Paddy Procurement: भारत के खेतों से धान की आवक ने सरकारी गोदामों को भरना शुरू कर दिया है। अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में ही केंद्र सरकार ने 48 लाख टन से ज्यादा धान खरीद लिया है, जो पिछले साल की इसी अवधि से दोगुना से भी ज्यादा है। अधिकारियों का कहना है कि कुल ₹17,240 करोड़ का भुगतान किसानों को हो चुका है। यह तेजी मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में फसल की समय से पहले कटाई की वजह से आई है।
चावल विपणन सत्र अक्टूबर से शुरू होता है, लेकिन इस बार केंद्र ने इन राज्यों में सितंबर के मध्य से ही खरीद की इजाजत दे दी थी। दैनिक खरीद अब 5 लाख टन तक पहुंच गई है, और आने वाले महीनों में अन्य राज्यों से और बढ़ोतरी की उम्मीद है।
हर राज्य में नई ऊंचाई पर पहुंची धान खरीद
केंद्रीय पूल में सबसे ज्यादा योगदान पंजाब का रहा है। 16 अक्टूबर तक यहां 18.46 लाख टन धान खरीदा गया, जो पिछले साल के 5.44 लाख टन से तीन गुना ज्यादा है। हरियाणा ने भी 54 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की, जहां 23.08 लाख टन धान गोदामों में पहुंचा। तमिलनाडु में खरीद दोगुनी से ऊपर होकर 5.95 लाख टन पर पहुंच गई, जबकि उत्तराखंड में यह 79,570 टन हो गई जो पहले के 1,759 टन से कहीं ज्यादा है। कुल मिलाकर, 48.47 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है, जो पिछले साल के 22.90 लाख टन से काफी आगे है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह रिकॉर्ड फसल पैटर्न और बेहतर मौसम की देन है।
ये भी पढ़ें- RH-1706 सरसों की किस्म बनी किसानों की पहली पसंद, दे रही है रिकॉर्ड तोड़ उपज
जल्दी कटाई से खरीद समय से पहले खत्म हो सकती है
सरकार ने 2025-26 विपणन सत्र के लिए 463.49 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के 545.22 लाख टन से थोड़ा कम है। पंजाब में खरीद 30 नवंबर तक और हरियाणा में 15 नवंबर तक चलेगी, लेकिन जल्दी कटाई की वजह से यह तय समय से पहले ही समाप्त हो सकती है। हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं।
पंजाब के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) न मिलने की शिकायत कर रहे हैं, क्योंकि कमीशन एजेंट धान में नमी ज्यादा होने पर सुखाने की सलाह दे रहे हैं। पिछले साल यहां विरोध प्रदर्शन भी हुए थे, जब एजेंटों ने शुल्क की नई व्यवस्था पर काम बंद कर दिया था। केंद्र ने अब एजेंटों को 2 फीसदी कमीशन देने का फैसला लिया है, ताकि एमएसपी बढ़ोतरी के साथ उनका हिस्सा भी संतुलित रहे।
अन्य राज्यों में धान खरीद की स्थिति और भविष्य की उम्मीदें
तमिलनाडु में 1 सितंबर से ही खरीद शुरू हो गई है, जबकि छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्य प्रदेश में 1 नवंबर से तेजी आएगी। ये राज्य केंद्रीय पूल के प्रमुख योगदानकर्ता हैं। इस खरीफ सीजन में धान का रकबा 441.58 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जो पिछले साल से 5.92 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। कृषि मंत्रालय ने अभी फसल अनुमान जारी नहीं किया है, लेकिन अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि अच्छी पैदावार से लक्ष्य आसानी से हासिल हो जाएगा। किसानों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि समय पर भुगतान और पारदर्शी प्रक्रिया से उनकी आय मजबूत होगी। अगर आप भी धान बेचने की तैयारी कर रहे हैं, तो स्थानीय मंडी या सरकारी केंद्र से संपर्क करें।
ये भी पढ़ें- पछेती गेहूं की खेती से भी होगी शानदार पैदावार, जानें ये 6 हाई यील्डिंग किस्में
