रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही हरियाणा के सिरसा जिले में डीएपी खाद की मांग आसमान छू रही है। गेहूं, सरसों और चने की बुवाई से पहले किसानों को खाद की ज़रूरत है, लेकिन इसकी कमी ने उनकी तैयारियों पर पानी फेर दिया है। हाल ही में सिरसा में 1350 मीट्रिक टन डीएपी की खेप पहुँची, लेकिन यह मांग को पूरा करने के लिए नाकافی साबित हुई। सरकारी और निजी वितरण केंद्रों पर सुबह से ही किसानों की लंबी कतारें लग रही हैं। कई किसानों को घंटों इंतज़ार के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ रहा है, जिससे उनकी नाराज़गी बढ़ रही है।
वितरण केंद्रों पर अव्यवस्था का आलम
सिरसा की अनाज मंडी में सुबह सात बजे से ही किसान कतारों में जुटने लगे। स्थानीय किसान रमेश ने बताया कि वह सुबह से लाइन में थे, लेकिन टोकन बँटने की प्रक्रिया जल्दी बंद हो गई। कनवारपुरा के सुशील कुमार ने कहा कि वह कई बार खाद लेने आए, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। दोपहर तक कुछ और टोकन बाँटे गए, लेकिन तब तक कई किसान थक चुके थे। किसानों का कहना है कि बुवाई का समय नज़दीक है, और खाद न मिलने से उनकी फसल की तैयारी अधूरी रह सकती है।
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खाद की कमी के पीछे क्या कारण
डीएपी की कमी हर साल रबी और खरीफ सीजन में किसानों के लिए सिरदर्द बन जाती है। कुछ किसानों का मानना है कि खाद की कालाबाज़ारी और वितरण में पारदर्शिता की कमी इस समस्या को बढ़ा रही है। कई बार दुकानदार ज़रूरत से ज़्यादा कीमत वसूलते हैं या खाद को स्टॉक में छुपा लेते हैं। सिरसा के एक किसान वीरेंद्र ने बताया कि खाद की कमी की वजह से उन्हें बाज़ार से महँगी खाद खरीदनी पड़ रही है, जो उनकी लागत बढ़ा रही है।
कृषि विभाग का आश्वासन
कृषि विभाग ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सिरसा के कृषि उप निदेशक डॉ. सुखदेव सिंह ने कहा कि रबी सीजन के लिए 45,000 मीट्रिक टन डीएपी और 1.25 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग भेजी गई है। जल्द ही और खेपें आने वाली हैं। उन्होंने सलाह दी कि किसान अभी से खाद स्टोर न करें, क्योंकि इससे इसकी गुणवत्ता खराब हो सकती है। विभाग का कहना है कि जिले के 37 केंद्रों पर खाद का वितरण फिर से शुरू हो चुका है, और सभी को उनकी ज़रूरत के मुताबिक खाद मिलेगी।
किसानों को सलाह है कि वे अपनी ज़रूरत के हिसाब से खाद की मात्रा पहले से तय करें। अगर डीएपी उपलब्ध न हो, तो एनपीके जैसे वैकल्पिक खाद का उपयोग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट, का इस्तेमाल बढ़ाकर रासायनिक खाद पर निर्भरता कम की जा सकती है। अगर कालाबाज़ारी या अनियमितता दिखे, तो स्थानीय कृषि विभाग में शिकायत दर्ज करें। साथ ही, अपने नज़दीकी केंद्र से खाद की उपलब्धता की जानकारी लेते रहें।
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