प्यारे किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही हर थाली को रोटी देती है। मगर पानी की कमी और मेहनत का बोझ बढ़ रहा है। ऐसे में रेन गन एक नया देसी जुगाड़ है, जो कम पानी में खेतों को तरबतर कर देता है। ये बारिश की तरह फसलों पर पानी बरसाता है, जिससे मेहनत कम लगती है और फसल शानदार होती है। चाहे गेहूँ हो, मक्का हो, या सब्जियाँ, रेन गन से सिंचाई आसान और सस्ती है। आइए, समझें कि इसे कैसे इस्तेमाल करें और कितना खर्च आता है।
रेन गन क्या है और कैसे काम करता है
रेन गन एक ऐसा यंत्र है, जो पाइप और पंप के साथ मिलकर खेत में बारिश जैसा पानी बरसाता है। इसे स्टैंड पर 45 से 180 डिग्री के कोण में लगाते हैं। पंप से पानी की सप्लाई होती है, और रेन गन उसे फव्वारे की तरह चारों तरफ छिड़कता है। ये 50-100 फीट की दूरी तक पानी पहुँचाता है। छोटे खेत हों या बड़े, ये हर जगह फिट बैठता है। पानी बूंद-बूंद गिरता है, जैसे प्राकृतिक बारिश, जिससे मिट्टी भीगती है और कटाव नहीं होता। ये तकनीक गाँव के किसानों के लिए वरदान है।
रेन गन से सिंचाई करने का तरीका
रेन गन से सिंचाई आसान है। सबसे पहले अपने खेत का पानी का स्रोत देखें, कुआँ, नहर, या टंकी। फिर एक पंप (2-5 HP) लगाएँ, जो पानी को दबाव के साथ रेन गन तक पहुँचाए। रेन गन को स्टैंड पर खेत के बीच में फिट करें। पाइप से पंप को रेन गन से जोड़ें। पानी छोड़ते ही ये घूमकर 50-100 फीट के दायरे में पानी बरसाने लगता है। एक घंटे में 1-2 बीघा खेत आसानी से सींचा जा सकता है। फसल की जरूरत और मिट्टी के हिसाब से 2-3 घंटे चलाएँ। इसे सुबह या शाम को चलाना बेस्ट है, ताकि पानी बेकार न जाए।
रेन गन लगाने में कितना खर्च आता है
रेन गन की कीमत और लगाने का खर्च खेत के आकार पर निर्भर करता है। एक अच्छी रेन गन 5,000 से 15,000 रुपये में मिलती है। पाइप (HDPE, 1-2 इंच) के लिए 5,000-10,000 रुपये और एक 3 HP पंप 15,000-25,000 रुपये का आता है। स्टैंड और फिटिंग का खर्च 2,000-5,000 रुपये। कुल मिलाकर, 1 एकड़ खेत के लिए शुरुआती लागत 30,000 से 50,000 रुपये तक हो सकती है। बड़े खेत (2-5 एकड़) के लिए 70,000-1 लाख तक लग सकता है। सरकार की “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” से 50-80% सब्सिडी मिलती है, तो आपका खर्च 10,000-20,000 रुपये तक कम हो सकता है। रखरखाव में सालाना 2,000-5,000 रुपये लगते हैं।
फायदे और सावधानियाँ
रेन गन से पानी की 30-40% बचत होती है, क्यूंकि ये बूंद-बूंद सिंचाई करता है। मेहनत कम लगती है, एक बार सेट करो और घर जाओ। गन्ना, मक्का, गेहूँ, सब्जियाँ, और चाय-कॉफी के खेतों के लिए बढ़िया है। मिट्टी का कटाव कम होता है और फसल की पैदावार 20-30% बढ़ सकती है। मगर सावधानी बरतें—पानी का दबाव 2-5 बार से ज्यादा न हो, वरना रेन गन खराब हो सकती है। पाइप में रिसाव चेक करें और गंदा पानी इस्तेमाल न करें, ताकि नोजल बंद न हो। बिजली या डीजल पंप का सही इस्तेमाल करें। सब्सिडी के लिए कृषि केंद्र से संपर्क करें।
कमाई का हिसाब और लंबा फायदा
रेन गन से 1 एकड़ में सिंचाई का खर्च 500-1,000 रुपये प्रति बार आता है (पानी और बिजली/डीजल मिलाकर)। पारंपरिक तरीके से ये 2,000-3,000 रुपये होता है। साल में 10-12 बार सिंचाई करें, तो 15,000-20,000 रुपये की बचत होती है। फसल बढ़ने से 20,000-30,000 रुपये का मुनाफा बढ़ सकता है। शुरुआती खर्च 1-2 साल में निकल जाता है। मक्का से 1 लाख, गेहूँ से 70,000-80,000, और सब्जियों से 2-3 लाख की कमाई हो सकती है। ये तकनीक खेत को हरा-भरा रखती है और जेब को भरा।
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