Reishi Mushroom Cultivation: किसान भाइयों, खेती में अब गेहूँ-धान से आगे बढ़ने का समय है। रेशी मशरूम (गैनोडर्मा ल्यूसीडम), जिसे ब्राउन राइस पर इनडोर उगाया जाता है, कम जगह और लागत में बंपर मुनाफा देता है। इसकी कीमत 50,000-1,00,000 रुपये/किलो तक जाती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, और अन्य राज्यों में छोटे किसान और उद्यमी इसे 10×10 फीट के कमरे में उगा रहे हैं। 3 महीने में तैयार होने वाला ये मशरूम 30,000-50,000 रुपये की लागत से 5-10 लाख रुपये की कमाई दे सकता है। आयुर्वेदिक और हेल्थ उद्योगों की माँग इसे सोने जैसा बनाती है। आइए जानें इसकी खेती कैसे करें।
रेशी मशरूम की खासियत
रेशी मशरूम एक औषधीय प्रजाति है, जो कैंसर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में उपयोगी है। ब्राउन राइस पर उगने से इसकी पोषक गुणवत्ता बढ़ती है, क्योंकि ब्राउन राइस फाइबर, विटामिन, और मिनरल्स से भरपूर होता है। 90 दिनों में तैयार, ये जैविक मशरूम भारत, चीन, जापान, और यूरोप में माँग में है। आयुर्वेदिक कंपनियाँ, हेल्थ ब्रांड्स, और निर्यातक इसे खरीदते हैं। छोटे स्तर पर 100 किलो ब्राउन राइस से शुरूआत कर 4.5-9.5 लाख रुपये मुनाफा कमाया जा सकता है।
खेती के लिए जरूरी सेटअप
रेशी मशरूम इनडोर (10×10 फीट कमरे) में उगता है, जहाँ तापमान (25-30°C) और नमी (80-90%) नियंत्रित रहती है। जरूरी सामान: साफ कमरा (5,000-10,000 रुपये), ह्यूमिडिफायर (5,000 रुपये), फैन (2,000 रुपये), ब्राउन राइस (30-50 रुपये/किलो), मशरूम स्पॉन (500-1,000 रुपये/किलो), और प्लास्टिक बैग। कुल लागत: 100 किलो ब्राउन राइस के लिए 30,000-50,000 रुपये। कमरे में स्टरलाइजेशन और अंधेरा जरूरी है। छोटे किसान घर के एक कोने से शुरू कर सकते हैं। सही सेटअप से उत्पादन 20% बढ़ता है।
खेती की प्रक्रिया
ब्राउन राइस को भाप से स्टरलाइज करें। मशरूम स्पॉन के साथ मिलाकर प्लास्टिक बैग में भरें। बैग को नम, अंधेरे कमरे में 30-40 दिन रखें। 60-90 दिन में मशरूम तैयार हो जाता है। 100 किलो ब्राउन राइस से 10-12 किलो सूखा मशरूम मिलता है। प्रक्रिया में साफ-सफाई और नमी का ध्यान रखें। ICAR या KVK से प्रशिक्षण लें। सही प्रक्रिया से अंकुरण 90% तक होता है, और क्वालिटी बनी रहती है। दूसरे चक्र में लागत कम होकर मुनाफा बढ़ता है।
कमाई और मुनाफे का हिसाब
100 किलो ब्राउन राइस पर खेती से 10-12 किलो सूखा रेशी मशरूम मिलता है, जिसकी कीमत 50,000-1,00,000 रुपये/किलो है। 10 किलो से 5-10 लाख रुपये कमाई। लागत (30,000-50,000 रुपये) घटाकर 4.5-9.5 लाख रुपये मुनाफा। बड़े स्तर (500 किलो ब्राउन राइस) पर 20-30 लाख रुपये सालाना मुनाफा। पाउडर या कैप्सूल बनाकर दाम 1.5-2 लाख रुपये/किलो तक बढ़ता है। जैविक मशरूम की माँग निर्यात बाजार (चीन, जापान) में ज्यादा है। तीन चक्र सालाना चलाकर कमाई दोगुनी करें।
मार्केटिंग और बिक्री
रेशी मशरूम की बिक्री आयुर्वेदिक कंपनियों (पतंजलि, डाबर), हेल्थ ब्रांड्स, और निर्यातकों को करें। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Amazon, IndiaMART) या अपनी वेबसाइट पर पाउडर/कैप्सूल बेचें। सोशल मीडिया (WhatsApp, Instagram) पर प्रचार करें। स्थानीय हर्बल दुकानों और फार्मा डिस्ट्रीब्यूटर्स से संपर्क करें। निर्यात के लिए APEDA से रजिस्ट्रेशन लें। प्रोसेसिंग (पाउडर, कैप्सूल) से दाम दोगुना होता है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से नियमित आय सुनिश्चित करें।
सावधानियाँ और सुझाव
साफ-सफाई बनाए रखें, फफूंद से बचें। विश्वसनीय स्रोत (ICAR, KVK) से स्पॉन लें। मशरूम खेती का प्रशिक्षण करें। 50-100 किलो से शुरू करें। AIF या PMKSY से लोन/सब्सिडी लें। रेशी मशरूम की खेती कम जगह में लाखों की कमाई का रास्ता है। इसकी औषधीय माँग का फायदा उठाएँ और खेती को लाभकारी बनाएँ।
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