिससे कटाई आसान हो जाती है। वहीं, बीएच-75 भी बौनी और 6 कतार वाली है, जिसमें फुटाव तेज होता है। सिंचाई वाली खेती के लिए यह बेस्ट है और पीला रतुआ से बचाव करती है। इससे 16 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिलना तय है। इन किस्मों को चुनकर किसान रोगों की चिंता छोड़कर खेती पर फोकस कर सकते हैं।

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बुवाई के समय के हिसाब से चुनें सही किस्म

जौ की खेती में बुवाई का समय बहुत मायने रखता है। समय पर बुवाई करने वालों के लिए डीडब्ल्यूआरबी 52, डीएल 83, आरडी 2668 और 2503 जैसी किस्में शानदार हैं। ये ठंड के मौसम में अच्छा प्रदर्शन करती हैं। अगर सिंचाई की सुविधा है और बुवाई थोड़ी देरी से हो रही है, तो ऑडी 2508 और डीएल 88 चुनें – ये देरी सहन करने वाली हैं। बिना सिंचाई के समय पर बुवाई के लिए आरडी 2508, आरडी 2624 और आरडी 2660 बेस्ट विकल्प हैं। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि मिट्टी की जांच करवाकर बीज चुनें, ताकि फसल मजबूत पनपे।

जौ की खेती के आसान टिप्स

जौ उगाने के लिए अक्टूबर-नवंबर का समय सबसे अच्छा रहता है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में बुवाई करें और जैविक खाद का इस्तेमाल करें। कम पानी वाली फसल होने से 2-3 सिंचाई ही काफी हैं। खरपतवारों से बचाव के लिए बुवाई के 30 दिन बाद निराई करें। इन उन्नत किस्मों को अपनाकर किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ रख सकते हैं। रबी सीजन में जौ की खेती से न सिर्फ चारा मिलेगा, बल्कि बाजार में अच्छा दाम भी।

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  • Shashikant

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