Ranikhet Disease in Chickens : गर्मी का मौसम शुरू होते ही मुर्गियों में बीमारियाँ और रोग बढ़ने लगते हैं। इनमें से एक खतरनाक रोग है रानीखेत (न्यूकैसल डिजीज), जो मुर्गियों और दूसरे पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। ये रोग पैरामिक्सोवायरस परिवार के वायरस से फैलता है और बेहद संक्रामक होता है। घरेलू मुर्गियों के साथ-साथ जंगली पक्षियों को भी ये निशाना बना सकता है। अगर समय पर इसका इलाज या रोकथाम न की जाए, तो पूरा पोल्ट्री फार्म तबाह हो सकता है। किसान भाइयों, चलिए जानते हैं कि रानीखेत रोग के लक्षण क्या हैं और इससे मुर्गियों को कैसे बचाएँ।
रानीखेत रोग के लक्षण
रानीखेत रोग के लक्षण कई तरह के होते हैं। साँस से जुड़ी दिक्कतें सबसे पहले दिखती हैं, जैसे छींकना, खर्राटे वाली साँसें, नाक और आँखों से पानी बहना। तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ने से मुर्गियाँ अपना संतुलन खो देती हैं, उनकी गर्दन मुड़ जाती है (टॉर्टिकॉलिस), और पैर-पंखों में लकवा मार जाता है। पेट की परेशानियाँ भी होती हैं भूख खत्म हो जाना, हरी-पतली दस्त और आंतों में खून बहना। इसके अलावा, अंडे कम देना, टेढ़े-मेढ़े या पतले छिलके वाले अंडे देना, वजन तेजी से घटना और अचानक बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत इसके बड़े संकेत हैं। ये लक्षण दिखें, तो फौरन सावधानी बरतें।
रानीखेत रोग कैसे फैलता है
ये रोग बहुत तेजी से फैलता है। संक्रमित मुर्गियों के संपर्क से, उनके मल, स्राव या साँस से निकले कणों से ये स्वस्थ मुर्गियों तक पहुँच जाता है। दूषित खाना, पानी, और पोल्ट्री फार्म के सामान जैसे बर्तन या जूते भी इसका जरिया बनते हैं। हवा के रास्ते (एरोसोल ट्रांसमिशन) भी ये वायरस दूर तक फैल सकता है। जंगली पक्षी और नए लाए गए मुर्गे भी इसे ला सकते हैं। एक बार फार्म में घुस जाए, तो रोकना मुश्किल हो जाता है। इसलिए शुरू से ही सतर्क रहना जरूरी है।
रानीखेत रोग से बचाव के तरीके
रानीखेत से मुर्गियों को बचाने का सबसे कारगर तरीका है टीकाकरण। सही समय पर वैक्सीन लगवाएँ। चूजों को 5-7 दिन की उम्र में F1 या लासोटा वैक्सीन दें और 6-8 हफ्ते में बूस्टर डोज दोहराएँ। स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। फार्म को रोज साफ करें, पानी-खाने के बर्तनों को धोएँ और कीटाणुनाशक का छिड़काव करें। संक्रमित मुर्गियों को तुरंत अलग करें और स्वस्थ मुर्गियों से दूर रखें। नए मुर्गों को फार्म में लाने से पहले 10-15 दिन क्वारंटीन में रखें। अगर रोग फैल जाए, तो बीमार मुर्गियों को मारकर गड्ढे में दफनाएँ या जला दें, ताकि वायरस और न फैले।
फार्म को सुरक्षित रखने के टिप्स
किसान भाइयों, गर्मियों में फार्म की देखभाल बढ़ाएँ। छाया और हवादार जगह बनाएँ, ताकि मुर्गियों को गर्मी न लगे। बाहर से आने-जाने वालों पर नजर रखें, उनके जूते बदलवाएँ। जंगली पक्षियों को फार्म से दूर रखने के लिए जाल लगाएँ। वैक्सीन का समय न भूलें और फार्म के आसपास साफ-सफाई रखें। ये छोटे कदम आपकी मेहनत को बचा सकते हैं। रानीखेत रोग से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है जागरूकता और सही रोकथाम। इसे अपनाएँ और अपनी मुर्गियों को सुरक्षित रखें।
ये भी पढ़ें- जाने क्या है ईको-फ्रेंडली चिकन कॉप, मुर्गियों का हरा-भरा घर, एक मुर्गा बेंचिए 1500 का