अब सिर्फ बछिया ही लेंगी जन्म, जानिये क्या है राष्ट्रीय गोकुल मिशन ? 20 मार्च को प्रधानमंत्री ने दी मंजूरी

Rashtriya gokul mission : भाइयों, हमारे यहाँ राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) एक ऐसी योजना है, जो गाय-भैंस की देसी नस्लों को बचाने और उनकी दूध देने की ताकत बढ़ाने के लिए शुरू की गई है। इसे दिसंबर 2014 में लॉन्च किया गया था, और 20 मार्च 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे संशोधित रूप में मंजूरी दी है। अपने इलाके में इसे अपनाकर किसान भाई दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं और अपनी कमाई को नई ऊँचाई दे सकते हैं। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि यह मिशन क्या है और किसानों के लिए कितना फायदेमंद है।

RGM का असली मकसद : देसी नस्लों की ताकत

हमारे यहाँ गाय-भैंस की देसी नस्लें जैसे गिर, साहिवाल, थारपारकर और राठी खास हैं, पर इनकी संख्या और दूध देने की क्षमता कम होती जा रही थी। राष्ट्रीय गोकुल मिशन का मकसद इन्हें बचाना और इनकी ताकत बढ़ाना है। अपने खेतों में इन नस्लों को बेहतर करने के लिए सरकार वैज्ञानिक तरीके जैसे कृत्रिम गर्भाधान और IVF का इस्तेमाल कर रही है। इसका लक्ष्य दूध की बढ़ती माँग को पूरा करना और किसानों के लिए डेयरी को फायदेमंद बनाना है। यह योजना 2021-2026 तक 2400 करोड़ रुपये के बजट के साथ चल रही है, जो छोटे और सीमांत किसानों को बड़ा सहारा देती है।

 कैसे काम करता है RGM (Rashtriya gokul mission)

अपने इलाके में RGM के तहत कई काम हो रहे हैं। सरकार गोकुल ग्राम बना रही है, जहाँ देसी नस्लों को पाला जाता है और किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले साँडों का वीर्य मुफ्त या कम दाम में दिया जाता है, ताकि कृत्रिम गर्भाधान से अच्छी नस्ल की बछिया पैदा हो। हमारे यहाँ सेक्स-सॉर्टेड सीमेन भी दिया जा रहा है, जिससे 90% मादा बछिया पैदा होती हैं। किसानों को IVF के लिए 5000 रुपये प्रति गर्भावस्था और नस्ल सुधार फार्म के लिए 50% तक सब्सिडी मिलती है। यह सब दूध उत्पादन को बढ़ाने और खेती को मजबूत करने का आसान रास्ता है।

किसानों की जेब पर असर : कमाई का नया जरिया

हमारे यहाँ RGM से दूध उत्पादन में बड़ा बदलाव आया है। पिछले 10 साल में 9.3 करोड़ टन दूध बढ़ा है, और 2021-22 में दूध की कीमत 9.32 लाख करोड़ रुपये तक पहुँची। अपने खेतों में एक गाय से सालाना 2,000-3,000 लीटर दूध मिले, तो 40-50 रुपये लीटर के हिसाब से 80,000-1,50,000 रुपये की कमाई हो सकती है। छोटे किसान, जो 2-5 पशु पालते हैं, महीने में 5,000-10,000 रुपये अतिरिक्त कमा सकते हैं। हमारे यहाँ महिलाएँ, जो पशुपालन में 70% काम करती हैं, भी इससे फायदा उठा रही हैं। यह मिशन उनकी मेहनत को सम्मान और कमाई देता है।

आसान सुविधाएँ : सरकार का साथ

अपने इलाके में RGM किसानों को कई सुविधाएँ देता है। गोपाल रत्न और कामधेनु पुरस्कार अच्छा काम करने वाले पशुपालकों को मिलते हैं, जो प्रेरणा का काम करते हैं। हमारे यहाँ गोजातीय जर्मप्लाज्म के लिए ई-मार्केट भी शुरू हुआ है, जहाँ किसान और प्रजनक जुड़ सकते हैं। पशु स्वास्थ्य कार्ड और नकुल स्वास्थ्य पत्र से पशुओं की देखभाल आसान हुई है। सरकार 50% तक सब्सिडी दे रही है, जैसे सेक्स-सॉर्टेड सीमेन पर और नस्ल सुधार फार्म पर 2 करोड़ रुपये तक। यह सब छोटे किसानों के लिए बिना बोझ के खेती को बढ़ाने का मौका है।

चुनौतियाँ और समाधान : आगे का रास्ता

हमारे यहाँ RGM से फायदा तो बहुत है, पर कुछ चुनौतियाँ भी हैं। कृत्रिम गर्भाधान और IVF की जानकारी हर किसान तक नहीं पहुँच पाती। अपने खेतों में इसे अपनाने के लिए ट्रेनिंग और जागरूकता बढ़ानी होगी। सरकार इसके लिए किसान जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। हमारे यहाँ चारे की कमी भी एक मुद्दा है, जिसके लिए गोकुल ग्राम में चारा उत्पादन पर काम हो रहा है। इन समाधानों से यह मिशन और कारगर बनेगा और किसानों को लंबी कमाई देगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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