फरवरी में ऐसे करें इस फूल की खेती, होगी पैसो की भारी बारिश

Rajnigandha ki kheti: रजनीगंधा (Polianthes tuberosa) एक सुगंधित फूलों वाला पौधा है, जिसकी खेती मुख्य रूप से इत्र, अगरबत्ती, और फूलों की सजावट के लिए की जाती है। इसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है, लेकिन फरवरी का महीना इसकी खेती के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। सही तकनीक और देखभाल से किसान इससे बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। रजनीगंधा एक नगदी फसल है बाकी फूलों से यह अलग है इसे शादी विवाह पार्टी अदि में अधिक इस्तेमाल किया जाता है ,किसान भाई लिक से हटकर कुछ करना चाहते हैं तो एक बार इस फुल की खेती जरुर करें |

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि फरवरी में रजनीगंधा की खेती (Rajnigandha ki kheti) कैसे करें और इससे अधिकतम लाभ कैसे प्राप्त करें।

Rajnigandha ki kheti
Rajnigandha ki kheti

जलवायु और भूमि की आवश्यकताएँ

रजनीगंधा की खेती (Rajnigandha ki kheti) के लिए समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती के लिए 20-30°C तापमान आदर्श होता है। इसे अधिक ठंड और पाले से बचाने की आवश्यकता होती है। दोमट और बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त होती है, जिसका pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली भूमि होनी चाहिए ताकि पानी का ठहराव न हो।

खेत की तैयारी

खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी नरम और भुरभुरी हो जाए। गोबर की खाद या जैविक खाद मिलाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएँ। 25-30 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालना फायदेमंद होता है। मिट्टी को फफूंदनाशक से उपचारित करें ताकि बीमारियों से बचाव हो सके।

बीज (कंद) का चयन और बुआई

स्वस्थ और सड़े-गले कंदों से बचें। बुआई का सही समय फरवरी के पहले पखवाड़े में होता है। कंदों का आकार 2-3 सेमी होना चाहिए ताकि अच्छी वृद्धि हो। बुआई की गहराई 5-7 सेमी और कतार से कतार की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए।

सिंचाई 

बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। गर्मियों में प्रति सप्ताह सिंचाई आवश्यक होती है। बारिश के मौसम में अत्यधिक जलभराव से बचाव करें। ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने से जल की बचत होती है।

Rajnigandha ki kheti

खाद एवं खरपतवार प्रबंधन

गोबर की खाद, नीम खली और वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग करें। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा देना आवश्यक होता है। प्रति हेक्टेयर 150 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस और 60 किग्रा पोटाश का प्रयोग करें। यूरिया का 75 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग लाभकारी होता है।

हर 15-20 दिन में निराई-गुड़ाई करें। मल्चिंग तकनीक अपनाने से खरपतवार की वृद्धि कम होती है। रासायनिक खरपतवारनाशी का सीमित उपयोग करें।

रोग एवं कीट नियंत्रण

कंद सड़न से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। पत्तियों में धब्बों से बचने के लिए बोर्डो मिश्रण (1%) का प्रयोग करें। दीमक और सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस या नीम के तेल का छिड़काव करें।

फूलों की तुड़ाई और पैकेजिंग

फूल तुड़ाई का सही समय तब होता है जब फूल पूरी तरह खिल जाएँ। तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें। फूलों को प्लास्टिक क्रेट्स में रखें ताकि ताजगी बनी रहे। ठंडी जगह पर संग्रहण करें ताकि सुगंध बनी रहे।

रजनीगंधा की मांग शादी, पूजा और इत्र उद्योग में अधिक होती है। इसे स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जा सकता है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और थोक विक्रेताओं से संपर्क कर सकते हैं।

मुनाफा

1 हेक्टेयर में 15-20 लाख फूलों का उत्पादन संभव होता है। औसत बिक्री मूल्य 500-800 रुपये प्रति किलो होता है। कुल मुनाफा 5-7 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर हो सकता है।

फरवरी में रजनीगंधा की खेती (Rajnigandha ki kheti) एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है। यदि सही तरीके से खेती की जाए, तो उत्पादन बढ़ सकता है और किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। यदि आप कम लागत में ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं, तो जैविक और वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करें। रजनीगंधा की खेती से आपका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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