किसान भाइयों, रागी एक ऐसी फसल है, जो कम मेहनत, कम पानी में उगती है, और सेहत के लिए सोना मानी जाती है। इसे मडुआ, नाचनी या फिंगर मिलेट भी कहते हैं, इसमें कैल्शियम, आयरन, फाइबर भरपूर होता है। रोटी, दलिया, लड्डू में इसका इस्तेमाल होता है, और बाजार में इसकी डिमांड बढ़ रही है। ये सूखे में भी अच्छी पैदावार देती है, और 90-120 दिन में तैयार हो जाती है। एक एकड़ से 8-10 क्विंटल तक मिल सकता है, तो चलिए, जानते हैं कि रागी की खेती कैसे करें।
जमीन और मौसम की तैयारी
रागी हर तरह की मिट्टी में उग जाती है, दोमट, रेतीली या लाल मिट्टी इसके लिए बेस्ट है। पानी रुकने वाली जगह से बचें, जल निकासी का इंतजाम करें। खरीफ मौसम, यानी जून-जुलाई में बुआई का सही समय है, बारिश शुरू होते ही इसे बो सकते हैं। खेत की दो-तीन बार जुताई करें, मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। प्रति एकड़ 4-5 टन गोबर की खाद डालें, थोड़ी यूरिया (20-25 किलो), फॉस्फोरस (15 किलो) मिलाएं। मिट्टी तैयार हो, तो बुआई का रास्ता खुल जाता है।
बीज और बुआई का तरीका
रागी के बीज छोटे होते हैं, नजदीकी कृषि केंद्र, बीज भंडार या ऑनलाइन इंडिया मार्ट से लें। अच्छी किस्में जैसे जीपीयू-28, एमआर-1 चुनें, प्रति एकड़ 2-3 किलो बीज काफी है। बीज को बोने से पहले बाविस्टिन (2 ग्राम प्रति किलो) से उपचारित करें, कीट, फंगस से बचाव होगा। खेत में 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनें बनाएं, बीज को हल्के हाथ से छिड़कें, ऊपर से पतली मिट्टी डाल दें। बुआई के बाद हल्का पानी छिड़कें, 5-7 दिन में अंकुर निकल आएंगे। घनी बुआई से बचें, पौधों को बढ़ने की जगह मिलेगी।
देखभाल के आसान टिप्स
रागी को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, शुरू में मिट्टी को नम रखें, हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें। बारिश अच्छी हो, तो पानी कम दें। खरपतवार दिखें, तो 20-25 दिन बाद पहली गुड़ाई करें, दूसरी 40-45 दिन बाद करें। कीट जैसे तना छेदक या चेपा दिखें, तो नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें। गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें, पौधे मजबूत होंगे। फूल आने पर 10-15 किलो यूरिया डालें, दाने अच्छे भरेंगे। सूखा पड़े, तो एक-दो बार पानी जरूर दें।
कटाई और उत्पादन
रागी 90-120 दिन में तैयार हो जाती है, जब पौधे के दाने भूरे हो जाएं, पत्तियाँ सूखने लगें, तो कटाई शुरू करें। सुबह जल्दी काटें, पौधों को जड़ से उखाड़ लें। 4-5 दिन धूप में सुखाएं, फिर दाने अलग करें। एक एकड़ से 8-10 क्विंटल दाने मिल सकते हैं, सही देखभाल करें, तो 12 क्विंटल तक भी हो सकता है। हरे पौधे चारे के लिए इस्तेमाल करें, जानवरों को पौष्टिक खाना मिलेगा। दाने साफ कर बोरी में भरें, बाजार में बेचने को तैयार करें।
मुनाफा कैसे होगा
रागी का दाना बाजार में 30-50 रुपये किलो बिकता है, एक एकड़ से 25-50 हजार की कमाई हो सकती है। इसका आटा 60-80 रुपये किलो तक जाता है, प्रोसेस कर बेचें, तो मुनाफा बढ़ेगा। हरे पौधे चारे के लिए 5-10 रुपये किलो बिकते हैं, इससे अतिरिक्त फायदा होगा। बेकरी, हेल्थ फूड कंपनियों से संपर्क करें, डिमांड ज्यादा मिलेगी। लागत 10-15 हजार निकालकर 20-40 हजार मुनाफा बचता है। दूसरों के साथ मिलकर बेचें, दाम बढ़ेगा।
सावधानियाँ और सुझाव
खेत में पानी ज्यादा न रुके, जड़ें कमजोर हो सकती हैं, सूखा पड़े, तो हल्का पानी दें। रसायन कम डालें, जैविक खाद से फसल स्वादिष्ट, पौष्टिक रहेगी। बीज बोने से पहले मिट्टी में नमी चेक करें, सूखी मिट्टी में अंकुरण कम होता है। कटाई के बाद दाने जल्दी बेचें, नमी से खराब हो सकते हैं। कृषि केंद्र से सलाह लें, अच्छे बीज, टिप्स मिलेंगे। छोटे खेत से शुरू करें, फिर बढ़ाएं। सरकार की सब्सिडी का फायदा उठाएं, लागत कम होगी।
रागी की खेती आसान, फायदेमंद है, कम पानी, मेहनत में ये पौष्टिक फसल तैयार होती है, और बाजार में अच्छा दाम लाती है। इसे अपने खेत में लगाएं, सही देखभाल करें, और देखें कैसे ये छोटा अनाज बड़ा मुनाफा देता है। मेहनत करें, तरीका सही रखें, फिर लाभ अपने आप आएगा।
ये भी पढ़ें – छत पर उगाएं केसर और कमाएं लाखों! पूरी जानकारी और देखभाल के टिप्स यहां जानें