रेड लेडी 786 पपीता की खेती आजकल किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह ताइवान मूल की हाइब्रिड किस्म है, जो गोलाकार फलों, चमकीले लाल रंग और मीठे स्वाद के लिए जानी जाती है। एक पेड़ से 260 फल तक (1.5-2 किलो प्रत्येक) उपज संभव, जो 9-12 महीने में तैयार हो जाते हैं। एक एकड़ में 600-700 पौधे लगाकर लागत ₹50,000 रखते हुए ₹10 लाख तक मुनाफा कमाया जा सकता है। यह फसल गर्मी सहन करने वाली है, लेकिन सही देखभाल से उपज दोगुनी हो सकती है। छोटे किसानों से लेकर बड़े बागवानों तक, यह कम मेहनत में लाभकारी साबित हो रही है। आइए, वैज्ञानिक और सरल तरीके से जानें कि रेड लेडी 786 पपीता की खेती कैसे करें।
रेड लेडी 786 की विशेषताएँ
रेड लेडी 786 एक F1 हाइब्रिड किस्म है, जो ताइवान से भारत लाई गई। इसके फल गोल, मध्यम आकार (500-800 ग्राम) के, चमकीले लाल रंग के और बीज रहित होते हैं। स्वाद मीठा (Brix 12-14) और रसीला, जो बाजार में प्रीमियम कीमत दिलाता है। पेड़ 8-10 फीट ऊँचे, तेज बढ़ने वाले, और रोग प्रतिरोधी (वायरस और फफूंदी से)। उपज: प्रति पेड़ 150-260 फल, प्रति एकड़ 100-150 टन। रोपण के 9-12 महीने बाद फलन शुरू, और 3-4 साल तक उत्पादन। यह किस्म गर्मी (35-40 डिग्री) सहन करती है, लेकिन ठंडी जलवायु में बेहतर। पाटिल बायोटेक जैसी कंपनियों से पौधे ₹30 प्रत्येक उपलब्ध।
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बुवाई का सही समय और विधि
रेड लेडी 786 की रोपाई फरवरी-मार्च (गर्म क्षेत्रों में) या जून-जुलाई (मानसून के बाद) में करें। गर्म इलाकों में रोपाई से पहले 15 जनवरी से 30 मार्च तक का समय उपयुक्त। बीज या पौधे से शुरू करें—बीज बोने के 30-40 दिन बाद पौधे तैयार। प्रति एकड़ 600-700 पौधे लगाएँ। दूरी: पंक्ति से पंक्ति 2 मीटर, पौधे से पौधे 1.5-2 मीटर। गड्ढे 45x45x45 सेमी के, 10-15 किलो गोबर खाद डालें। रोपाई शाम को करें, ताकि पौधे तनाव न लें। सरल उपाय: रोपाई के बाद हल्की सिंचाई और मल्चिंग (सूखी घास) से नमी बनी रहेगी।
मिट्टी और खाद का प्रबंधन
यह किस्म दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में उगती है, pH 6.0-7.5। जल निकासी अच्छी हो, वरना जड़ सड़न हो सकती है। खेत की 2-3 बार जुताई कर भुरभुरी मिट्टी बनाएँ। रोपाई से पहले 20-25 टन गोबर खाद या 5-7 टन वर्मी कम्पोस्ट डालें। उर्वरक: नाइट्रोजन 200 किलो, फॉस्फोरस 100 किलो, पोटाश 150 किलो प्रति हेक्टेयर—आधा रोपाई पर, बाकी 2-3 भागों में 30, 60 और 90 दिन बाद। जैविक तरीके से जिवामृत (1:10 अनुपात) हर 15 दिन में डालें। सरल उपाय: नीम की खली (200 किलो/हेक्टेयर) मिलाने से कीटों से बचाव होगा।
सिंचाई का सही तरीका
रेड लेडी 786 को नियमित नमी चाहिए। रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। हर 7-10 दिन पर हल्की सिंचाई, लेकिन जलभराव से बचें। गर्मी में सप्ताह में 2 बार, सर्दियों में कम। ड्रिप सिंचाई से पानी 30-40% बचता है। सरल उपाय: मल्चिंग (प्लास्टिक शीट या घास) से नमी बनी रहेगी और खरपतवार कम होंगे। फलन के दौरान अतिरिक्त पानी से फल फट सकते हैं।
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पौधों को सपोर्ट स्टिक दें, ताकि हवा से न गिरें। खरपतवार के लिए रोपाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। फलन के दौरान पोटाश (50 किलो/हेक्टेयर) की अतिरिक्त डोज दें। सरल उपाय: गोमूत्र (10 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव हर 15 दिन में पोषण बढ़ाएगा।
कीट और रोग नियंत्रण
- कीट: एफिड्स, फ्रूट फ्लाई—नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) छिड़कें।
- रोग: रूट रॉट, पाउडरी मिल्ड्यू—बाविस्टीन (2 ग्राम/लीटर) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2.5 ग्राम/लीटर) का छिड़काव।
- जैविक उपाय: दशपर्णी अर्क (200 मिली/10 लीटर पानी) हर 10 दिन में। सरल उपाय: नियमित निगरानी से समस्या जल्दी पकड़ में आएगी।
रोपाई के 9-12 महीने बाद फलन शुरू। फल पकने पर (लाल रंग, नरम) काटें। प्रति पेड़ 150-260 फल, प्रति एकड़ 100-150 टन। कटाई सुबह करें, ताकि फल ताजे रहें। सरल उपाय: पेड़ को 3 साल बाद काटें, नया रोपण करें।
बाजार और मुनाफा
फल ₹30-50/किलो बिकते हैं। प्रति एकड़ लागत ₹50,000, आय ₹10 लाख, मुनाफा ₹8-9 लाख। निर्यात और प्रोसेसिंग में डिमांड। राष्ट्रीय बागवानी मिशन से सब्सिडी लें।
रेड लेडी 786 पपीता की खेती कम लागत में बंपर मुनाफे का रास्ता है। ताइवान मूल की यह किस्म उच्च उपज, मीठे फल और रोग प्रतिरोध से किसानों को समृद्ध बनाती है। सही रोपाई, सिंचाई और देखभाल से 1 एकड़ से 10 लाख तक कमाई संभव। किसान भाइयों, इस मौसम रेड लेडी 786 लगाएँ, और फलों की लालिमा से खेत और जेब दोनों रंगीन करें!
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