Rajendra Nenua-1 Variety: जून-जुलाई का मौसम आते ही किसान भाई सोच में पड़ जाते हैं कि ऐसी कौन-सी फसल लगाएं, जो कम मेहनत और कम लागत में अच्छा मुनाफा दे। खासकर सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए ये सवाल और भी बड़ा है, क्योंकि बाजार में डिमांड और अच्छे दाम चाहिए। इस बार आपका जवाब तैयार है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिकों ने नेनुआ की एक नई किस्म विकसित की है, जिसका नाम है राजेंद्र नेनुआ-1। ये किस्म बिहार के खेतों में कमाल कर रही है और किसानों की जेब भरने का नया रास्ता बन रही है।
राजेंद्र नेनुआ-1: बिहार की मिट्टी का तोहफा
बिहार का मौसम और मिट्टी सब्जी की खेती के लिए हमेशा से मुफीद रहा है, और राजेंद्र नेनुआ-1 इसकी मिसाल है। पूसा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस किस्म को खास तौर पर बिहार के किसानों के लिए तैयार किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि अगर बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर बोया जाए, तो फसल कई गुना ज्यादा देती है। ये किस्म जलवायु परिवर्तन को झेल लेती है, रोगों से लड़ने की ताकत रखती है, और जल्दी फल देती है। समस्तीपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर जैसे इलाकों में, जहाँ सब्जी की खेती किसानों की रीढ़ है, ये किस्म वरदान बन रही है।
वैज्ञानिकों की सलाह, किसानों का फायदा
पूसा विश्वविद्यालय के हॉर्टिकल्चर विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उदित कुमार बताते हैं कि राजेंद्र नेनुआ-1 की खेती से किसान अपनी कमाई को दोगुना कर सकते हैं। उनके मुताबिक, बुवाई से पहले बीज को 24 घंटे पानी में भिगोना जरूरी है, ताकि अंकुरण अच्छा हो और पौधे मजबूत बनें। बुवाई के समय खेत में कतार से कतार की दूरी 2 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस किस्म की खेती से न सिर्फ समय की बचत होती है, बल्कि एक ही पौधे से लंबे समय तक फल मिलता रहता है। इससे किसानों को बार-बार बुवाई का खर्चा भी नहीं उठाना पड़ता।
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खेत तैयार करने का आसान तरीका
नेनुआ की खेती के लिए खेत को सही तरीके से तैयार करना जरूरी है। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद, फास्फोरस, और पोटाश का इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, और फसल की पैदावार बढ़ती है। प्रति हेक्टेयर 3 से 4 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। इस किस्म की खास बात ये है कि फल जल्दी आते हैं और बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं। बिहार के कई किसानों ने इस किस्म को अपनाकर देखा और बताया कि उनकी फसल की क्वालिटी और मुनाफा दोनों में इजाफा हुआ है। खासकर समस्तीपुर और बेगूसराय जैसे इलाकों में ये किस्म धूम मचा रही है।
नेनुआ की खेती से मुनाफे का सुनहरा मौका
नेनुआ की खेती पहले से ही बिहार के गाँवों में होती आई है, लेकिन राजेंद्र नेनुआ-1 जैसी उन्नत किस्म ने इसे एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। ये किस्म कम लागत में ज्यादा पैदावार देती है, और बाजार में इसकी डिमांड भी बनी रहती है। सरकार भी सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए बीज और खाद पर सब्सिडी दे रही है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और इस किस्म के बीज मंगवाएं। पूसा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि सही तकनीक और थोड़ी मेहनत से नेनुआ की खेती किसानों की जिंदगी बदल सकती है।
राजेंद्र नेनुआ-1 सिर्फ एक सब्जी की किस्म नहीं, बल्कि बिहार के किसानों के लिए कमाई का नया जरिया है। कम समय, कम लागत, और ज्यादा मुनाफे के साथ ये किस्म हर किसान के लिए फायदेमंद है। तो भाईयों, इस जून-जुलाई में अपने खेतों को तैयार करें और राजेंद्र नेनुआ-1 की खेती शुरू करें।
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