पंजाब पसंद मूली की खेती, कम लागत में होगा दुगना फायदा, जानिए कैसे?

Radish Farming Tips: किसान भाइयों, मूली भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण सब्जी है, जिसे कई तरह से उपयोग किया जाता है। पंजाब पसंद मूली की किस्म अपने बेहतरीन स्वाद, उच्च उत्पादन और तेज़ी से बढ़ने की क्षमता के कारण किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह किस्म खासतौर पर उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता वाली मूली उगाना चाहते हैं। इस लेख में हम इसकी खेती के बारे में जानेंगे।

पंजाब पसंद मूली की विशेषता

यह मूली आकार में लंबी और सफेद होती है। इसमें अधिक रसदारता और ताजगी होती है। यह तेज़ी से बढ़ने वाली किस्म है, जो लगभग 40-50 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी जड़ें सीधी और मजबूत होती हैं, जिससे यह मिट्टी में सही ढंग से बढ़ती है। बाजार में इसकी मांग अधिक होती है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है।

मिट्टी की तैयारी 

मूली की खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत को अच्छी तरह से जोतकर भुरभुरा और समतल बनाना चाहिए। जैविक खाद या गोबर की खाद मिलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। अच्छी जल निकासी का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि मूली जलभराव सहन नहीं कर सकती।

 बुवाई, खाद और सिंचाई प्रबंधन

उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज का चयन करें। बीजों को 2-3 घंटे तक गुनगुने पानी में भिगोने से अंकुरण बेहतर होता है। पंक्तियों के बीच 30-40 सेमी और पौधों के बीच 8-10 सेमी की दूरी रखें। बीजों को 1.5 से 2 सेमी गहराई में बोएं और हल्की मिट्टी डालें। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

मूली की फसल को हर 5-7 दिनों में सिंचाई की जरूरत होती है। जलभराव से बचने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें। गर्मियों में अधिक सिंचाई और सर्दियों में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।

गोबर की खाद या जैविक खाद का उपयोग करें। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (NPK) की संतुलित मात्रा दें। बुवाई के समय 12-15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएं। यूरिया (50-60 किग्रा/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। जैविक खेती में वर्मी कम्पोस्ट और नीम की खली का उपयोग करें।

रोग और खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार हटाने के लिए निराई-गुड़ाई समय-समय पर करें। मल्चिंग तकनीक अपनाने से नमी बनी रहती है और खरपतवार नहीं उगते। रासायनिक खरपतवारनाशकों का उपयोग कम करें और प्राकृतिक तरीकों से खरपतवार नियंत्रित करें।

पत्ती धब्बा रोग और जड़ गलन रोग को रोकने के लिए जैविक कवकनाशक और अच्छी जल निकासी व्यवस्था करें। एफिड, तना मक्खी और सफेद मक्खी जैसे कीटों के नियंत्रण के लिए नीम तेल, फेरोमोन ट्रैप और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

फसल कटाई 

जब मूली 30-40 सेमी लंबी हो जाए, तो इसे उखाड़ना शुरू करें। कटाई के लिए सुबह या शाम का समय सबसे अच्छा होता है। ताजा मूली की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उसे तुरंत बाजार में पहुंचाएं। औसतन 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।

बिक्री और लाभ 

स्थानीय मंडियों, सुपरमार्केट और थोक विक्रेताओं से संपर्क करें। मूली की पैकेजिंग और ग्रेडिंग करें ताकि अच्छी कीमत मिल सके। जैविक मूली की बाजार में अधिक मांग होती है, जिससे बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

पंजाब पसंद मूली की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक और आसान विकल्प है। सही तकनीक, उचित देखभाल और अच्छे बाजार प्रबंधन से किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। यह फसल कम समय में तैयार होने के साथ-साथ अच्छी उपज भी देती है, जिससे यह छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए उपयुक्त है। यदि आप भी खेती के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो पंजाब पसंद मूली की किस्म की खेती जरूर करें और अच्छा मुनाफा कमाएं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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